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G-20 में PM Modi ने UNSC के विस्तार की कही है बात, जानिए संयुक्त राष्ट्र की स्थायी सदस्यता मिली तो कितनी बढ़ जाएगी भारत की ताकत

UN Security Council में वीटो पावर सिर्फ पांच स्थायी देशों के पास है. वीटो पावर स्थायी सदस्यों को सुरक्षा परिषद के किसी भी प्रस्ताव को वीटो (अस्वीकार) करने का अधिकार देता है. भारत काफी दिनों से स्थायी सदस्य बनाने की मांग कर रहा है.

जी-20 के मंच पर बोलते पीएम नरेंद्र मोदी जी-20 के मंच पर बोलते पीएम नरेंद्र मोदी
हाइलाइट्स
  • 24 अक्टूबर 1945 को हुई थी संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना 

  • तब से लेकर आजतक इसके पांच ही हैं स्थायी सदस्य

भारत ने एक बार फिर संयुक्त राष्ट्र संघ के विस्तार की बात कही है. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में भारत को स्थायी सदस्यता देने की मांग की है. जी हां, नई दिल्ली में आयोजित जी-20 शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से लेकर वर्तमान विश्व की हकीकत के अनुरूप अन्य प्रमुख वैश्विक संस्थाओं में सुधार और वाजिब हिस्सेदारी की पुरजोर आवाज उठाई.  

पीएम मोदी ने सुधारों पर धीमी रफ्तार को लेकर चेताया
पीएम मोदी ने कहा कि विश्व को एक बेहतर भविष्य की तरफ ले जाने के लिए जरूरी है कि वैश्विक व्यवस्थाएं वर्तमान की वास्तविकताओं के मुताबिक हों. सुरक्षा परिषद में सुधार में तेजी लाने पर जोर देते हुए पीएम मोदी ने कहा कि जब इसकी स्थापना हुई तो 51 सदस्य देश थे, जो आज 200 के करीब हो गए हैं. 

दुनिया बहुत बदल चुकी है
पीएम मोदी ने कहा कि इसके बावजूद यूएनएससी में स्थाई सदस्य आज भी उतने ही हैं. तब से आज तक दुनिया हर लिहाज से बहुत बदल चुकी है. सुधारों पर धीमी रफ्तार को लेकर चेताते हुए पीएम मोदी ने कहा कि प्रकृति का नियम है कि जो व्यक्ति और संस्था समय के साथ स्वयं में बदलाव नहीं लाते वे अपनी प्रासंगिकता खो देते हैं इसलिए खुले मन से विचार करना होगा कि आखिर क्या कारण है कि बीते वर्षों में अनेक रीजनल फोरम अस्तित्व में आए हैं और प्रभावी भी सिद्ध हो रहे हैं.

संयुक्त राष्ट्र संघ के मूल संस्थापक सदस्यों में से एक है भारत
संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना 24 अक्टूबर 1945 को हुई थी. भारत इसके मूल संस्थापक सदस्यों में है. यानी जिन देशों ने संयुक्त राष्ट्र के घोषणापत्र पर हस्ताक्षर किया था, भारत उनमें एक था. उस समय संयुक्त राष्ट्र संघ में पांच सदस्यों चीन, फ्रांस, रूस, ब्रिटेन और संयुक्त राज्य अमेरिका को स्थायी सदस्यता प्रदान की गई. जिन्हें वीटो पॉवर भी मिला. कहा जाता है कि उस समय भारत को भी स्थायी सदस्यता ऑफर हुई थी, लेकिन तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने इसे स्वीकार नहीं किया था. हालांकि इसे लेकर विवाद है.

सुरक्षा परिषद के सबसे ताकतवर अंग
ऐसे तो संयुक्त राष्ट्र के 6 प्रमुख अंग हैं. महासभा, सुरक्षा परिषद, आर्थिक और सामाजिक परिषद, न्यासी परिषद, इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस और सचिवालय. इनमें से महासभा या जनरल असेंबली और सुरक्षा परिषद सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है. महासभा में सभी सदस्य देश शामिल होते हैं. वहीं सुरक्षा परिषद में 5 स्थायी सदस्य अमेरिका, रूस, चीन, ब्रिटेन और फ्रांस हैं, जिनके पास वीटो शक्ति है. वहीं सुरक्षा परिषद में 10 अस्थायी सदस्य भी होते हैं जो दो वर्ष के लिए संयुक्त राष्ट्र महासभा की ओर से चुने जाते हैं.

सिर्फ एक बार किया गया है बदलाव 
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के ढांचे में  सिर्फ एक बार बदलाव किया गया है. ये बदलाव भी अस्थायी सदस्यों की संख्या से जुड़ा था. गठन के 18 साल बाद यूएन महासभा ने संयुक्त राष्ट्र के चार्टर में संशोधन कर सुरक्षा परिषद के अस्थायी सदस्यों की संख्या 6 से बढ़ाकर 10 कर दिया. ये संशोधन 1965 से लागू हुआ था. इससे साथ सुरक्षा परिषद में स्थायी और अस्थायी सदस्यों को मिलाकर कुल 15 सदस्य हो गए, जिनमें 5 स्थायी और 10 अस्थायी सदस्य की व्यवस्था बन गई. तब से लेकर अब तक यहीं व्यवस्था बरकरार है. स्थायी सदस्यों की व्यवस्था में तो कभी बदलाव ही नहीं हुआ है.

