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PM Modi Blue Jacket: पीएम मोदी के नीले रंग के जैकेट की हो रही चर्चा, जानिए क्यों है खास

जब संसद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहुंचे तो उनकी जैकेट ने सब का ध्यान खींच लिया. वाकई ये जैकेट खास है. इसकी वजह है कि ये ब्लू जैकेट ग्रीन संदेश देने के लिए बनाई गई है. यानी पर्यावरण संरक्षण के लिए ये अनोखी पहल है. पीएम ने जो जैकेट पहनी वो प्लास्टिक की खराब बोतलों को रिसाइकिल करके बनाई गई है.

पीएम मोदी पीएम मोदी
हाइलाइट्स
  • 16 से 18 बोतलों से किया गया तैयार

  • अनबॉटल्ड इनिशिएटिव के तहत काम कर रही कंपनी

संसद में प्रधानमंत्री मोदी ने जब एंट्री की तो सभी की नजरें उनकी जैकेट पर टिक गई. ये नीले रंग की जैकेट है भी बेहद खास, क्योंकि ये  कपड़े से बनी हुई नहीं है. बल्कि जिन बोतलों को हम यूज करके फेंक देते उन बॉटल्स से बनी है. यानी इस जैकेट को प्लास्टिक की बोतलों को रिसाइकिल कर बनाया गया है. नीले रंग की ये जैकेट 6 फरवरी को इंडिया एनर्जी वीक में इंडियन ऑयल कारपोरेशन की तरफ से पीएम मोदी को भेंट की गई थी.

कैसे बनी ये जैकेट?
प्रधानमंत्री की इस जैकेट को तमिलनाडु के करूर की कंपनी श्रीरेंगा पॉलिमर्स द्वारा तैयार किया गया है. कंपनी ने इंडियन ऑयल को PET बॉटल से बने 9 अलग-अलग रंग के कपड़े भेजे थे, जिसमें से प्रधानमंत्री के लिए नीले रंग को चुना गया. इसके बाद इसे गुजरात में प्रधानमंत्री के टेलर के पास भेजा गया, जिन्होंने इस जैकेट को तैयार किया.

16 से 18 बोतलों से किया गया तैयार
पलास्टिक की बोतलों को रिसाइकिल करके बनाई गई इस जैकेट को 16 से 18 खराब बोतलों से तैयार किया गया है. इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन ने हर साल ऐसी दस करोड़ बोतलों को रिसाइकल करने का लक्ष्य रखा है. कंपनी ने PM मोदी को भेंट की गई ये जैकेट अभी एक सैंपल के तौर पर तैयार की है. जल्द ही कंपनी की पेट्रोल पंप पर तैनात इंडियन ऑयल के कर्मचारियों और सशस्त्र बलों के लिए नॉन-कॉम्बैट यूनिफॉर्म बनाने की योजना है.

अनबॉटल्ड इनिशिएटिव के तहत काम कर रही कंपनी
यानी जिन प्लास्टिक की बोतलों को हम यूज करके फैंक देते हैं. इन बॉटल्स का इस्तेमाल करके अब फैब्रिक तैयार किया जाएगा और उससे गारमेंट तैयार होगा. इस कोशिश को कंपनी ने Unbottled इनिशिएटिव नाम दिया है. इसके पहले सैंपल पीएम की नीले जैकेट ने दिखा दिया है कि फैशन और सुंदरता की दुनिया में भी 3R- Reduce, Reuse और Recycle कारगर है. 3 आर मिशन का लक्ष्य अर्थव्यवस्था को बढ़ाना और कार्बन उत्सर्जन को कम करना है.

हर साल 500 अरब प्लास्टिक बैग्स का हो रहा इस्तेमाल
पर्यावरण को प्लास्टिक से कितना ज्यादा खतरा है, इससे तो सभी वाकिफ हैं. प्लास्टिक को नष्ट होने में 500 से 700 साल का समय लग जाता है..और इसके बाद भी प्लास्टिक पूरी तरह नष्ट नहीं हो पाती. यानी अबतक आपने जितनी प्लास्टिक का इस्तेमाल किया है, वो कम से कम हजार साल बाद नष्ट होगी. प्लास्टिक की इस बुराई को जानने के बावजूद हर साल दुनियाभर में 500 अरब प्लास्टिक बैग्स का इस्तेमाल होता है. जिसमें से केवल 1 से 3 फीसदी प्लास्टिक ही रिसाइकल हो पाता है. 

गारमेंट बनाने के लिए हुआ प्लास्टिक की बोतलों का इस्तेमाल
प्लास्टिक से छुटकारा पाना ना सिर्फ भारत बल्कि पूरी दुनिया के लिए बेहद जरूरी है. इस मुहिम में हिंदुस्तान लगा हुआ है. इसके लिए 2030 का लक्ष्य भी रखा गया है. इसी कड़ी में इंडियन ऑयल PET बॉटल से गारमेंट बनाने के मिशन में जुट गया है. PET का मतलब है Polyethylene Terephthalate, जो एक पॉलिएस्टर का एक प्रकार है. इसका इस्तेमाल खाने पीने की चीजों की पैकेजिंग के लिये प्लास्टिक की बोतलों और कंटेनर बनाने में होता है. इसे खाने वाले चीजों की पैकेजिंग के लिए उपयुक्त माना जाता है क्योंकि ये हल्का, गैर-प्रतिक्रियाशील, किफायती होता है. अब इन प्लास्टिक की बोतलों का इस्तेमाल गारमेंट बनाने में किया जाएगा. 

क्या है पेट गारमेंट की खूबी?
प्लास्टिक बोतल से बने गारमेंट की सबसे बड़ी खूबी ये होती है कि PET प्लास्टिक को कलर करने में एक बूंद पानी की इस्तेमाल नहीं होता है. जबकि कॉटन को कलर करने में बहुत पानी बर्बाद होता है. लेकिन PET बोतल से बने गारमेंट में डोप डाइंग का इस्तेमाल होता है. बोतल से पहले फाइबर बनाया जाता है और फिर इससे यार्न तैयार किया जाता है. यार्न से फिर फैब्रिक बनता है और फिर गारमेंट तैयार किया जाता है.

ग्रीन टेक्नोलॉजी पर आधारित है कपड़ा
मतलब ये कि प्लास्टिक से बना कपड़ा पूरी तरह से ग्रीन टेक्नोलॉजी पर आधारित हैं. इन बोतलों को रिहायशी इलाकों और समुद्र से कलेक्ट किया जाता है. टी-शर्ट और शॉर्ट्स बनाने में पांच से 6 बोतल का इस्तेमाल होता है. शर्ट बनाने में 10 और पेंट बनाने में 20 बोतल का इस्तेमाल होता है.

कपड़े पर लगे क्यूआर कोड से जानें हिस्ट्री
सबसे बड़ी खूबी है कि इस प्रयोग से पर्यावरण के संरक्षण में मदद मिलने वाली है. PET बोतल से  कपड़ा तैयार करने वाली कंपनी का दावा है कि कपड़ों पर एक क्यूआर कोड लगाया गया है जिसे स्कैन करके उसकी पूरी हिस्ट्री जान सकते हैं.