वैसे तो देशभर में फाल्गुन शुरू होते ही होली की तैयारियां जोर-शोर से शुरू हो जाती हैं. लेकिन उत्तराखंड के गढ़वाल में होली का एक अलग ही रूप दिखता है. पहाड़ में इन दिनों खड़ी और बैठकी होली की धूम देखने को मिल रही है. आज भी पहाड़ के स्थानीय लोगों ने होली के रंगों को फीका नहीं होने दिया है. इसके लिए होली से पहले ही बैठकी होली का आयोजन किया जा रहा है.
पहाड़ में है बैठकी होली की धूम
पहाड़ में बैठकी होली का दौर शुरू हो चुका है. लोकसभा चुनाव के समय में भी स्थानीय लोग यहां होली के रंग को फीका नहीं पड़ने दे रहे हैं. आपको यहां पर्वतीय संस्कृति और पहाड़ी नृत्य की परम्पराओं का समायोजन होली के रंगों में सराबोर होकर देखने को मिलेगा. हर दिन पहाड़ के अलग-अलग क्षेत्रो में खड़ी होली और बैठकी होली के रूप में आयोजन देखने को मिलेगा.
आपको बता दें बैठकी होली बसंत पंचमी के दिन से शुरू हो जाती है, और इस में घर-घर जाकर लोग बैठक लगाकर होली पर आधारित गीत, राग-रागनियों के साथ हारमोनियम और तबले पर गाते- बजाते हैं.
युवाओं को नशे से दूर रखने की कोशिश
उत्तराखंड के प्रवेश द्वार कोटद्वार से 55 किलोमीटर दूर पहाड़ी क्षेत्र सतपुली में होली का त्योहार नज़दीक आते ही जगह- जगह बैठकी होली की धूम शुरू हो गयी है. सतपुली में न्यार घाटी होलियारों की टीम आपको रंग जमाती दिखेगी. होलियारों कहना है कि हमारी नई पीढ़ी को अपनी संस्कृति के बारे में जागरूक करना व त्योहारों को नशे से दूर करने के लिए इस तरह के आयोजन किये जा रहे हैं.
इन आयोजनों से अपनी संस्कृति को भी बचाया जा सकता है और जो पौराणिक त्यौहार है उन्हें नशे से दूर रखा जा सकता है. इसलिए न्यार घाटी होलियारों की टीम हर साल होली पर यह पहल करती है ताकि लोग एक-दूसरे से जुड़कर होली के पवित्र रंग में डूबें न कि नशे में.
(विकास वर्मा की रिपोर्ट)