क्या है वीटो पॉवर
यदि सुरक्षा परिषद में कोई प्रस्ताव आता है और कोई एक स्थायी सदस्य देश इससे सहमत नहीं है तो ये प्रस्ताव पास नहीं होगा या अमल में नहीं आएगा. दूसरे शब्दों में कहे तो किसी भी प्रस्ताव को यदि सुरक्षा परिषद में पास होना है तो उसके पांच स्थायी सदस्यों की सर्वसम्मत्ति जरूरी है. यदि कोई एक देश भी विरोध करते हुए इसके खिलाफ वोट करता है तो ये वीटो कहलाता है.
संयुक्त राष्ट्र संघ सुरक्षा परिषद में इसके स्थायी सदस्य किसी प्रस्ताव को रोक सकते हैं या सीमित कर सकते हैं.

सुरक्षा परिषद के ढांचे में बदलाव की मांग
भारत समेत जापान, जर्मनी, दक्षिण अफ्रीका और ब्राजील देश संयुक्त राष्ट्र में लंबे वक्त से सुधार की मांग करते आ रहे हैं. भारत का प्रमुख जोर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार को लेकर रहा है. हम कह सकते हैं कि सुधार की मांग करने वालों में भारत शुरू से सबसे आगे रहा है. पांच स्थायी सदस्यों में से 4 अमेरिका, रूस, फ्रांस और ब्रिटेन सैद्धांतिक तौर से भारत की दावेदारी का समर्थन करते हैं, लेकिन इन देशों की ओर से कभी भी यूएन सिक्योरिटी काउंसिल में सुधार के लिए कोई ठोस पहल नहीं की गई है. 

स्थायी सीट के लिए भारत की क्या है दलील 
1. ये दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र देश है.
2. ये 120 करोड़ से अधिक की आबादी वाला देश है.
3. ये दुनिया की पांच बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में शुमार होता है.
4. भारत की सेनाएं दुनिया की पांच बड़ी सेनाओं में शामिल हैं.
5. हर शांति मिशन में भारत अपनी सेना भेजता है.

भारत स्थायी सदस्य बन जाता है तो वीटो के साथ मिलेंगी ये पॉवर
भारत यदि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य बन जाता है तो क्या होगा, कितना ताकतवर हो जाएगा भारत. विशेषज्ञ कहते हैं कि तब भारत पास एक ऐसी वीटो पॉवर आ जाएगी, जिससे काफी हद तक एशिया में शक्ति संतुलन ही बदल जाएगा. तब एशिया महाद्वीप में केवल चीन ही नहीं बल्कि भारत भी एक बड़ी राजनीतिक ताकत के रूप में शुमार होने लगेगा. दुनिया में यकीनन हमारा दबदबा और ताकत दोनों बढ़ेगी. तब भारत की बात अंतरराष्ट्रीय मंचों पर कहीं ज्यादा गंभीरता से सुनी जाएगी

चीन की मर्जी नहीं चल पाएगी
अब तक एशिया को लेकर कई ऐसे फैसले संयुक्त राष्ट्र में आते हैं, जिसे चीन अपनी मर्जी से मानता है या नहीं मानता है. पाकिस्तान भी चीन की आड़ में अपने ऐसे खेल खेल रहा है, जो दक्षिण एशिया के लिए खतरनाक बनते जा रहे हैं.

पाकिस्तान की आतंकी गतिविधियों पर लगेगा अंकुश 
विशेषज्ञों का मानना है कि भारत के पास वीटो पॉवर होने पर काफी हद तक न केवल पाकिस्तान की आतंकवादी गतिविधियों बल्कि चीन से उसे मिलने वाले सहयोग पर अंकुश लगता. चीन और पाकिस्तान को हमेशा ही ये आशंका सताती रहती कि भारत स्थायी सदस्य बनने पर न केवल कभी भी सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्यों की मीटिंग बुला सकता है बल्कि इस मामले पर प्रस्ताव भी ला सकता है. जिसे मानना सभी देशों के लिए एक बाध्यता होगी.

दुनिया में जाहिर होगी भारत की ताकत 
अब तक एशिया में केवल चीन के पास वीटो की ताकत है. ये वो ताकत है जिसके जरिए आप दुनिया को लेकर किए जा रहे कई फैसलों को न केवल प्रभावित करते हैं बल्कि ऐसा फैसला ले सकते हैं जिसमें आपकी ताकत जाहिर हो. भारत यदि संयुक्त राष्ट्र का स्थायी सदस्य बन जाता है तो दुनिया में उसकी ताकत जाहिर होगी.

चीन नहीं कर पाएगा फिर ऐसा 
इसे इस बात से भी देखा जा सकता है कि वर्ष 2009 में भारत ने पहली बार जैश ए मोहम्मद आतंकवादी संगठन के मुखिया मसूद अजहर पर प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव पेश किया था लेकिन पाकिस्तान से दोस्ती के चलते चीन ने इस पर वीटो लगा दिया. चीन ने एक बार नहीं बल्कि चार बार इस संबंध में लाए गए प्रस्ताव को वीटो लगाकर रोका. 

यदि भारत संयुक्त राष्ट्र का स्थायी सदस्य होता शायद ऐसा नहीं होता तब पाकिस्तान को भी ये डर रहता कि उसके पड़ोस में ऐक ऐसा देश बैठा है, जो वीटो पॉवर से लैस है. लिहाजा पाकिस्तान इस समय आतंकवाद की जितनी हरकतें कर रहा, वो करने से पहले उसे दस बार सोचना जरूरत पड़ता.

ड्रैगन को पाक का साथ देने से पहले कई बार सोचना होगा
भारत को स्थायी सदस्यता मिलने पर चीन (ड्रैगन) को भी पाकिस्तान का साथ देने से पहले कई बार सोचना पड़ता. अंतरराष्ट्रीय राजनीति में तब भारत का कद ही अलग होगी.