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कांग्रेस में जाने की अटकलों पर लग गया पूर्ण विराम, तृणमूल को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा दिलाने के लिए मेहनत कर रहे प्रशांत किशोर!

प्रशांत किशोर के कांग्रेस में जाने की अटकलों पर पूर्ण विराम लग गया है. गुरुवार को प्रशांत के बयान से यह बात साफ हो चुका है. अब प्रशांत का पूरा फोकस तृणमूल कांग्रेस को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा दिलाने का है और उसे मुख्य विपक्षी पार्टी बनाने का है.

चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर
हाइलाइट्स
  • पिछले कुछ वक्त से प्रशांत के कांग्रेस में जाने की अटकलें थी

  • गुरुवार को प्रशांत किशोर ने कांग्रेस पर जबरदस्त हमला बोला

  • सूत्रों के मुताबिक-प्रशांत के किसी भी शर्त पर कांग्रेस राजी नहीं हुई

कहा तो यही जाता है कि राजनीति में कुछ भी असंभव नहीं है. लेकिन, गुरुवार को प्रशांत किशोर के बयान से तो साफ हो गया कि वे अब कांग्रेस में नहीं जाएंगे. प्रशांत ने ममता बनर्जी की लाइन को आगे बढ़ाते हुए कांग्रेस पर जोरदार हमला बोला और कहा कि कांग्रेस को हमेशा विपक्ष की अगुवाई का वरदान नहीं मिला है. जो पार्टी पिछले 10 साल में 90% चुनाव हारी है, उसका विपक्ष के नेतृत्व पर कोई दैवीय अधिकार नहीं हो सकता.

किसी शर्त पर राजी नहीं हुई कांग्रेस!
आईपैक से जुड़े और अक्सर प्रशांत किशोर के साथ आगे की रणनीति को लेकर चर्चा करने वाले एक करीबी सूत्र ने बताया कि ये फैसला तो काफी पहले ही हो चुका था कि प्रशांत अब कांग्रेस में शामिल नहीं होंगे. दरअसल, प्रशांत कांग्रेस में महासचिव का पद मांग रहे थे जिसको लेकर जी-23 के नेता बिल्कुल तैयार नहीं थे. प्रशांत की दूसरी शर्त यह थी कि कांग्रेस की तरफ से चु्नाव के पूरे कैंपेन को वे लीड करेंगे और इसमें किसी नेता की दखल नहीं होगी. ये कांग्रेस के लिए बहुत बड़ी शर्त थी.

चुनाव हारना मंजूर, लेकिन प्रशांत की एंट्री मंजूर नहीं!
सूत्र बताते हैं कि कांग्रेस के अंदर से तो यहां तक बातें आने लगी कि भले ही हम एक-दो चुनाव और हार जाएंगे लेकिन प्रशांत किशोर को पार्टी में शामिल नहीं होने देंगे. कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व इस बात को लेकर असमंजस में था. चूंकि, पार्टी का शीर्ष नेतृत्व चाहता था कि प्रशांत किशोर कांग्रेस में शामिल हों लेकिन बिना किसी शर्त के साथ. प्रशांत नहीं चाहते थे कि वे पार्टी में मूकदर्शक बनकर रहें. बताया तो यह भी जाता है कि कांग्रेस के कुछ नेताओं ने आलाकमान से यह भी कहा कि अगर प्रशांत पार्टी में अपनी शर्तों पर आते हैं तो आने वाले दिनों में पूरी पार्टी पर कब्जा कर लेंगे. कहीं ऐसा न हो कि प्रशांत पार्टी की बागडोर ही अपने हाथों में ले लें. कई बड़े नेताओं ने खुले तौर पर चुनौती दे दी कि अगर प्रशांत आए तो वे पार्टी छोड़ देंगे. इसी के चलते आलाकमान ने प्रशांत को महत्व देना छोड़ दिया.

बड़ी प्लानिंग पर काम कर रहे थे प्रशांत लेकिन अचानक सबकुछ फेल हो गया!
प्रशांत से जुड़े सूत्रों का कहना है कि ये बात उन्हें बहुत अखर गई. प्रशांत ने कांग्रेस में अपनी एंट्री और आगे के लिए एक बड़ा प्लान तैयार कर रखा था. इसी प्लान के तहत उन्होंने युवा नेता कन्हैया कुमार और जिग्नेश मेवानी को कांग्रेस में शामिल कराया था और खुद की एंट्री के लिए सही वक्त का इंतजार कर रहे थे. लेकिन, जी-23 के नेताओं के विरोध के बाद उन्होंने साफ कह दिया था कि अब वे किसी और पार्टी को आगे बढ़ाने के लिए काम करेंगे.

तृणमूल को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा दिलाना है लक्ष्य
प्रशांत ने बीते चुनाव में पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी के लिए काम किया था. जाहिर है कि ममता बनर्जी से उनके अच्छे संबंध भी हैं. एक कैंपेन के लिए प्रशांत जितना फ्री हैंड चाहते हैं, ममता बनर्जी ने उन्हें खुली छूट दे रही थी. प्रशांत तृणमूल कांग्रेस में अपने हिसाब से फैसले लेते हैं. ऐसे में उन्होंने यह तय कर लिया है कि अब किसी भी हाल में तृणमूल को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा दिलाना है. सूत्र बताते हैं कि तृणमूल कांग्रेस को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा दिलाना प्रशांत किशोर का अगला लक्ष्य है.

गोवा और मिजोरम में कर रहे कड़ी मेहनत
सूत्र बताते हैं कि कांग्रेस के बड़े नेताओं के साथ हुई बैठक में जब बात नहीं बनी तो प्रशांत ने दो टूक कह दिया था कि अब उनका रास्ता अलग हो जाएगा. वर्तमान में तृणमूल के लिए प्रशांत के समर्पण का अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि आईपैक की एक बड़ी टीम गोवा और मिजोरम में कड़ी मेहनत कर रही है. गोवा में तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा लीड कर रही हैं.

गोवा और मिजोरम में क्या है स्थिति
यह बात प्रशांत पहले भी कह चुके हैं कि अचानक से किसी राज्य में पार्टी को नहीं खड़ा किया जा सकता है. जमीनी स्तर पर बहुत मेहनत करने की जरूरत होती है. गोवा में तृणमूल के लिए काम कर रहे आईपैक के सूत्रों का कहना है कि ये तो तय है कि आने वाले चुनाव में तृणमूल सरकार नहीं बनाने वाली लेकन इतना तय है कि पार्टी की उपस्थिति दिखेगी. यह भी हो सकता है कि तृणमूल यहां मुख्य विपक्षी पार्टी बन जाए. मिजोरम में टीम पूरी मेहनत कर रही है. पिछले दिनों कांग्रेस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री मुकुल संगमा समेत 12 एमएलए ने तृणमूल का दामन थाम लिया था.

साफ है कि प्रशांत तृणमूल को आगे बढ़ाने के लिए पूरा जतन कर रहे हैं. इस सवाल पर कि छोटे राज्यों से क्या होगा, सूत्रों का कहना है कि पहले छोटे राज्य और उसके बाद बड़े राज्य. छोटे राज्यों में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के बाद तृणमूल बड़े राज्यों की तरफ रुख करेगी.