पटना हाईकोर्ट ने माना कि किसी महिला के माथे पर जबरदस्ती सिंदूर लगाना हिंदू कानून के तहत शादी नहीं है. जस्टिस पीबी बजंथरी और अरुण कुमार झा की बेंच ने माना कि एक हिंदू शादी तब तक वैध नहीं है, जब तक कि वो स्वेच्छा से ना हो और उसमें सप्तपदी की रस्म ना निभाई गई हो. सप्तपदी रस्म में दूल्हा-दुल्हन पवित्र अग्नि के चारों तरफ 7 फेरे लेते हैं.
कोर्ट ने जबरन शादी को किया रद्द-
दरअसल पटना हाईकोर्ट में एक मामला आया था, जिसमें याचिकाकर्ता ने जबरन शादी का आरोप लगाया था. इस मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने माना कि जबरन सिंदूर लगाना शादी नहीं होता है. इसके साथ ही हाईकोर्ट ने इस जबरन विवाह को रद्द कर दिया. हाईकोर्ट ने ये फैसला 10 नवंबर को दिया था.
अगवा कर की गई थी याचिकाकर्ता की शादी-
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक करीब 10 साल पहले याचिकाकर्ता रविकांत को बिहार के लखीसराय में अगवा कर लिया गया था. उस समय रविकांत सेना में सिग्नलमैन थे. रविकांत को बंदूक की नोंक पर दुल्हन के माथे पर सिंदूर लगाने के लिए मजबूर किया गया. इस मामले में हाईकोर्ट ने कहा कि हिंदू विवाह एक्ट के प्रोविजन्स के अवलोकन से यह साफ है कि जब दूल्हा-दुल्हन पवित्र अग्नि के चारों तरफ 7 फेरे पूरे करते हैं तो शादी पूरी होती है और ये बाध्यकारी भी होती है. इसके विपरित अगर सप्तपदी पूरी नहीं हुई है तो शादी को पूर्ण नहीं माना जाएगा.
पुलिस ने भी नहीं की मदद- याचिकाकर्ता
दरअसल याचिकाकर्ता रविकांत को उनके चाचा के साथ 30 जून 2013 को अगवा किया गया था. उस समय दोनों लखीसराय के एक मंदिर में पूजा करने गए थे. इसके बाद रविकांत को शादी के लिए मजबूर किया गया. इसके बाद रविकांत के चाचा ने इसकी शिकायत पुलिस से की. लेकिन पुलिस ने सुनवाई नहीं की. इसके बाद रवि ने लखीसराय के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत के सामने एक आपराधिक शिकायत दर्ज की. उन्होंने शादी रद्द करने के लिए फैमिली कोर्ट का भी रूख किया. कोर्ट ने 27 जनवरी 2020 को उनकी याचिका खारिज कर दी थी.
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