प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज उत्तराखंड के एक दिवसीय दौरे पर जाएंगे. इस दौरान वह पार्वती कुंड और जागेश्वर धाम में पूजा-अर्चना करेंगे और पिथौरागढ़ में लगभग 4,200 करोड़ रुपये की विकास परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास करेंगे. आपको बता दें कि जागेश्वर धाम के बारे में मान्यता है कि यह प्रथम मंदिर है जहां लिंग के रूप में शिवपूजन की परंपरा सबसे पहले आरंभ हुई थी. जागेश्वर धाम योगेश्वर ज्योतिर्लिंग नाम से भी जाना जाता है.
मान्यता है कि जागेश्वर का प्राचीन मृत्युंजय मंदिर धरती पर स्थित बारह ज्योतिर्लिंगों का उद्गम स्थल है. यह भी मान्यता है कि मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम के पुत्रों लव-कुश ने अपने पिता की सेना से युद्ध किया था और राजा बनने के बाद वे यहां आए थे. दरअसल लव-कुश अज्ञानतावश किए युद्ध के प्रायश्चित के लिए इस जगह पर ही यज्ञ आयोजित किया था, जिसके लिए उन्होंने देवताओं को आमंत्रित किया था. कहा जाता है कि लव-कुश ने ही सर्वप्रथम इन मंदिरों की स्थापना की थी. वह यज्ञ कुंड आज भी यहां विद्यमान है.
रावण, पांडव और मार्कण्डेय ऋषि द्वारा जागेश्वर धाम में शिव पूजन का उल्लेख मिलता है. यहां पांडवों के आश्रय होने के आज भी अनेक मूक साक्ष्य मिलते हैं. हालांकि मंदिर का निर्माण किसने किया इसके बारे में साक्ष्य प्रमाण नहीं मिल पाए हैं.
नागेश्वर ज्योतिर्लिंग पर अलग-अलग मान्यताएं
मंदिर प्रशासन के अनुसार यह ज्योतिर्लिंग 12 ज्योतिर्लिंग में से 8वां ज्योतिर्लिंग है लेकिन नागेश्वर ज्योतिर्लिंग के स्थान को लेकर लोगों का एकमत नहीं है. क्योंकिकुछ लोग नागेश नामक ज्योतिर्लिंग जो गुजरात के बड़ौदा क्षेत्र में गोमती द्वारका के समीप है, उसे 12 ज्योतिर्लिंग में से एक मानते हैं तो कुछ लोग दक्षिण हैदराबाद में स्थित शिवलिंग का नागेश्वर ज्योतिर्लिंग मानते हैं और कुछ लोग मानते हैं कि यह ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के हिंगोली जिले में स्थित औंढ़ा नागनाथ नामक जगह पर है. वहीं उत्तराखंड के लोगों का मानना है कि यह ज्योतिर्लिंग अल्मोड़ा के समीप जागेश्वर नामक जगह पर स्थित है.
पर्यटन को बढ़ावा देने पर जोर
पुराणों में गढ़वाल को केदारखंड तो कुमाऊं मंडल को मानसखंड के रूप में जाना जाता है. सरकार अब पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से गढ़वाल के चार धाम की तर्ज पर कुमाऊं के मंदिरों को विकसित करना चाहती है. इसके लिए मानसखंड कॉरिडोर नाम से प्रोजेक्ट तैयार किया जा रहा है, जिसे मंदिरमाला प्रोजेक्ट भी कहा जा रहा है. इसके तहत कुमाऊं के प्रमुख मंदिरों को बेहतर सड़कों से कनेक्ट किया जाएगा. गढ़वाल और कुमाऊं के बीच रोड कनेक्टिविटी भी सुधारी जाएगी.
मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने कहा कि प्रधानमंत्री का सीमांत क्षेत्रों के प्रति विशेष लगाव है. ऐसे गांव उनकी सर्वोच्च प्राथमिकता में हैं. उन्होंने अंतिम गांव को पहला गांव का माना है. हाल ही में वह माणा क्षेत्र में आए थे. उनके वहां आने से माणा क्षेत्र को नई पहचान मिली. सरकार अब मानसखंड कॉरिडोर बना रही है. कैलाश यात्रा का मार्ग भी तैयार हो रहा है. मंशा है कि चारधाम यात्रा पर जो यात्री आएं वे मानसखंड गलियारे में शामिल तीर्थस्थलों में भी जाएं.
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(संजय सिंह की रिपोर्ट)