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Prayagraj Steel bridge: प्रयागराज में 4500 टन स्टील और लोहे से बना ब्रिज तैयार, संगम तट तक सीधे पहुंच सकेंगे श्रद्धालु

इस स्टील ब्रिज का निर्माण वही एसपी सिंगला कंस्ट्रक्शन कंपनी कर रही है, जो 10 किलोमीटर लंबे सिक्स लेन ब्रिज का निर्माण कर रही है. 6 लेने ब्रिज समय पर पूरा नहीं हो पाया जिसके बाद कंपनी को कुंभ से पहले विकल्प के तौर पर ये स्टील ब्रिज खड़ा करना पड़ा है.

Prayagraj Steel bridge Prayagraj Steel bridge
हाइलाइट्स
  • क्यों पड़ी पुल बनाने की जरूरत

  • 60 दिन बाद मिट जाएगा पुल का नामों निशान

अब तक आपने नदियों पर बड़े-बड़े पुल देखे होंगे जिसकी लागत करोड़ों-अरबों में होती है, पीपे के पुल भी खूब देखे होंगे लेकिन क्या आपने कभी स्टील का ब्रिज देखा है? प्रयागराज में गंगा नदी पर महज 60 दिनों के लिए 4500 टन का स्टील और लोहे से एक स्टील का ब्रिज बनाया जा रहा है. आखिरी इस स्टील ब्रिज की जरूरत कैसे और क्यों पड़ी चलिए जानते हैं.

प्रयागराज में गंगा नदी पर स्टील का ब्रिज तैयार हो रहा है, जिसे खास तौर पर कुंभ मेले के लिए बनाया जा रहा है. स्टील ब्रिज को शहर से जोड़ने के लिए 4 किलोमीटर लंबी एपरोज रोड भी बनाई जा रही है. 426 मीटर लंबा ये स्टील ब्रिज गंगा नदी पर बन रहे 6 लेन ब्रिज के समानांतर बन रहा है. इस स्टील ब्रिज को कुंभ मेले के खत्म होते ही समाप्त कर दिया जाएगा. बता दें, प्रयागराज में फाफामऊ में गंगा नदी पर एक पुल पहले से मौजूद है और दूसरे का निर्माण जारी है.

क्यों पड़ी पुल बनाने की जरूरत
26 नवंबर 2020 से गंगा नदी पर 10 किलोमीटर लंबे देश के दूसरे सबसे बड़े 6 लेन ब्रिज को बनाने का काम शुरू हुआ. ये पुल मलाका से शहर के त्रिपाठी चौराहे तक बनाया जा रहा है. इसमें करीब 4 किमी का पुल गंगा नदी पर बनना था. ये पुल NH-19: भदरी गांव (मलाका) से शुरू होकर गंगा नदी पार कर शहर के त्रिपाठी चौराहा तक बन रहा है. शिलान्यास के समय इसकी कुल लागत 980.77 करोड़ रुपए तय की गई थी. पुल की कुल लंबाई 9.9 किलोमीटर है. जर्मन तकनीक केबल और बॉक्सेस से बनने वाले देश के आधुनिकतम पुलों में से एक इस पुल के निर्माण के लिए 3 साल का लक्ष्य तय किया गया था लेकिन ये तय समय मे पूरा नहीं हो पाया.

विकल्प के तौर पर बनाया जा रहा ये पुल
महाकुंभ-2025 के लिए यह पुल बहुत जरूरी था. वजह गंगा नदी पर बने 50 साल पुराने पुल का जर्जर होना. दूसरा यह कि एक रास्ते से करोड़ों श्रद्धालुओं का संगम तक पहुंचना भी आसान नहीं है. इस पुल को फरवरी 2024 में बनकर तैयार हो जाना चाहिए था लेकिन जब ये पता चला कुंभ मेले तक ये पुल बनकर तैयार नहीं हो पाएगा तो विकल्प के तौर पर इस स्टील ब्रिज को बनाने की योजना तैयार की गई. फिलहाल स्टील के ब्रिज के निर्माण का काम अंतिम चरण में है. एक हफ्ते के अंदर पुल चालू हो जाएगा. हाल में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस पुल का निरीक्षण कर इसे जल्द शुरू करने के निर्देश दिए हैं.

इस स्टील ब्रिज का निर्माण वही एसपी सिंगला कंस्ट्रक्शन कंपनी कर रही है, जो 10 किलोमीटर लंबे सिक्स लेन ब्रिज का निर्माण कर रही है. 6 लेने ब्रिज समय पर पूरा नहीं हो पाया जिसके बाद कंपनी को कुंभ से पहले विकल्प के तौर पर ये स्टील ब्रिज खड़ा करना पड़ा है. अब तक 98 % तक काम पूरा हो चुका है. 4500 टन के इस ब्रिज की चौड़ाई 16 मीटर है लिहाजा पुल के एक एक पिलर की पुख्ता जांच के बाद ही इसे कार्य में लाया जाएगा.

60 दिन बाद मिट जाएगा पुल का नामों निशान
कुंभ खत्म होने के बाद इस पुल को तोड़ दिया जाएगा. अब सवाल उठता है कि पुल को तोड़ने के बाद उसमें लगे 4500 टन लोहे का क्या होगा तो एसपी सिंगला कंपनी के इंजीनियर ने बताया कि काम के बाद सरकार और हमारी कंपनी की सहमति से तय किया जाएगा कि इस लोहे का क्या होगा. कंपनी के लोग कहते हैं कि ये सच है कि जब सिक्स लेन ब्रिज का काम पूरा नहीं हो पाया तो उन्हें विकल्प के तौर पर इसे बनाना पड़ा लेकिन इसको बनाने के पीछे एक मकसद यह भी है कि मेला प्रशासन को पुल के पास बड़ी पार्किंग मिल जाएगी.

लखनऊ-अयोध्या समेत पश्चिमी यूपी की तरफ से आने वाली गाड़ियों को इधर ही पार्क किया जाएगा. यहां करीब डेढ़ लाख गाड़ियों को एक साथ पार्क किया जा सकता है. यहां से संगम की दूरी 10 से 12 किमी होगी. श्रद्धालुओं को शाही स्नान और महत्वपूर्ण दिनों पर पैदल ही जाना होगा. इससे पहले गाड़ियों को फाफामऊ पुल से पहले ही रोकने की कोशिश होती थी, उस वक्त इस इलाके में भीषण जाम लग जाता था.

कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि स्टील ब्रिज अपने आप में अनोखा है. प्रदेश में पहली बार ऐसा हो रहा कि कोई स्टील ब्रिज सिर्फ 2 महीने के लिए बनाया जा रहा. 2 महीने बाद यहां से इस पुल का नामोनिशान मिट जाएगा. उम्मीद की जानी चाहिए कि बगल में बनने वाला सिक्स लेन ब्रिज जल्द आम लोगों को समर्पित किया जाएगा.

-आनंद राज की रिपोर्ट