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PM Modi Varanasi Visit: संत रविदास की 25 फुट की मूर्ति के अनावरण के साथ पीएम मोदी किसानों को क्या देना चाहते हैं संदेश...क्या हैं इसके सियासी मायने

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 23 फरवरी को वाराणसी में 14,000 करोड़ रुपये से अधिक की परियोजनाओं का शिलान्यास और उद्घाटन करेंगे. वह 22 फरवरी को अपने संसदीय क्षेत्र पहुंचेंगे. यहां वो 25 फीट की भगवान रविदास की मूर्ति का अनावरण करेंगे.

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पीएम मोदी अपने बनारस दौर में रविदास मंदिर जा रहे हैं जहां रविदास संप्रदाय को मानने वाले करीब 40 हजार लोगों को प्रधानमंत्री मोदी संबोधित करेंगे. उससे पहले संत रविदास के मंदिर में मत्था टेकेंगे और लंगर छकेंगे. इसके बाद मंदिर के पास एक बड़े मैदान में 25 फीट की भगवान रविदास की मूर्ति का अनावरण करेंगे.

भगवान रविदास को रैदास संप्रदाय अपना इष्ट,अपना भगवान मानता है.उत्तर प्रदेश में दलितों की सबसे बड़ी बिरादरी जाटव समाज के भगवान के तौर पर भगवान रविदास को पूजा जाता है. इसके अलावा पंजाब और हरियाणा के जो दलित सिख हैं वह भी रविदास को अपना इष्ट मानते हैं.रविदास को मानने वालों की तादाद देश में करोड़ों में है.यूं तो सभी बिरादरियों में भगवान रविदास को मानने वालों की संख्या है. लेकिन दलितों और इसके अलावा दुनिया भर में फैले हुए सिखों में भी खासकर कनाडा और ऑस्ट्रेलिया में रविदास संप्रदाय के लोग बसे हैं हजारों लोग हर साल रविदास जयंती पर वाराणसी आते हैं.

दुनिया भर में हैं संत रविदास के अनुयाई
संत रविदास मध्यकाल के सबसे बड़े भक्ति कवियों में शुमार किए जाते हैं. इनके कई रचे हुए दोहों को सिख गुरुओं ने अपने ग्रंथों में में स्थान दिया है. कृष्ण की मीरा भी संत रविदास को अपना गुरु मानती रही है. ऐसे में भक्ति आंदोलन में संत रविदास की भूमिका बड़ी अहम मानी गई है. जाति-पाति तोड़ने और भक्ति के मार्ग पर सभी जातियों को जोड़ने वाले कवि के तौर पर संत रविदास को जाना जाता है जिनके अनुयाई इस वक्त दुनिया भर में फैले हैं.माघ पूर्णिमा के दिन रविदास जयंती मनाई जाती है और इस दिन दुनिया भर से संत रविदास के अनुयाई वाराणसी पहुंचते हैं.

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क्या है इसका सियासी मतलब
दलित संत के तौर पर भी रविदास को माना जाता है और बहुजन बस्तियों में संत रविदास की मूर्ति दिखाई देती है.लेकिन प्रधानमंत्री का अपने लोकसभा क्षेत्र वाराणसी में संत रविदास की 25 फीट की मूर्ति का अनावरण और मंदिर में जाकर मत्था टेकने और लंगर छकने के सियासी निहितार्थ भी निकाले जा रहे हैं. माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री की संत रविदास मंदिर की यह यात्रा पंजाब और हरियाणा के किसानों को संदेश देने के लिए भी है. इस वक्त बड़ी तादाद में सिख किसान पंजाब और हरियाणा के बॉर्डर पर जमे हैं. ऐसे में प्रधानमंत्री अपने संबोधन में कुछ ऐलान भी कर सकते हैं.प्रधानमंत्री की यह यात्रा चुनाव के आचार संहिता लगने के पहले की आखिरी बनारस यात्रा मानी जा रही है.इसमें पीएम हजारों करोड़ों की सौगात लेकर वाराणसी आए हैं.

क्या है इस यात्रा में?
22 फरवरी को पीएम मोदी रात में लगभग 9 बजे एयरपोर्ट पर उतरकर BLW गेस्टहाउस जाएंगे. राम लला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद पीएम मोदी का ये पहला वाराणसी आगमन हो रहा है. इस वजह से कार्यकर्ता और आम जनमानस ढोल-नगाड़ा और पुष्प वर्षा के साथ पीएम मोदी का स्वागत करेंगे. दोनों दिन पीएम मोदी का स्वागत सभी जगह जय श्री राम और हर-हर महादेव के उद्घोष के साथ होगा. 22 फरवरी की रात अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी के भ्रमण पर भी निकल सकते हैं. 23 फरवरी की सुबह BHU के स्वतंत्रता भवन में पीएम मोदी का पहला कार्यक्रम है. जहां पर सांसद ज्ञान प्रतियोगिता के प्रतिभागियों, सांसद फोटोग्राफी प्रतियोगिता के प्रतिभागियों और सांसद संस्कृत प्रतियोगिता के प्रतिभागियों से पीएम मोदी संवाद करेंगे और 5-5 प्रमुख प्रतिभागियों को सम्मानित भी करेंगे.

 इसके बाद पीएम मोदी का BHU से सीधा आगमन सीर गोवर्धन रविदास मंदिर पर होगा जहां पूजन-अर्चन के बाद रविदास जी के भव्य मूर्ति का लोकार्पण करेंगे. फिर अनुयायियों के साथ लंगर भी छकेंगे. इसके बाद पीएम मोदी लगभग 40 हजार लोगों की बड़ी जनसभा को संबोधित भी करेंगे. इसके बाद तीसरा अंतिम पड़ाव करखियाव अमूल प्लांट होगा. इस प्लांट से पूर्वांचल के 12-14 जनपदों के किसान सीधे लाभान्वित होंगे. इस प्लांट के लोकार्पण और नीरिक्षण के बाद प्लांट के बगल में ही जनसभा में एक लाख से ज्यादा किसान और भाजपा कार्यकर्ता मौजूद होंगे और पीएम मोदी उनसे संवाद करेंगे. इस बार पीएम मोदी लगभग 14 हजार करोड़ की 23 परियोजनाओं का लोकार्पण करेंगे और 13 परियोजनाओं का शिलान्यास करेंगे. 23 लोकार्पित होने वाली परियोजनाओं की कुल लागत 10972 करोड़ रुपयों की है जबकि 13 शिलान्यास वाली परियोजनाओं की लागत 3344.07 करोड़ रुपए है.