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PM मोदी आज करेंगे कृष्ण जन्मभूमि के दर्शन: कृष्ण के प्रपौत्र वज्रनाभ ने बनवाया था पहला मंदिर, जानें इसका इतिहास 

मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मस्थान एक ऐसा स्थान हैं जहां देश के कोने-कोने से कृष्ण भक्त आते हैं, जिस जगह पर आज कृष्‍ण जन्‍मस्‍थान है, वह पांच हजार साल पहले राजा कंस का कारागार हुआ करता था. इसी कारागार में रोहिणी नक्षत्र में भगवान कृष्‍ण का जन्म हुआ था

The Krishna Janmabhoomi in Mathura, Uttar Pradesh. The Krishna Janmabhoomi in Mathura, Uttar Pradesh.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज मथुरा दौरे पर हैं. इस दौरे से पहले श्री कृष्ण जन्मभूमि में तैयारियां की जा रही हैं. पीएम मोदी मथुरा पहुंचने के बाद सबसे पहले श्रीकृष्ण जन्मभूमि के दर्शन करने जाएंगे. इस दौरान उनके साथ यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ समेत कई बड़े बीजेपी के नेता मौजूद रहेंगे. नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री पद पर रहते हुए श्रीकृष्ण जन्मभूमि के दर्शन करने वाले पहले नेता होंगे. भगवान श्री कृष्ण की पूजा के बाद प्रधानमंत्री बृज रज महोत्सव में शिरकत करेंगे. यहां पर वह मीराबाई के नाम पर डाक टिकट जारी करेंगे. इस महोत्सव में अभिनेत्री हेमा मालिनी परफॉमेंस देने वाली हैं.

मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मस्थान एक ऐसा स्थान हैं जहां देश के कोने-कोने से कृष्ण भक्त आते हैं, जिस जगह पर आज कृष्‍ण जन्‍मस्‍थान है, वह पांच हजार साल पहले राजा कंस का कारागार हुआ करता था. इसी कारागार में रोहिणी नक्षत्र में भगवान कृष्‍ण का जन्म हुआ था. 

भगवान कृष्ण के प्रपौत्र बज्रनाभ ने बनावाया था मंदिर

कारागार के पास सबसे पहले भगवान कृष्ण के प्रपौत्र बज्रनाभ ने अपने कुलदेवता की स्मृति में एक मंदिर बनवाया था. दूसरी बार मंदिर सम्राट विक्रमादित्य के शासन काल में में 400 ईसवी में बनवाया गया था. यह मंदिर काफी भव्‍य था. हालांकि इस भव्य मंदिर को महमूद गजनवी ने तोड़ दिया था. इसके बाद 1150 ईस्वी में राजा विजयपाल देव के शासनकाल में श्रीकृष्ण जन्मभूमि पर तीसरी बार भव्य मंदिर का निर्माण हुआ. हालांकि इस मंदिर को भी 16वीं शताब्दी में तोड़ दिया गया. 

1982 में बना वर्तमान मंदिर

इसके बाद ओरछा के राजा वीर सिंह देव बुंदेला ने चौथी बार मंदिर बनवाया. बाद में औरंगजेब ने इस मंदिर को तुड़वाकर यहां ईदगाह का निर्माण करा दिया. इसके बाद ब्रिटिश शासनकाल में नीलामी के दौरान बनारस के राजा पटनीमल ने इस जगह को खरीद लिया. 1940 में जब पंडि‍त मदन मोहन मालवीय श्रीकृष्ण जन्मस्थान आए तो यहां की स्थिति देख बेहद परेशान हुए और उद्योगपति जुगलकिशोर बिड़ला को श्रीकृष्ण जन्मभूमि के पुनर्रुद्धार को लेकर एक पत्र लिखा. और लंबी कवायद के बाद 1951 में श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट की स्थापना हो पाई. और तब जाकर वर्तमान मंदिर का निर्माण कार्य 1982 में पूरा हुआ.

हालांकि अभी इस जगह पर मालिकाना हक के लिए दो पक्षों में कोर्ट में विवाद चल रहा है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कृष्ण जन्मभूमि के एडवोकेट कमिश्नर के सर्वे को लेकर अपना ऑर्डर रिजर्व रखा है और कभी भी इसपर फैसला आ सकता है. हिंदू पक्ष को उम्मीद है कि ज्ञापवापी की तर्ज पर कृष्णजन्मभूमि का एडवोकेट सर्वे भी होगा.