साइंस और टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में भारत ने पड़ोसी मुल्कों को पीछे छोड़ दिया है. कुछ दिनों पहले किये गए ‘अग्नि-पी’ के सफल फ्लाइट टेस्ट के बाद रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने आज स्वदेशी रूप से विकसित सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइल 'प्रलय' का पहला सक्सेसफुल फ्लाइट टेस्ट किया. यह टेस्ट ओडिशा के तट पर डॉ एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप से किया गया और इसने अपने सभी ऑब्जेक्टिव्स को पूरा किया. नई मिसाइल ने क़्वासी बैलिस्टिक ट्रैजेक्ट्री को फॉलो किया और कंट्रोल, गाइडेंस और मिशन एल्गोरिदम को पूरा करते हुए हाई डिग्री एक्यूरेसी के साथ टारगेट तक पहुंच गया. सभी सब-सिस्टम्स ने संतोषजनक प्रदर्शन किया.
150-500 किलोमीटर है मिसाइल की रेंज
डाउन रेंज के जहाजों सहित पूर्वी तट पर इम्पैक्ट पॉइंट के पास तैनात सभी सेंसर ने मिसाइल ट्रैजेक्ट्री को ट्रैक किया और सभी घटनाओं को कैप्चर किया. मिसाइल सॉलिड प्रोपेलेंट रॉकेट मोटर और कई नई तकनीकों से लैस है. मिसाइल की रेंज 150-500 किलोमीटर है और इसे मोबाइल लॉन्चर से लॉन्च किया जा सकता है. मिसाइल गाइडेंस सिस्टम में सुपर एडवांस्ड नेविगेशन सिस्टम और यूनिफाइड एवियोनिक्स शामिल हैं.
रक्षा मंत्री ने दी बधाई
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस पहले डेवलपमेंटल फ्लाइट टेस्ट के लिए डीआरडीओ और संबंधित टीमों को बधाई दी. उन्होंने तेजी और सटीकता के साथ सतह से सतह पर मार करने वाली आधुनिक मिसाइल के सफल प्रक्षेपण के लिए डीआरडीओ की सराहना की. कुछ दिनों पहले डीआरडीओ ने इसी द्वीप से नई पीढ़ी की परमाणु सक्षम बैलिस्टिक मिसाइल 'अग्नि पी' का भी सफलतापूर्वक परीक्षण किया था.
रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव और डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ जी सतीश रेड्डी ने टीम की सराहना की और कहा कि यह आधुनिक तकनीकों से लैस सतह से सतह पर मार करने वाली नई पीढ़ी की मिसाइल है और इस हथियार प्रणाली को शामिल करने से सशस्त्र बलों को आवश्यक प्रोत्साहन मिलेगा.