संसद का शीतकालीन सत्र चल रहा है. आज सत्र का 11वां दिन है. समुद्री जलदस्युता रोधी विधेयक 2019 और संविधान (ST)आदेश (चौथा संशोधन) बिल 2022 को लोकसभा से मंजूरी मिल गई है. कल के सेशन में कई बार लोकसभा की कार्यवाही को स्थगित किया गया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर खड़गे के आपत्तिजनक बयान पर भी जमकर हंगामा हुआ.
हरसिमरत कौर ने जताई चिंता
देश में नशीले पदार्थों के सेवन की समस्या बहुत आम है. खासकर पंजाब राज्य में. इससे निपटने के लिए सरकार के उपायों पर लोकसभा में मंगलवार को चर्चा हुई. शिरोमणि अकाली दल की हरसिमरत कौर बादल ने देश के युवाओं के इस बुराई से पीड़ित होने पर चिंता प्रकट जताई. उन्होंने कहा कि पंजाब इससे पहले कृषि सहित अनेक मानदंडों में अन्य राज्यों से आगे था. उन्होंने राजनीतिक दलों पर आरोप लगाया कि वे पंजाब में नशे की लत पर राजनीति कर रहे हैं और युवाओं के जीवन से खेल रहे हैं. उन्होंने कहा कि पंजाब का युवा इसलिए विदेश भागता है. बीजेपी के सत्यपाल सिंह ने कहा कि नशे के आदी लोग दोषी नहीं बल्कि पीडि़त हैं. उन्होंने कहा कि नशे की लत बीमारी है और सरकार ने इससे निपटने के लिए अनेक कदम उठाए हैं.
ये जहर धीरे-धीरे अन्य राज्यों में भी फैल रहा है. राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी प्रमुख व नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल ने लोकसभा में नियम 193 के तहत नशे के सेवन की समस्या और इस सम्बन्ध में सरकार की ओर से उठाए गए कदमों से जुड़े विषय पर चर्चा में अपनी बात रखी. बेनीवाल ने कहा कि वर्ष 2018 के दौरान NDTC,एम्स नई दिल्ली के माध्यम से भारत में नशीले पदार्थों की प्रमात्रा और पैटर्न पर किये गए राष्ट्रीय सर्वेक्षण के हवाले से कहा कि 10 से 17 वर्ष आयु के बच्चों द्वारा विभिन्न नशीले पदार्थों का किए जाने वाले सेवन से जुड़े जो आंकड़े सामने आए हैं जोकि बेहद चिंताजनक हैं. उन्होंने कहा कि इसे रोकने के लिए हमें जरूरी कदम उठाने चाहिए. आज देश में नशीली दवाओं के खिलाफ सरकार के कदमों पर चर्चा होगी. गृहमंत्री अमित शाह इसका जवाब देंगे.
क्या है नियम-193 ?
दरअसल, भारतीय संविधान के लागू होने के बाद 17 अप्रैल, 1952 को प्रथम लोकसभा के गठन के साथ उसके संचालन की प्रक्रिया के नियम भी तैयार कर लिए गए थे. हालांकि ये नियम मुख्य रूप से संविधान सभा के लिए बनी नियमावली पर आधारित थे. उसी नियमावली के तहत नियम 193 आता है. लोक सभा प्रक्रिया तथा कार्य संचालन नियमों के अध्याय XV में नियम-193 शामिल हैं. नियम-193 यह बताता है कि कोई सदस्य तात्कालिक सार्वजनिक महत्व के एक मामले पर चर्चा के लिए अपने अनुरोध को लिखित रूप में कैसे प्रस्तुत करेगा.
संसदीय कामकाज के नियम 193 के तहत सदन में बिना वोटिंग के तहत बहस का प्रावधान है. किसी मुद्दे पर चार घंटे तक लोकसभा सदस्यों को चर्चा की अनुमति दी जाती है. जबकि लोकसभा के नियम 342 के तहत बिना वोटिंग के लोकहित के किसी मुद्दे पर चर्चा कराई जा सकती है. इसमें ध्वनिमत का प्रावधान है जिसके बाद प्रस्ताव पारित हो सकता है और चर्चा खत्म होने के बाद कोई सवाल नहीं पूछे जाते हैं. नियम 193 के तहत चर्चा में सदन के सामने कोई प्रस्ताव नहीं लाया जाता. सदस्य एक ही सत्र में दो से अधिक चर्चा के प्रस्ताव नहीं रख सकते.