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दिहाड़ी-मजदूरी करते हुए पूरी की अपनी Phd की डिग्री, अब सपना कॉलेज में पढ़ाने का

केरल के कोट्टायम में मुंडाकायम के पास रहने वाले एक गरीब परिवार के 36 वर्षीय एनके मनोहरन ने मजदूरी करके अपनी पीएचडी की पढ़ाई पूरी की है. एनके मनोहरन ने हाल ही में केरल विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में पीएचडी हासिल की है.

दिहाड़ी-मजदूरी करते हुए पूरी की अपनी Phd की डिग्री, अब सपना कॉलेज में पढ़ाने का दिहाड़ी-मजदूरी करते हुए पूरी की अपनी Phd की डिग्री, अब सपना कॉलेज में पढ़ाने का
हाइलाइट्स
  • पढ़ाई के साथ कमाई का फंडा

  • अर्थशास्त्र में सहायक प्रोफेसर बनने का सपना

अगर इंसान पूरे जोश के साथ कुछ करने की ठान ले तो फिर दुनिया की कोई भी चीज उसे रोक नहीं सकती है. कई बार सफलता की राह में कई तरह के रोड़े आते हैं, पर जो उन तकलीफों का सामना करते हुए आगे बढ़ जाते हैं, आखिर में सफलता उनके कदम चूमती है. कुछ ऐसी की कहानी है केरल के कोट्टायम में मुंडाकायम के पास रहने वाले एक गरीब परिवार के 36 वर्षीय एनके मनोहरन की. 

एनके मनोहरन ने हाल ही में केरल विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में पीएचडी हासिल की है. हालांकि यहां तक का सफर उनके लिए आसान नहीं था. यहां तक पहुंचने के लिए मनोहरन ने खूब मेहनत की है. उन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी करने के लिए मजदूरी तक की है. यहां तक की अपनी रिसर्च से जब कभी उन्हें समय मिलता तो वो अपनी यूनिवर्सिटी के कैंपस में ही ऑटो रिक्शा चलाते थे. 

पढ़ाई के साथ कमाई का फंडा
मनोहरन ने अपने स्कूल के दिनों से ही पढ़ाई के साथ कमाई का फंडा अपना लिया था. स्कूल के दिनों से ही वो कंक्रीट बिछाने जाया करते थे, जिससे वो खाना खा सकें, और अपनी पढ़ाई पूरी कर सकें. मनोहरन का कहना है कि अगर वो चिनाई के काम के लिए जाते, तो उन्हें रोज वहां जाना पड़ता लेकिन कंक्रीट बिछाने वाले काम के लिए उन्हें रोज नहीं जाना पड़ता था. 

पढ़ाई के साथ बहन की शादी की जिम्मेदारी
कुन्जेरुक्कन और अम्मिनी के घर जन्मे मनोहरन ने अपने घर की बहुत सी जिम्मेदारियां उठाई हैं, फिर चाहें वो बहन की शादी हो या मां-बाप का ध्यान रखना. मनोहरन ने अपनी बहन की शादी कोट्टायम के किदांगूर में की है. टीएनआईई को दिए एक इंटरव्यू में मनोहरन ने बताया कि एससी विकास विभाग की तरफ से दी गई रिसर्च फेलोशिप से काम चलना काफी मुश्किल था, इसलिए मजदूरी करना जरूरी था. 

अनुसूचित जाति के बच्चों की उच्च शिक्षा पर कर रहे शोध
मनोहरन बताते हैं कि, "मेरा शोध विषय अनुसूचित जाति के बच्चों के बीच उच्च शिक्षा के लिए विभिन्न राज्य और केंद्र की योजनाओं पर था. एस पी कुमार, एसोसिएट प्रोफेसर और प्रिंसिपल, श्री नारायण गुरु कॉलेज, चेरानलूर, कोझिकोड, मेरे मार्गदर्शक थे. पैसों की दिक्कत के कारण मेरे एम फिल के बाद मेरे अकादमिक करियर में छह साल का अंतर था. अब, मेरा ध्यान कॉलेज शिक्षक की नौकरी पाने पर है." 

अर्थशास्त्र में सहायक प्रोफेसर बनने का सपना
उन्होंने चंगानस्सरी एनएसएस कॉलेज से अर्थशास्त्र में बीए किया था और वहां से वे पोस्ट ग्रेजुएशन और एम फिल करने के लिए कार्यवत्तम परिसर पहुंचे थे. मनोहरन बताते हैं कि उनके दोस्तों ने बिना किसी परेशानी के बड़ी आसानी से रिसर्च पूरी कर ली, पर उनके लिए ऐसा रिसर्च पूरी करना आसान नहीं था, क्योंकि उन्हें पैसे कमा कर पढ़ाई करनी पड़ती थी. हालांकि मनोहरन ने अतीत को भुला दिया है और अब वह एक सरकारी कॉलेज में अर्थशास्त्र में सहायक प्रोफेसर की तरह ज्वाइन करने के लिए काफी उत्साहित हैं,