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Uttarkashi: सिलक्यारा सुरंग में फंसे 41 मजदूरों के लिए बने 'मसीहा', सैल्यूट कर रहा पूरा देश, नई जिंदगी देने वाली टीम के बारे में जानिए

Uttarkashi Tunnel Collapse: सिलक्यारा सुरंग से मजदूरों को बाहर निकालने का रेस्क्यू ऑपरेशन इतना भी आसान नहीं रहा. सरकारों और तमाम बचावकर्मियों को इस सफलता को पाने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ी. कई एजेंसियों के 17 दिनों के गहन प्रयासों के बाद सभी 41 श्रमिकों को मंगलवार को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया. 

Rescue Operation Successful Rescue Operation Successful
हाइलाइट्स
  • राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री ने की सफल ऑपरेशन की सराहना 

  • कई लोगों ने श्रमिकों को बाहर निकालने में निभाई भूमिका

उत्तराखंड के उत्तरकाशी की सिलक्यारा सुरंग में फंसे 41 मजदूरों को सफलतापूर्वक बाहर निकल लिया गया है. रेस्क्यू ऑपरेशन पूरा हो चुका है. पूरे देश की नजर इस ऑपरेशन पर थी. एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, भारतीय सेना और अन्य राज्य और केंद्रीय एजेंसियों को साइट पर तैनात किया गया था. रेस्क्यू ऑपरेशन को सफल बनाने में जिन लोगों ने प्रमुख भूमिका निभाई, आइए उनके बारे में जानते हैं. 

अर्नोल्ड डिक्स
वैज्ञानिक शोधकर्ता और भूमिगत सुरंग विशेषज्ञ अर्नोल्ड डिक्स ने उत्तरकाशी सुरंग हादसे में फंसे मजदूरों को बाहर निकालने में महत्वपूर्व भूमिका निभाई. अर्नोल्ड डिक्स 20 नवंबर को बचाव दल के साथ शामिल हुए थे. उन्होंने सभी को पॉजीटिव रहने की सलाह दी. सुरंग बनाने के लिए अर्नोल्ड डिक्स के पास मोनाश विश्वविद्यालय, मेलबर्न से विज्ञान और कानून की डिग्री है. 

अपने तीन दशकों से अधिक के करियर में अर्नोल्ड डिक्स ने कई भूमिकाएं निभाई हैं, जो मुख्य रूप से अंडरग्राउंड सिक्योरिटी के इर्द-गिर्द घूमती हैं. उनकी वेबसाइट के अनुसार, 2020 में, अर्नोल्ड डिक्स अंडरग्राउंड वर्क्स चैंबर्स बनाने के लिए लॉर्ड रॉबर्ट मेयर पीटर विकरी क्यूसी में शामिल हो गए. 

नीरज खैरवाल
आईएएस अधिकारी नीरज खैरवाल को सिलक्यारा सुरंग ढहने की घटना का नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया था. वह पिछले 10 दिनों से बचाव कार्यों की देखरेख और कमान संभाल रहे थे. खैरवाल घंटे-घंटे पर रेस्क्यू स्थल से सीएमओ और पीएमओ को अपडेट दे रहे थे. वह उत्तराखंड सरकार में सचिव भी हैं.

क्रिस कूपर
क्रिस कूपर दशकों से एक माइक्रो-टनलिंग विशेषज्ञ के तौर पर काम कर रहे हैं. इन्हें खास तौर पर इस रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए बुलाया गया था. ये 18 नवंबर को मौके पर पहुंचे थे. ऐसे में इनका अनुभव बेहद ही कारगर साबित हुआ है. कूपर ने ही कार्य को तेजी से पूरा कराए जाने पर जोर दिया. वह ऋषिकेश कर्णप्रयाग रेल परियोजना के अंतरराष्ट्रीय सलाहकार भी हैं.

सैयद अता हसनैन 
भारतीय सेना के सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल और एनडीआरएफ टीम के सदस्य सैयद अता हसनैन उत्तराखंड सुरंग दुर्घटना में राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की भूमिका की देखरेख कर रहे थे. लेफ्टिनेंट जनरल हसनैन पूर्व में श्रीनगर में तैनात भारतीय सेना की जीओसी 15 कोर के सदस्य थे. इस रेस्क्यू अभियान में इनकी भूमिका भी बेहद महत्वपूर्ण रही है.

रैट होल खनन विशेषज्ञों की टीम
सुरंग में फंसे 41 मजदूरों को बचाने के लिए रविवार यानी 26 नवंबर को साइट पर रैट होल' माइनर्स ने ऑपरेशन शुरू किया. इन रैट माइनर्स को प्राइवेट कंपनी ट्रेंचलेस इंजिनियरिंग सर्विसेज की ओर से बुलाया गया. ये दिल्ली समेत कई राज्यों में वाटर पाइपलाइन बिछाने के समय अपनी टनलिंग क्षमता का प्रदर्शन कर चुके हैं. उत्तरकाशी में इनके काम करने का तरीका 'रैट होल' माइनिंग से अलग था. इस काम के लिए केवल वही लोग बुलाए गए थे जो टनलिंग में माहिर हैं.

2-2 करके अंदर गए रैट माइनर्स
रैट माइनर्स की टीम ड्रिल मशीनों के साथ पहुंचती है, इन्हीं की मदद से मलबे की खुदाई कर रास्ता बनाया जाता है. 2 रैट माइनर्स पाइपलाइन में जाते हैं. एक आगे का रास्ता बनाता है और दूसरा मलबे को ट्रॉली में भरता है. अंदर के दो लोग जब थक जाते हैं तो बाहर से दो अंदर जाते हैं. उत्तरकाशी टनल रेस्क्यू में रैट माइनर्स की दिलेरी ने उम्मीदों को पंख दिए हैं. रेस्क्यू साइट पर उनकी एंट्री कुछ वैसे ही हुई, जैसे फिल्म में हीरो की होती है. सब मामला फंस जाने पर हीरो आता है और सब ठीक कर देता है. उत्तरकाशी की सुरंग में फंसे मजदूरों को बाहर निकालने में इन माइनर्स की भूमिका किसी नायक सरीखी ही है. इनकी मेहनत रंग लाई.

इतने लोग थे बचाव अभियान का हिस्सा 
106 - स्वास्थ्यकर्मी
189 - पुलिस अधिकारी
39 - एसडीआरएफ
62 - एनडीआरएफ
17 - आईटीबीपी 35 बीएन
60 - आईटीबीपी 12 बीएन -
12 - फायर मैन उत्तरकाशी
7- वायरलेस पुलिस
24- डीडीएमए
46 - जल संस्थान उत्तरकाशी
7- जल निगम को भुगतान करें
9 - डीएसओ उत्तरकाशी
3 - सूचना विभाग
32 - यूपीसीएल
1 - सीडी पीडब्लूडी चिन्यालिसोर