प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को वेस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर के संचालन के लिए ऑपरेशन कंट्रोल सेंटर का उद्घाटन कर दिया है. ये ऑपरेशन कंट्रोल सेंटर अहमदाबाद में स्थित है. देश में मालगाड़ियों के लिए 2 कॉरिडोर का निर्माण किया गया है. ये देश का दूसरा डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (DFC) है. इससे पहले ईस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर लॉन्च किया जा चुका है. इसका उद्देश्य रेलवे नेटवर्क में भीड़भाड़ को कम करना है.
रेलवे लाइन से ट्रैफिक कम करना है उद्देश्य
इन कॉरिडोर की मदद से बंदरगाहों से माल को समय से पहुंचाया जा सकेगा. इतना ही नहीं बल्कि इस कॉरिडोर के बन जाने से मेन रेलवे लाइन से ट्रैफिक कम किया जा सकेगा. ऐसे में यात्री ट्रेनों को चलने और पहुंचने में देरी नहीं होगी बल्कि उनकी स्पीड बढ़ जाएगी. इससे मालगाड़ी की स्पीड भी बढ़ जाएगी.
इस कॉरिडोर में 401 किलोमीटर लंबे नए खुर्जा जंक्शन-सनेहवाल सेक्शन और डब्ल्यूडीएफसी के 224 किलोमीटर लंबे नए मकरपुरा जंक्शन-घोलवड सेक्शन शामिल है. बता दें, ईस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर की लंबाई 1839 किलोमीटर है जबकि बेस्टर्न फ्रेट कॉरिडोर की लंबाई 1504 किलोमीटर है.
कई राज्यों को देगा बेहतर कनेक्टिविटी
ईडीएफसी का ये नया सेक्शन उत्तर प्रदेश, हरियाणा और पंजाब के 12 जिलों में प्रमुख कृषि और औद्योगिक क्षेत्रों से होकर गुजरता है. इसकी मदद से क्षेत्र में आर्थिक विकास के लिए बेहतर कनेक्टिविटी और कुशल परिवहन तंत्र को बढ़ावा मिलेगा.
इसी तरह, डब्ल्यूडीएफसी पर 244 किलोमीटर का सेक्शन गुजरात के पांच जिलों, वडोदरा, भरूच, सूरत, नवसारी और वलसाड को जोड़ेगा. इससे राज्य में व्यापार और वाणिज्य को बढ़ावा दिया जा सकेगा और आर्थिक विकास हो सकेगा.
ट्रेन मैनेजमेंट सिस्टम और माल ढुलाई जानकारी मिलेगी
WDFC का केंद्र अहमदाबाद है. 1,506 किलोमीटर लंबे गलियारे की मदद से मालगाड़ी संचालन को और बेहतर किया जा सकेगा. मालगाड़ी के टाइम की निगरानी से लेकर उसके नियंत्रण के लिए एडवांस टेक्नोलॉजी का भी सहारा लिया जा सकेगा.
वहीं, ऑपरेशन कंट्रोल सेंटर के आ जाने से ट्रेन मैनेजमेंट सिस्टम, माल ढुलाई की जानकारी और सुपरवाइजर कंट्रोल, मालगाड़ियों के बीच में तालमेल बिठाना और डेटा की देखरेख की जा सकेगी.
माल एक जगह से दूसरी जगह ले जाना हो गया है आसान
ईस्टर्न और वेस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर से भारत में माल को एक जगह से दूसरे जगह ले जाना आसान हो गया है. 100 किमी प्रति घंटे तक की गति से चलने वाली मालगाड़ियों के साथ, ईडीएफसी ने पहले ही इनके चलने के समय को कम कर दिया है, जिससे ऊर्जा क्षेत्र को बढ़ावा मिला है. इसी तरह, डब्ल्यूडीएफसी ने दूध, सब्जियां, फल और कृषि उत्पादों जैसे खराब होने वाले सामानों के परिवहन में तेजी ला दी है. माल ढुलाई में यह तेजी कृषि व्यापार को बढ़ावा दे रही है और देश की कृषि अर्थव्यवस्था में योगदान दे रही है.
दोनों कॉरिडोर हैं फायदेमंद
ईडीएफसी की मदद से हर दिन 150 से ज्यादा ट्रेनें 50-60 किमी प्रति घंटे की औसत गति से चलती हैं. वहीं, डब्ल्यूडीएफसी, अभी केवल 81 प्रतिशत ही पूरा हुआ है, इसपर हर दिन 100 से ज्यादा ट्रेनें 50-55 किमी प्रति घंटे की औसत गति से चलती हैं.