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Andhra Pradesh के इस Village को लोग कहते हैं अचार गांव, 40 सालों से ग्रामीण बना रहे स्वादिष्ट अचार, ओडिशा से लेकर पश्चिम बंगाल तक है मांग

Andhra Pradesh के पूर्वी गोदावरी जिले स्थित Usulumarru Village के हर घर के लोग अचार बनाने और इसकी बिक्री के कार्य में लगे हुए हैं. यह गांव अब अचार गांव के रूप में जाना जाने लगा है. 

अचार बनाने में जुटे ग्रामीण अचार बनाने में जुटे ग्रामीण
हाइलाइट्स
  • उसुलुमरु गांव के हर घर में बनाया जाता है अचार

  • राज्य के बाहर भी होती है बिक्री

अचार का नाम सुनते ही हमारे मुंह में पानी आ जाता है. इसे खानी की इच्छा होने लगती है. आज हम बात कर रहे हैं आंध्र प्रदेश के ऐसे गांव की जहां के लोग पिछले 40 सालों से तरह-तरह के स्वादिष्ट मसालेदार अचार बना रहे हैं. 

पूर्वी गोदावरी जिले में स्थित उसुलुमरु एक छोटा सा गांव हैं. यहां के प्रायः हर घर के लोग अचार बनाने और इसकी बिक्री के कार्य में लगे हुए हैं. यह गांव अब अचार गांव के रूप में जाना जाने लगा है. यह गांव राजामहेंद्रवरम से 40 किमी और तनुकु शहर से 20 किमी की दूरी पर स्थित है. 

गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं
गांव में प्रवेश करते ही आप देख सकते हैं कि हर घर में अचार बनाने का काम चल रहा है. जिसमें विश्व प्रसिद्ध आम का अचार और उसके बाद नींबू, अदरक, इमली, हरी मिर्च और आंवला का अचार शामिल है. गांव की सड़कों पर कतार में सजी छोटी-छोटी दुकानें, रैक पर बिना ब्रांड वाले अचारों से भरी हुई दिखती हैं. इस गांव का अचार अपने मसालेदार, स्वादिष्ट, गुणवत्ता और मात्रा से समझौता किए बिना किफायती होने के लिए जाना जाता है.

इतने रुपए हर दिन हो जाती है कमाई
उसुलुमरु में अचार बनाने का काम चार दशक से भी अधिक समय पहले शुरू हुआ था. इसे पिल्ला श्रीराममूर्ति परिवार ने आजीविका के रूप में शुरू किया था. अब, गांव की दो तिहाई से अधिक आबादी इस कुटीर उद्योग पर निर्भर है. अचार बनाने से जुड़ी एक महिला औसत रूप से लगभग 300 रुपए और पुरुष 450 रुपए हर दिन कमा लेते हैं. उन्हें यह भुगतान अचार निर्माताओं की ओर से किया जाता है. नियमित आपूर्तिकर्ताओं से अचार बनाने की सामग्री प्राप्त करके इस गांव के पुरुष और महिलाएं समान रूप से अपना काम वितरित करते हैं. महिलाएं जहां अचार की सामग्री को मिलाने का काम करती हैं तो वहीं पुरुष अचार को काटने का काम करते हैं. 

राज्य से बाहर भी बेचते हैं अचार
गांव के कई पुरुष अपने नियमित ग्राहकों जैसे दुकानों, हॉस्टल, होटल और रेस्तरां को उत्पाद की आपूर्ति करने के अलावा राज्य के भीतर और बाहर से नए ग्राहक ढूंढकर अचार को बेचने के कार्य में लगे हुए हैं. मार्केटिंग का दायरा हैदराबाद, विजयवाड़ा, गुंटूर, ओंगोल, विशाखापत्तनम, तिरुपति, चेन्नई, बेंगलुरु से लेकर पश्चिम बंगाल और ओडिशा तक फैला हुआ है. इस गांव की दुकानों के बाहर टंगी सूची में आम, हरी इमली, लाल मिर्च, आंवला, अदरक, नींबू, फूलगोभी, गोंगुरा (लाल शर्बत), करेला और अन्य के अचार शामिल हैं. 

रिटर्न है संतोषजनक 
अचार निर्माता और विक्रेता कोम्मारा वेंकटेश्वरराव, जिनका परिवार दो पीढ़ियों से अचार बनाने का व्यवसाय कर रहा है के मुताबिक अचार की सामग्री की कीमत में भारी वृद्धि हुई है. इसके कारण अचार के दाम भी बढ़ाने पड़े हैं. हालांकि, उनका कहना है कि रिटर्न संतोषजनक है. उनका कहना है कि सरकार या बैंकों से समर्थन अभी नहीं मिल रहा है. हम इस व्यवसाय के लिए निजी फाइनेंसरों से ऋण लेते हैं और दशकों तक भारी ब्याज चुकाते हैं. उसी गांव की अचार बनाने वाली अनंतलक्ष्मी का कहना है कि गांव में कई अन्य सहायक व्यापार भी इस अचार व्यवसाय पर निर्भर हैं. कुछ परिवार अचार बनाने वालों के लिए सामग्री की आपूर्ति करते हैं. इससे उनकी आजीविका चलती है.