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Gujarat: 7 साल खुदाई... 21 मीटर गहराई... अब PM Modi के गांव Vadnagar में मिले 2800 साल पुरानी मानव बस्ती के अवशेष

वडनगर गांव में मिली मानव बस्ती 800 ईसा पूर्व की प्रतीत होती है. यहां गहरी खुदाई करने से सात सांस्कृतिक काल की मौजूदगी का पता चला है. यहां पुराना बौद्ध मठ भी मिल चुका है. पुरातात्विक कलाकृतियां, मिट्टी के बर्तन, तांबा, सोना, चांदी और लोहे की वस्तुएं के साथ महीन डिजाइन वाली चूड़ियां मिली हैं.

Vadnagar Vadnagar
हाइलाइट्स
  • 800 ईसा पूर्व की लगती है बस्ती

  • वडनगर में 2005 में शुरू किया गया था अध्ययन का कार्य

गुजरात में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गांव वडनगर में पुरातात्विक खुदाई से करीब 2800 साल पुरानी मानव बस्ती के अवशेष मिले हैं. आईआईटी खड़गपुर, भारतीय पुरातत्व विभाग (एएसआई), अहमदाबाद स्थित भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय और डेक्कन कॉलेज के विशेषज्ञों की टीम को यह सफलता मिली है. यहां पिछले 7 साल से खुदाई का काम चल रहा था. 

मिल चुका है प्राचीन बौद्ध मठ  
आईआईटी खड़गपुर में भूविज्ञान और भूभौतिकी के प्रोफेसर डॉक्टर अनिंद्य सरकार ने बताया कि वडनगर में खुदाई का काम 2016 से चल रहा है. टीम ने 21 मीटर की गहराई तक खुदाई की है. एएसआई यह पता लगाने की कोशिश कर रहा था कि प्राचीन काल में यहां कितनी और किस तरह की बस्तियां मौजूद रही होंगी. इसके अलावा पीआरएल-अहमदाबाद, जेएनयू, डेक्कन कॉलेज जैसे संस्थान भी वडनगर में लंबे समय से शोध कर रहे थे. प्रोफेसर डॉ. अनिंद्य सरकार ने बताया कि यहां एक बहुत प्राचीन बौद्ध मठ भी मिल चुका है. 

वडनगर का इतिहास है बहुत पुराना
प्रोफेसर डॉ. अनिंद्य सरकार ने कहा कि वडनगर का इतिहास बहुत पुराना है. यहां खुदाई के दौरान सात सांस्कृतिक कालखंडों का पता चला है. कालखंडों अर्थात् वैदिक-बौद्ध काल, मौर्य युग, इंडो-ग्रीक, शक-क्षत्रप काल, सोलंकी युग, मुगल सल्तनत-इस्लामिक युग और गायकवाड़-ब्रिटिश शासन काल तक वडनगर में बसी निरंतर मानव जीवन से संबंधित है. सबसे पुरानी मानव बस्ती 2800 वर्ष या 800 ईसा पूर्व की लगती है.

हिंदू, बौद्ध, जैन सभी धर्मों के लोग रहते थे 
आर्कियोलॉजिकल विभाग के सुपरवाइजर मुकेश ठाकोर ने कहा कि वडनगर में अध्ययन का कार्य 2005 से चल रहा है, प्रधानमंत्री मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे, उस वक्त इसे शुरू किया गया था. वडनगर से वर्षों पुराने दो लाख अवशेष मिल चुके हैं. इस शहर के जीवित रहने का कारण इसकी जल प्रबंधन प्रणाली और जमीन में पाया जा रहा जलस्तर है. समय-समय पर यह स्थान कृषि एवं अन्य व्यापारियों के लिए महत्वपूर्ण स्थल रह चुका है. वडनगर में मिले अवशेष से साबित होता है की यहां बौद्ध, जैन और हिंदू सभी धर्मों के लोग रहते थे.

चार संस्कृतियों के बारें में मिलता है प्रमाण
एक मिट्टी की चट्टान के भीतर वडनगर के लिए बनाया गया एक सुरक्षा कवच यानी की दीवार पाई गई है. मुकेश ठाकोर ने कहा ने कहा, इस मिट्टी की चट्टान को हटाने के बाद 2000 साल पुरानी संस्कृति के प्रमाण पाए गए हैं. अलग-अलग समय में वडनगर में आकर जीवन व्यापन करने वाली चार संस्कृतियों के बारें में प्रमाण मिलता है. इसी के बिलकुल करीब देश का सबसे बड़ा संग्रहालय तैयार हो रहा है. जिसकी दूरी प्रधानमंत्री मोदी के जन्मस्थान से एक किलोमीटर से भी कम है.

दिखाई दिया था पानी
एएसआई की ओर से 2014 से 2022 के दौरान वडनगर में खुदाई की गई थी. एएसआई पुरातत्वविद् अभिजीत अम्बेकरे ने कहा, जब हम खुदाई स्थल से 20 मीटर की गहराई पर पहुंचे तो पानी दिखाई दिया था. उस समय पानी निकालने की कोशिश हुई लेकिन हिस्सा ढह जाने के कारण काम आगे नहीं बढ़ सका. 

संग्रहालय किया जा रहा तैयार
पीएम मोदी का जन्मस्थान वडनगर है. एएसआई की ओर से जिस जगह पर खुदाई की गई है वो स्थान पीएम मोदी के पुराने घर से केवल एक किलोमीटर की दूरी पर है. आने वाले दिनों में लोग वडनगर के बारें में जानकारी हासिल कर सकें. इसके लिए तेजी से कार्य हो रहा है. वडनगर में एक संग्रहालय तैयार हो रहा है. जिसमें सात कालचक्रों के पाए गए अवशेष रखे जाएंगे. इस संग्रहालय से लोग इस खुदाई वाली जगह तक जा सकेंगे. 

(अतुल तिवारी की रिपोर्ट)