वंदे भारत एक्सप्रेस से सफर कर रहे है एक मुसाफिर के लिए ट्रेन में यात्रा कर रहे डॉक्टर और दूसरे यात्री 'भगवान' बनकर आए और जान बचाई. आइए जानते हैं इस यात्री के साथ क्या हुआ था और कैसे उसकी जान बची.
हालत बिगड़ने लगी
रानी कमलापति रेलवे स्टेशन (भोपाल) से हजरत निजामउद्दीन जाने वाली वंदे भारत एक्सप्रेस 24 अप्रैल को सुबह करीब 5:45 बजे रवाना हुई. इस ट्रेन के सी-10 कोच की सीट नंबर 33 व 34 पर ए-26, पल्लवी नगर, बावडिया कलां निवासी सांची दुग्ध संघ के रिटायर्ड प्लांट मैनेजर अवधेश खरे ( उम्र 72 साल) अपनी पत्नी रीता खरे के साथ यात्रा कर रहे थे. खरे दंपती को गुड़गांव में रहने वाली उनकी बेटी के यहां जाना था. ट्रेन सुबह करीब 6:30 बजे विदिशा रेलवे स्टेशन क्रॉस कर रही थी उसी दौरान अचानक अवधेश की हालत बिगड़ने लगी
पल्स धीमी चल रही थी
खरे की पत्नी ने अन्य यात्रियों से सहायता मांगी. इसी दौरान कोच में मौजूद आरपीएफ कर्मी इंदर सिंह यादव वहां पहुंचे. उन्होंने तुरंत इसकी सूचना टीटी को दी. इसके बाद वॉइस कॉलिंग सिस्टम से ट्रेन मैनेजर को यात्री के बारे में सूचना दी. टीटीई ने तुरंत ट्रेन में सफर कर रहे रेलवे के अपर मुख्य चिकित्सा अधीक्षक (प्रशासन), भोपाल डॉ. कुलदीप स्वरूप मिश्रा को इस बारे में जानकारी दी. एक अन्य डॉक्टर अनुपम शर्मा इसी कोच से सफर कर रहे थे. दोनों ने अवधेश की जांच की. उन्होंने पाया कि खरे की पल्स धीमी चल रही थी और ठंडा पसीना आ रहा है. उल्टी भी हो रही. दोनों डॉक्टरों ने बताया कि अवधेश को माइनर हार्ट अटैक आया है.
यात्रियों ने उपलब्ध कराई दवा
अवधेश की तेजी से हालत बिगड़ रही थी. इसके बाद डॉक्टरों ने जरूरी दवाओं के बारे में अवधेश की पत्नी से पूछा. उनके पास कोई दवा नहीं थी. इसके बाद ट्रेन में अनाउंसमेंट किया गया कि किसी यात्री के पास हार्ट संबंधी दवाइयां हैं तो उपलब्ध करवा दें. इसके बाद कुछ यात्रियों ने संबंधित कोच में पहुंचकर दवाइयां सौंपी. डॉक्टर द्वारा मंगाई गई दवाएं खरे को दी गई. इसके खाने के बाद अवधेश की हालत में धीरे-धीरे सुधार हुआ और हालत स्थिर हो गई. इसके बाद ट्रेन को सुबह 7:10 बजे बीना स्टेशन पर रोककर खरे को अस्पताल पहुंचाया गया. वहां हालत स्थिर होने पर उन्हें एम्बुलेंस से भोपाल भेज दिया गया.