लौहपुरुष सरदार बल्लभभाई पटेल की 148वीं जयंती देशभर में मनाई जा रही है. सरदार पटेल के आजादी के पहले और बाद के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता है. आजादी के बाद सरदार पटेल ने पूरे देश को एकता के सूत्र में पिरोने का काम किया. उनकी जयंती पर देशभर में राष्ट्रीय एकता दिवस मनाया जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि सरदार पटेल का परिवार आज कहा हैं? उनका परिवार राजनीति से दूर क्यों है? चलिए आपको इस महान स्वतंत्रता सेनानी की फैमिली के बारे में बताते हैं.
सियासत में वंशवाद के विरोधी थे पटेल-
सरदार पटेल नहीं चाहते थे कि कोई उनके नाम का दुरुपयोग करे. इसलिए उन्होंने कहा था कि जब तक वो दिल्ली में हैं, तब तक उनके रिश्तेदार दिल्ली में कदम ना रखें. सरदार पटेल का एक बेटा और एक बेटी थी. पटेल की मृत्यु के बाद उनकी फैमिली ने सियासत में उतरने की कोशिश की. परिवार से कई सदस्य सियासत में आए भी और टिके भी रहे. लेकिन कोई भी बड़ा चेहरा नहीं बन पाया.
पटेल की बेटी मणि बेन-
सरदार पटेल के बेटे का नाम डाया भाई और बेटी का नाम मणिबेन पटेल था. सरदार पटेल की बेटी मणि बेन ने शादी नहीं की थी. मणि बेन लंबे समय तक कांग्रेस में रहीं. वो कांग्रेस से सांसद भी रहीं. मणि बेन ने साल 1952 में खेड़ा (दक्षिण) लोकसभा सीट से चुनाव जीतकर संसद पहुंची थीं. साल 1957 आम चुनाव में भई उनको जीत मिली थी. लेकिन साल 1962 के चुनाव में उनको हार का सामना करना पड़ा था. मणि बेन साल 1964 से 1970 तक राज्यसभा में रहीं. लेकिन बाद में उन्होंने पार्टी छोड़ दी और जनता पार्टी में शामिल हो गई थीं. साल 1973 में मणि बेन ने कांग्रेस(ओ) के टिकट पर साबरकांठा से उपचुनाव में जीत हासिल की थी. साल 1977 में मेहसाना सीट से सांसद बनीं.
डाया भाई पटेल-
सरदार पटेल के बेटे डाया भाई पटेल ने साल 1939 में पहली बार बॉम्बे म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन के सदस्य चुने गए. वो 18 साल तक निगम के सदस्य रहे. डाया भाई साल 1944 में बॉम्बे के मेयर भी चुने गए थे. राष्ट्रीय राजनीति में डाया भाई की इंट्री साल 1957 में हुई. उन्होंने कांग्रेस पार्टी छोड़ दी. उन्होंने इंदुलाल याग्निक के साथ मिलकर महागुजरात जनता परिषद नाम की पार्टी बनाई. लेकिन उन्होंने चुनाव नहीं लड़ा. साल 1958 में डाया भाई राज्यसभा के सदस्य चुने गए. इस बीच साल 1959 में स्वतंत्र पार्टी की स्थापना हुई और डाया भाई उस पार्टी में शामिल हो गए. साल 1964 में डाया भाई स्वतंत्र पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर राज्यसभा के लिए चुने गए. वो 3 बार राज्यसभा के सांसद चुने गए. उनको श्रद्धांजलि देते हुए तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने कहा था कि संसद में हमने पुराने साथी और दोस्त को खो दिया है.
सरदार की बहू भानुमति बेन-
डाया भाई पटेल की पत्नी भानुमति बेन और साले पशा भाई पटेल भी सियासत में आए. भानुमति बेन को भावनगर और पशा पटेल को साबरकांठा से हार का सामना करना पड़ा.
डाया भाई ने दो शादी की थी. जब डाया भाई 27 साल के थे तो उनकी पहली पत्नी यशोदा बेन का निधन हो गया था. इसके बाद उन्होंने भानुमति बेन से शादी की थी. उनके दो बेटे विपिन और गौतम पटेल हुए. गौतम और विपिन दोनों सियासत से दूर हैं. हालांकि विपिन पटेल का निधन हो चुका है. सरदार पटेल के निकट संबंधियों में गौतम पटेल ही रह गए हैं.
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