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Sumitranandan Pant प्रकृति को मानते थे अपनी मां, 7 साल की उम्र में लिखने लगे थे कविता, जानिए छायावादी युग के इस महान कवि के जीवन से जुड़ी खास बातें

Happy Birthday Sumitranandan Pant: महान कवि सुमित्रानंदन पंत को जयशंकर प्रसाद, सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' और महादेवी वर्मा के साथ छायावाद के चौथे स्तंभ के रूप में जाना जाता है. पंत को साहित्य में विशिष्ट योगदान के लिए पद्मभूषण, भारतीय ज्ञानपीठ और सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कारों से नवाजा जा चुका है. 

Sumitranandan Pant (photo twitter) Sumitranandan Pant (photo twitter)
हाइलाइट्स
  • सुमित्रानंदन पंत का जन्म 20 मई 1900 को हुआ था

  • नेपोलियन बोनापार्ट से प्रेरित हो कर रखा था हेयर स्टाइल

महान कवि सुमित्रानंदन पंत के साहित्य में योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता. छायावादी युग के चार प्रमुख स्तंभों में से एक सुमित्रानंदन पंत का जन्म 20 मई 1900 को उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले के कौसानी गांव में हुआ था. उनके पिता का नाम गंगादत्त पंत था.  

जन्म के समय ही मां को हो गया था निधन
सुमित्रानंदन पंत के जन्म के छह घंटे बाद ही इनकी माता का निधन हो गया था. मां के निधन के बाद वह अपनी दादी के पास रहते थे. सात साल की उम्र में जब वह चौथी कक्षा में पढ़ रहे थे, तभी उन्होंने कविता लिखना शुरू कर दिया था. व्यापक रूप से जयशंकर प्रसाद, सूर्यकांत त्रिपाठी निराला और महादेवी वर्मा के साथ पंत को छायावाद के चौथे स्तंभ के रूप में जाना जाता है. पंत वह व्यक्ति थे जिनकी विलक्षणता उनके लेखन जितनी ही दिलचस्प थी. 

बचपन का नाम गुसाईं दत्त नहीं था पसंद 
सुमित्रानंदन पंत का बचपन का नाम गुसाईं दत्त था. उन्हें यह नाम पसंद नहीं था. सुमित्रानंदन को गोसाई नाम में गोस्वामी तुलसीदास की छवि दिखती थी. गोस्वामी तुलसीदास का जन्म अभाव में हुआ, उन्हें जीवन में काफी संघर्ष करना पड़ा था. उन्हें उन परिस्थितियों का सामना न करना पड़े उसके लिए अपना नाम गोसाईदत्त से बदलकर सुमित्रानंदन पंत रख लिया. इसका खुलासा उन्होंने आकाशवाणी में हुए एक साक्षात्कार में किया था. सुमित्रानंदन पंत ने अपना हेयर स्टाइल फ्रांसीसी सैन्य नेता नेपोलियन बोनापार्ट से प्रेरित हो कर रखा था.

अमिताभ बच्चन का किया नामकरण
सुमित्रानंदन की हरिवंशराय बच्चन के साथ अच्छी दोस्ती थी. सदी के महानायक अमिताभ बच्चन को तो हम सभी जानते हैं लेकिन यह कुछ लोगों को ही पता है कि सुमित्रानंदन पंत ने ही कवि हरिवंश राय बच्चन को सुझाव दिया था कि वह अपने बेटे का नाम इंकलाब की जगह अमिताभ रख सकते हैं.  पंत को राष्ट्रीय प्रसारक, दूरदर्शन नाम देने का भी श्रेय दिया जाता है.

स्कूली शिक्षा अल्मोड़ा में हुई 
स्कूली शिक्षा अल्मोड़ा में हुई और उसके बाद बड़े भाई देवी दत्त के साथ काशी के क्वींस कॉलेज में दाखिल हुए. तब तक उनका कवि अक्स निखरकर सार्वजनिक हो चुका था. कविता छायावादी थी लेकिन विचार मार्क्सवादी और प्रगतिशील. गुरुवर रवींद्रनाथ टैगोर तक ने उनकी कविताओं का नोटिस लिया. मां की ममता से वंचित और प्रकृति को अपनी मां मानने वाले पंत 25 वर्ष तक केवल स्त्रीलिंग पर कविता लिखते रहे.

पंत की रचनाएं
सुमित्रानंदन पंत ने न सिर्फ प्रकृति के सौंदर्य को महसूस किया बल्कि उस सौंदर्य को बड़ी ही खूबसूरती से सटीक शब्दों में संजोकर हम सबके सामने प्रस्तुत किया. 1918 के आसपास वह हिंदी की नवीन धारा के प्रवर्तक के रूप में पहचाने जाने लगे. उनकी पहली काव्य संग्रह वीणा नाम के काव्य संग्रह में प्रकाशित हुई. इसके बाद उनकी कविताएं पल्लव में प्रकाशित हुईं. सुमित्रानंदन पंत की कुछ अन्य काव्य कृतियां हैं ग्रंथि, गुंजन, ग्राम, युगांत, स्वर्ण किरण, स्वर्ण धूली, कला और बूढ़ा चांद, लोकायतन, सत्यकाम आदि. पंत की कविताओं में प्रकृति और कला के सौंदर्य को प्रमुखता मिली है. पंत ने अपनी कविता सुख-दुख में जीवन की असलियत समझाने की कोशिश की है. उनके जीवनकाल में उनकी 28 पुस्तकें प्रकाशित हुईं, जिनमें कविताएं, नाटक और निबंध शामिल हैं. 

सुमित्रानंदन पंत के नाम पर संग्रहालय
सुमित्रानंदन पंत के नाम पर कौसानी में, जहां बचपन से सुमित्रानंदन पंत रहा करते थे, उसे वीथिका के नाम से एक संग्रहालय के रूप में परिवर्तित कर दिया गया है. यहां उनके कपड़ों, कविताओं की मूल पांडुलिपियों, छाया चित्रों, पत्रों और पुरस्कारों को प्रदर्शित किया गया है. यहां स्थित एक पुस्तकालय में उनसे संबंधित किताबों को भी रखा गया है. 28 दिसंबर 1977 को दिल का दौरा पड़ने से सुमित्रानंदन पंत का निधन हो गया था. 

सम्मान और पुरस्कार 
हिंदी साहित्य सेवा के लिए उन्हें वर्ष 1961 में पद्मभूषण, 1968 में ज्ञानपीठ व साहित्य अकादमी तथा सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार जैसे सम्मानों से अलंकृत किया गया.