18वीं लोकसभा का पहला सत्र आज यानी 24 जून से शुरू हो रहा है. इस सत्र में 8 बैठकें होंगी. 24 और 25 जून को प्रोटेम स्पीकर भर्तृहरि महताब नए सांसदों को शपथ दिलाएंगे. 26 जून को लोकसभा स्पीकर का चुनाव होगा. 27 जून को राज्यसभा का सत्र शुरू होगा और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू लोकसभा और राज्यसभा के संयुक्त सत्र को संबोधित करेंगी. अंतिम दो दिन, सरकार राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव लाएगी. साल 2014 और 2019 के बाद पहली बार ऐसा होगा कि 2024 आम चुनाव में एक मजबूत विपक्ष दिखेगा. मौजूदा हालात को देखकर लगता है कि इस सत्र में विपक्ष, NEET परीक्षा गड़बड़ी और अग्निवीर योजना जैसे मुद्दों पर सरकार को घेरने की कोशिश करेगा. 10 साल बाद कांग्रेस को नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी मिल सकती है. यानी इन मुद्दों पर सदन के भीतर NDA की सरकार और मजबूत विपक्ष का टकराव देखने को मिलेगा.
18वीं लोकसभा में एनडीए बनाम इंडिया-
NDA सरकार में गठबंधन के पास 293 सांसद हैं. मोदी समेत 72 सांसदों ने 9 जून को शपथ ली थी. INDIA ब्लॉक ने 234 सीटें हासिल की हैं. कांग्रेस के पास 99 सीटे हैं, जो सदन में दूसरी सबसे बड़ी पार्टी है. हालांकि महाराष्ट्र के सांगली से निर्दलीय चुनाव जीते विशाल पाटिल कांग्रेस में शामिल होने के बाद पार्टी की कुल संख्या 100 हो गई है.
10 साल बाद सदन को मिलेगा नेता प्रतिपक्ष?
इस बार का सदन इस मामले में नायाब दिखेगा. क्योंकि इस बार विपक्ष न केवल मजबूत संख्या में हुआ है, बल्कि लोकसभा में इस बार नेता प्रतिपक्ष भी होगा. पिछले 10 साल से लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष का पद इसलिए खाली रहा, क्योंकि साल 2014 के बाद से किसी भी विपक्षी दल के 54 सांसद नहीं जीते. मावलंकर नियम ये कहता है कि नेता प्रतिपक्ष बनने के लिए लोकसभा की कुल संख्या 543 का 10% यानी 54 सांसद होना जरूरी है.
16वीं लोकसभा में मल्लिकार्जुन खड़गे 44 सांसदों वाले कांग्रेस संसदीय दल के नेता थे, लेकिन उन्हें नेता प्रतिपक्ष (LOP) का दर्जा नहीं था. 17वीं लोकसभा में 52 सांसदों की अगुआई अधीर रंजन चौधरी ने की थी. उन्हें भी कैबिनेट जैसे अधिकार नहीं थे.
नेता प्रतिपक्ष को मिलता है कैबिनेट का दर्जा-
हर बड़ी नियुक्ति में शामिल सदन के नेता (PM) के बराबर ही नेता प्रतिपक्ष को तरजीह मिलती है. चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति करने वाली कमेटी में भी उन्हें शामिल किया जाता है, जिसकी अध्यक्षता पीएम करते हैं. नेता प्रतिपक्ष राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, केंद्रीय सूचना आयोग, सीवीसी और सीबीआई के प्रमुखों की नियुक्ति करने वाली कमेटी में भी शामिल होता है.
लोकसभा की लोक लेखा समिति का अध्यक्ष भी आमतौर पर नेता प्रतिपक्ष को ही बनाया जाता है. सदन के भीतर प्रतिपक्ष की अगली और दूसरी कतार में कौन नेता बैठेगा, इसकी राय भी विपक्ष के नेता से ली जाती है.
(नई दिल्ली से राम किंकर सिंह की रिपोर्ट)
ये भी पढ़ें: