आजादी के 75 साल होने पर देश अमृत महोत्सव मना रहा है. इस अवसर को खास बनाने के लिए हर घर तिरंगा योजना की शुरुआत की गई है. इसके तहत 13 अगस्त से 15 अगस्त तक हर घर पर तिरंगा लगाने की अपील की गई है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि जिस तिरंगे के लिए देश के जवान जान की बाजी लगाने को तैयार रहते हैं, जिस तिरंगे को देखकर हमारा मन गर्व से भर जाता है. वो तिरंगा झंडा हमें कैसे मिला? राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा को डिजाइन महान स्वतंत्रता सेनानी पिंगली वेंकैया ने किया था. इसके लिए उन्होंने साल 1916 से 1921 तक करीब 30 देशों के झंडे का अध्ययन किया. इसके बाद उन्होंने तिरंगे को डिजाइन किया था.
कौन थे पिंगली वेंकैया-
पिंगली वेंकैया का जन्म 2 अगस्त 1876 को आंध्र प्रदेश में हुआ था. उनका जन्म मछलीपट्टनम शहर के भाटलापेनुमरु गांव एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था. उनके मात-पिता हनुमंतारायुडु और वेंकटरत्नम्मा के रहने वाले थे. पिंगली की शुरुआती पढ़ाई-लिखाई उनके गांव में ही हुई. 19 साल की उम्र में वो मुंबई चले गए. इस दौरान उनको ब्रिटिश सेना में भर्ती किया गया. उनको लड़ने के लिए साउथ अफ्रीका भेजा गया था. दक्षिण अफ्रीका में पिंगली ने एंग्लो-बोअर युद्ध में हिस्सा लिया.
महात्मा गांधी से मुलाकात के बाद बदल गए पिंगली-
साउथ अफ्रीका में ही पिंगली वेंकैया की मुलाकात महात्मा गांधी से हुई थी. पिंगली महात्मा गांधी से प्रभावित हुए और इसके बाद वो स्वदेश लौट आए. भारत आने के बाद वो स्वतंत्रता की लड़ाई में शामिल हो गए. सेना में रहने के दौरान पिंगली ने यूनियन जैक से राष्ट्रीयता की भावना को प्रभावित होते देखा. भारत आने के बाद के बाद उन्होंने खुद को एक ऐसे झंडे के निर्माण में जुट गए, जो पूरे देश को एक सूत्र में बांध सके.
पिंगली ने राष्ट्रीय ध्वज डिजाइन किया-
पिंगली ने एसबी बोमान जी और उणर सोमानी जी के साथ मिलकर नेशनल फ्लैग मिशन की स्थापना की. पिंगली ने साल 1916 से 1921 तक के बीच 30 देशों के झंडे का अध्ययन किया. इसके बाद 31 मार्च 1921 को भारत का राष्ट्रीय ध्वज डिजाइन किया. विजयवाड़ा के भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की बैठक में महात्मा गांधी ने एक डिजाइन को मंजूरी दी. पिंगली ने हरी और लाल धारियां और केंद्र में गांधीवादी चरखे का झंडे के तौर पर प्रस्ताव रखा था. लेकिन महात्मा गांधी ने इसमें सफेद पट्टी जोड़ने का सुझाव दिया. इस तरह से तिरंगे का डिजाइन तैयार हुआ. इसके बाद से हमेशा कांग्रेस के अधिवेशन में इस झंडे का इस्तेमाल किया गया.
1931 में तिरंगे को बनाया गया राष्ट्रीय ध्वज-
साल 1931 में कांग्रेस की कराची अधिवेशन में एक प्रस्ताव पास करके लाल रंग की जगह केसरिया रंग को मान्यता दी गई. इसके बाद से साल 1947 तक इसे राष्ट्रीय ध्वज माना गया. लेकिन राजेंद्र प्रसाद की अध्यक्षता वाली समिति ने राष्ट्रीय ध्वज में चरखे की जगह धम्म चक्र को जगह दी. जिसके बाद से उस तिरंगा झंडे को अपना लिया गया. जिसपर हम हमेशा गर्व महसूस करते हैं.
मुफलिसी में हुई मौत-
स्वतंत्रता सेनानी पिंगली वेंकैया की मौत बेहद गरीबी में हुई. पिंगली अपने जीवन के आखिरी पड़ाव पर एक झोपड़ी में रहते थे. 4 जुलाई 1963 को उन्होंने आखिरी सांस ली. साल 2009 में उनके नाम से डाक टिकट जारी किया गया. इसके बाद साल 2014 में ऑल इंडिया रेडियो के विजयवाड़ा स्टेशन का नाम उनके नाम पर रखा गया. पिंगली वेंकैया को भारत रत्न देने की मांग भी उठी थी.
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