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Prashant Kishor के पास विकल्प नहीं या नई रणनीति के तहत बनाया बिहार में जन सुराज प्लान

चुनावी चाणक्य प्रशांत किशोर की कांग्रेस के साथ बात नहीं बन पाई. माना जा रहा है कि इसके बाद प्रशांत क‍िशोर के पास किसी सियासी दल के साथ दोबारा काम करने का विकल्प नहीं बचा है. ऐसे में प्रशांत क‍िशोर नई रणनीति के तहत बिहार में जन सुराज को लेकर काम करेंगे.

Political strategist Prashant Kishor at a press meet in patna Political strategist Prashant Kishor at a press meet in patna
हाइलाइट्स
  • PK ने बिहार में जन सुराज प्लान का किया खुलासा

  • 3 हजार किमी की यात्रा करेंगे प्रशांत किशोर

  • नई रणनीति के तहत बिहार में उतरेंगे प्रशांत किशोर

चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) यानी PK ने अपनी आगे की रणनीति का खुलासा किया है. फिलहाल PK बिहार पर ही फोकस करेंगे. प्रशांत किशोर ने जन सुराज अभियान के तहत बिहार की यात्रा पर निकलने का प्लान बनाया है. चाणक्य के नाम से मशहूर प्रशांत किशोर बिहार में 3000 किलोमीटर की यात्रा करेंगे और 17 हजार लोगों से बात करेंगे. प्रशांत किशोर ने हालांक‍ि यह भी कहा क‍ि इस वक्त राजनीतिक दल बनाने की उनकी कोई तैयारी नहीं है. लेकिन प्रशांत किशोर ने भविष्य में इसकी संभावना से इनकार भी नहीं किया. प्रशांत किशोर की नई तैयारी को देखते हुए माना जा रहा है कि अब वो पुरानी भूमिका में नहीं दिखाई देंगे. ऐसे में सवाल उठता है कि चुनावी रणनीतिकार के तौर पर प्रशांत किशोर के पास कोई विकल्प नहीं बचा है या वो नई रणनीति के तहत सियासत को प्रभावित करने की दिशा में काम कर रहे हैं.

क्या प्रशांत किशोर के पास विकल्प नहीं
प्रशांत किशोर करीब-करीब देश की हर बड़ी पार्टी के साथ काम कर चुके हैं या चुनावी सलाह दे चुके हैं. लेकिन हर बार जब पार्टियों से उनकी दूरियां बढ़ती है तो इसके पीछे उनके नेताओं के साथ मनमुटाव की खबरें सामने आती हैं. ऐसे में उन पार्टियों के साथ प्रशांत किशोर के काम करने की उम्मीदें लगभग खत्म हो गई है. एक उम्मीद कांग्रेस बची थी. लेकिन अब उसके साथ भी उनका जमी नहीं.

एक-एक करके बढ़ती गई दूरियां
प्रशांत किशोर सबसे पहले साल 2014 में सुर्खियों में आए. जब आम चुनाव में बीजेपी को बड़ी जीत मिली. इस जीत के बाद पीके की ब्रांड मैनेजर की छवि बनकर उभरी. लेकिन जल्द ही उनकी कंपनी I-PAC का बीजेपी से रिश्ता टूट गया. इसके पीछे वजह बताई गई कि पीके की अमित शाह से नहीं जमती है. इसके बाद प्रशांत किशोर बिहार पहुंचे और नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू को मंजिल तक पहुंचाने का जिम्मा उठाया. साल 2015 विधानसभा चुनाव में प्रशांत किशोर ने जेडीयू-आरजेडी गठबंधन को जीत दिलाई. प्रशांत किशोर जेडीयू में नंबर-2 बन गए. लेकिन धीरे-धीरे सबकुछ बदलता गया और एक दिन प्रशांत किशोर जेडीयू से अलग हो गए. इसके पीछे भी पार्टी से उनके मनमुटाव को वजह बताया गया. इसके बाद प्रशांत किशोर ने दिल्ली में अरविंद केजरीवाल, बंगाल में ममता बनर्जी, पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह के लिए चुनावी रणनीति बनाई. तमिलनाडु में प्रशांत किशोर ने डीएमके के लिए चुनाव मदद की.

कांग्रेस से भी नहीं बनी बात
प्रशांत किशोर साल 2017 में यूपी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के लिए रणनीति बना चुके हैं. लेकिन उनको सफलता नहीं मिली. इस दौरान कांग्रेस नेताओं के साथ उनके मनमुटाव की खबरें भी आई. 2019 आम चुनाव में बीजेपी की प्रचंड जीत और कांग्रेस के खराब प्रदर्शन के बाद कयास लगाए जाने लगा कि पीके एक बार फिर नेशनल लेवल पर कांग्रेस के लिए रणनीति बनाएंगे. 2022 यूपी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के बदतर प्रदर्शन के बाद इसपर काम भी होने लगा. कांग्रेस के साथ पीके की बातचीत परवान चढ़ने लगी. लेकिन अचानक पीके ने साफ कर दिया कि वो कांग्रेस के साथ नहीं जा रहे हैं.

नई रणनीति पर काम कर रहे PK
देश की सियासत में अब तक प्रशांत किशोर करीब-करीब हर बड़ी पार्टी के साथ काम कर चुके हैं. अब प्रशांत किशोर ने ऐलान किया है कि वो बिहार में काम करेंगे. इसके लिए प्रशांत किशोर ने बिहार यात्रा पर निकलने की घोषणा की है. इस दौरान प्रशांत किशोर 3 हजार किलोमीटर की यात्रा करेंगे और 17 हजार लोगों से बात करेंगे. हालांकि प्रशांत किशोर ने अभी कोई राजनीतिक दल बनाने से इनकार किया. लेकिन इसके साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो भविष्य में सियासी दल भी बनाया जा सकता है. ऐसे में माना जा रहा है कि प्रशांत किशोर नई रणनीति के तहत काम कर रहे हैं. प्रशांत किशोर पहले बिहार यात्रा के जरिए आम जनता की भावनाओं को समझना चाहते हैं और उसके बाद सियासी में उतरने पर फैसला कर सकते हैं.

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