राजधानी में कोरोना के मामलों में लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है. जिसके चलते तमाम बाजारों को मॉल, जिम, स्कूलों को खोल दिया गया है. लेकिन डीटीसी की बसों में सफर करने वाले मुसाफिरों को आज भी परेशान होना पड़ रहा है. दरअसल डीटीसी और मेट्रो के अंदर सरकार की तरफ से 100 प्रतिशत कैपेसिटी के साथ चलने की अनुमति नहीं दी गई है. जिस कारण रोजाना सड़को पर सैकड़ों लोगों को बसों का इंतजार करना पड़ता है. यही नहीं मेट्रो स्टेशन पर भी लोगों को लंबी-लंबी कतारों में खड़ा होना पड़ता है और अगर बस आ भी जाती है, तो कंडक्टर उनको बसों में बैठाने से मना कर देते हैं. ये कहकर कि बस में जगह नहीं है. जिस कारण महिलाओं ओर बुजुर्गो को घण्टों सड़कों पर इंतजार करना पड़ता है.
परेशान हैं दिल्ली के मुसाफिर
जनवरी में कोरोना के बढ़ते मामलों के चलते राजधानी दिल्ली में दिल्ली की डीडीएमए में की जब बैठक हुई थी. उसमें यह फैसला लिया गया था कि मेट्रो, डीटीसी और प्राइवेट बसों को सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए चलाया जाए. लेकिन कोरोना के मामले जब घटने शुरू हुए तो डीडीएमए की तरफ से यह फैसला लिया गया की सिर्फ 100 परसेंट सीटिंग कैपेसिटी के साथ ही मेट्रो और बसों को चलाया जाएगा. लेकिन अब जब कोरोना के मामले लगातार कम हो रहे हैं और सब कुछ खोल दिया गया. ऐसे में बसों में सफर करने वाले मुसाफिर चाहते हैं कि बसों को 100 परसेंट कैपेसिटी के साथ चलाया जाए.
बसों और मेट्रो को पूरी कैपेसिटी के साथ खोलने की मांग
दिल्ली आजतक की टीम ने दिल्ली के अलग-अलग इलाकों से बस स्टैंड पर जब जायजा लिया तो, सड़कों पर बड़ी संख्या में सुबह और शाम के वक्त ट्रैवेल करने वाले लोगों ने बताया कि दिल्ली में वैसे भी बसों की किल्लत है और कोरोना के जब मामले कम हो रहे हैं, तो आखिर सरकार छूट क्यों नहीं दे रही है. लष्मी नगर से आईटीओ जाने वाली बुजुर्ग महिला आशा ने बताया कि उनको रोजाना 1 घंटे बस का इंतजार करना पड़ता है. जब बस नही मिलती तो उनको ऑटो का सहारा लेना पड़ता है. दिल्ली की जनता केजरीवाल सरकार से मांग कर रही है, जब सब कुछ खुल गया है तो बसों को भी खोला जाए और मेट्रो को 100 प्रति कैपेसिटी के साथ चलाया जाए.