यूपीए-2 में मंत्री रहे कांग्रेस नेता आरपीएन सिंह ने मंगलवार को अचानक इस्तीफा दे दिया. ट्वीट कर उन्होंने इसकी जानकारी दी. आरपीएन ने अब बीजेपी का दामन थाम लिया. उत्तर प्रदेश चुनाव के लिए कांग्रेस ने आरपीएन सिंह को स्टार प्रचारकों की सूची में जगह दी थी. लेकिन, अचानक वे कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए. आइये जानते हैं आरपीएन सिंह का अब तक चार दशक का राजनीतिक करियर कैसा रहा.
— RPN Singh (@SinghRPN) January 25, 2022
राजघराने से ताल्लुक रखते हैं आरपीएन सिंह, यूपीए-2 में मिली कई अहम जिम्मेदारी
आरपीएन सिंह राजघराना परिवार से ताल्लुक रखते हैं. आरपीएन सिंह के पिता सीपीएन सिंह कांग्रेस के बड़े नेता थे. सीपीएन कुशीनगर से सांसद भी रहे और 1980 में इंदिरा गांधी की सरकार में रक्षा राज्य मंत्री रहे थे. सैंथवार परिवार से ताल्लुक रखने वाले आरपीएन सिंह भी कुशीनगर से सांसद रह चुके हैं. आरपीएन ने चार बार लोकसभा का चुनाव लड़ा लेकिन सिर्फ एक बार उन्हें सफलता मिली. 2009 में पहली बार लोकसभा चुनाव जीतकर संसद पहुंचे. यूपीए-2 सरकार में आरपीएन भूतल परिवहन व सड़क राज्यमार्ग राज्यमंत्री, पेट्रोलियम राज्य मंत्री और गृह राज्य मंत्री रहे. 1999, 2004 और 2014 में उनकी हार हुई.
उत्तर प्रदेश के सबसे महत्वपूर्ण सियासी गढ़ पूर्वांचल से आने वाले आरपीएन पहली बार 1996 में विधायक बने थे. उन्होंने पडरौना सीट से चुनाव लड़ा और जीतकर विधानसभा पहुंचे. 2009 तक के विधायक रहे और आम चुनाव में कुशीनगर से जीत दर्ज कर संसद पहुंचे. आरपीएन ने साल 2002 में पत्रकार सोनिया सिंह से शादी की थी और दोनों की तीन बेटियां हैं.
कांग्रेस में रहते हुए निभाई कई महत्वपूर्ण जिम्मेवारी
राजनीतिक परिवार से आने वाले आरपीएन सिंह का कांग्रेस में अच्छा कद था. पार्टी इन्हें समय-समय पर कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारी भी देती रही. इन्हें झारखंड कांग्रेस का प्रभारी भी बनाया गया. साथ ही ये यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष भी रह चुके हैं. कई राज्यों में हुए चुनाव में कांग्रेस की तरफ से इन्हें महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी जाती रही है.
स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ उतर सकते हैं मैदान में
आरपीएन ने झारखंड कांग्रेस प्रभारी का दायित्व भी अच्छे से संभाला. झारखंड में चल रही झामुमो-कांग्रेस गठबंधन की सरकार में अच्छा तालमेल बिठाने में भी इनका अहम योगदान रहा है. आरपीएन का कांग्रेस छोड़कर जाना पार्टी के लिए किसी बड़े झटके से कम नहीं है और वो भी ऐसे वक्त पर जब उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव सिर पर हो. चर्चा है कि हाल में बीजेपी छोड़कर सपा में गए स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ इन्हें मैदान में उतारा जा सकता है.