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PM Modi Saudi Visit: अगले हफ़्ते सऊदी अरब का दौरा करेंगे पीएम मोदी, व्यापार से लेकर हथियार तक, जानिए किन बातों पर होगी चर्चा

विक्रम मिसरी ने बताया कि सऊदी अरब का जेद्दाह शहर पीएम मोदी की मेज़बानी करेगा. मिसरी ने कहा कि लाल सागर में जहाज़ों पर होने वाले हौसी चरमपंथी समूह के हमलों पर भारत ने 'नज़र बनाए रखी है' और बैठक में इसपर चर्चा हो सकती है.

Narendra Modi and Mohammed Bin Salman (File Photo) Narendra Modi and Mohammed Bin Salman (File Photo)

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 22 अप्रैल को सऊदी अरब के दो-दिवसीय दौरे पर रवाना होंगे. यह प्रधानमंत्री बनने के बाद से सऊदी अरब का पीएम मोदी का तीसरा दौरा होगा. इससे पहले मोदी 2016 और 2019 में भी सऊदी अरब जा चुके हैं. विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने शनिवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि डिफेंस इस दौरे के प्रमुख मुद्दों में से एक होगा. इस बैठक में किन मुद्दों पर चर्चा होने की संभावना है, आइए डालते हैं नज़र.

हौसियों के हमलों पर होगी चर्चा
विक्रम मिसरी ने बताया कि सऊदी अरब का जेद्दाह शहर पीएम मोदी की मेज़बानी करेगा. मिसरी ने कहा कि लाल सागर में जहाज़ों पर होने वाले हौसी चरमपंथी समूह के हमलों पर भारत ने 'नज़र बनाए रखी है' और बैठक में इसपर चर्चा हो सकती है. मिसरी ने कहा, "शिपिंग और नेविगेशन पर हौसियों के हमलों पर भारत बारीकी से नज़र रख रहा है."

उन्होंने कहा, "हम इस क्षेत्र में हो रहे घटनाक्रमों पर चिंता के साथ नज़र रख रहे हैं. हमें अपने जहाजों और नाविकों की सुरक्षा को लेकर बहुत चिंता है. भारतीय नौसेना ने नाविकों की सुरक्षा के लिए पहले ही कई ऑपरेशन किए हैं. इस विशेष क्षेत्र में दोनों पक्षों के हितों को देखते हुए, मुझे लगता है कि यह चर्चा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होगा." 

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भारत-मिडल ईस्ट-यूरोप कॉरिडोर जरूरी
मिसरी ने कहा कि इस दौरे पर डिफेंस चर्चा का अहम क्षेत्र होगा. इसके अलावा व्यापार, निवेश और ऊर्जा सहयोग पर भी चर्चा होगी. भारत-मिडल ईस्ट-यूरोप कॉरिडोर (IMEEC) को दोबारा शुरू करना भी एजेंडे का हिस्सा होगा. यह यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब अमेरिका ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर रोक लगाने के लिए उससे बातचीत कर रहा है, जबकि इसरायल हमास और हिजबुल्लाह को गहरी चोट पहुंचा चुका है. 

क्षेत्रीय स्थिति अभी भी उथल-पुथल में है, लेकिन भारत स्थिरता बहाल करने के लिए सऊदी अरब और क्षेत्र के अन्य भागीदारों के साथ जुड़ने का इच्छुक है. इसकी वजह यह है कि अरब में स्थिरता के बिना भारत-मिडल ईस्ट-यूरोप कॉरिडोर को शुरू नहीं किया जा सकता. यह कॉरिडोर भारत को यूरोप से मिडल ईस्ट के जरिए जोड़ेगा. ऐसे में मिडल ईस्ट में शांति इस दौरे का अहम मुद्दा होगा. 

एनर्जी क्षेत्र में सऊदी का साथ अहम
सऊदी अरब के साथ संबंध ऊर्जा सुरक्षा के लिए जरूरी हैं. साल 2023-24 में यह देश भारत का तीसरा सबसे बड़ा कच्चा तेल और पेट्रोलियम उत्पाद सोर्सिंग डेस्टिनेशन था. भारत ने 2023-24 में सऊदी अरब से 33.35 एमएमटी कच्चा तेल आयात किया था. यह हमारे कुल कच्चे तेल आयात का 14.3% है. 

सिर्फ यही नहीं, इस अवधि में भारत के लिए सऊदी अरब तीसरा सबसे बड़ा एलपीजी सोर्स. भारत के कुल एलपीजी आयात में सऊदी अरब की हिस्सेदारी 18.2% थी. भारत की ऊर्जा जरूरतों पर चर्चा करते हुए दिल्ली सऊदी के साथ बेहतर सौदों के लिए जुड़ना चाहेगी. 

और बढ़ सकता है द्विपक्षीय व्यापार
व्यापार और निवेश भी एक ऐसा क्षेत्र है जिसे दोनों देश एक पायदान ऊपर ले जाना चाहेंगे. पिछले कुछ सालों में द्विपक्षीय व्यापार संबंधों में लगातार इजाफा हुआ है. भारत सऊदी अरब का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है. सऊदी अरब भी भारत का पांचवां सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है. 

साल 2023-24 में द्विपक्षीय व्यापार 42.98 अरब अमेरिकी डॉलर रहा. इसमें भारतीय निर्यात 11.56 अरब अमेरिकी डॉलर और आयात 31.42 अरब अमेरिकी डॉलर रहा. हाल के वर्षों में सऊदी अरब में भारतीय निवेश में भी वृद्धि हुई है. यह अगस्त 2023 में लगभग तीन अरब अमेरिकी डॉलर के आंकड़े तक पहुंच गया है. भारत में सऊदी का निवेश लगभग 10 बिलियन अमेरिकी डॉलर रहा है. इन निवेशों को भी बढ़ाने की कोशिश की जाएगी. 

मजबूत हो सकते हैं डिफेंस रिश्ते
साझेदारी का एक नया क्षेत्र जो हाल के सालों में मजबूत हुआ है, वह है भारत-सऊदी अरब रक्षा संबंध. फरवरी 2024 में रियाज़ के वर्ल्ड डिफेंस शो में हिस्सा लेकर भारत के तत्कालीन मिनिस्टर ऑफ स्टेट (डिफेंस) अजय भट्ट ने इन रिश्तों को मजबूती दी थी. मिसरी ने स्पष्ट किया है डिफेंस इस बैठक में चर्चा का एक 'अहम' क्षेत्र होगा. ऐसे में इस बैठक में डिफेंस से जुड़ी कुछ बड़ी घोषणाएं हो सकती हैं.