दिल्ली की हरियाली में, विशेष कर यमुना के आस पास के क्षेत्र में, अब जल्द ही सफेद और गुलाबी चेरी ब्लॉसम और सुर्ख लाल और पीले पत्तों से लदे चिनार के पेड़ चार-चांद लगाते हुए दिखेंगे. दिल्ली में यमुना के किनारे चेरी ब्लॉसम और चिनार के 300 पौधे लगाए गए हैं. उपराज्यपाल श्री वी के सक्सेना ने आज कुदसिया घाट से लेकर आईटीओ बैराज तक के बीच यमुना में स्थित 3 आइलैंड पर 300 चेरी ब्लॉसम और चिनार के पौधे लगाने के साथ ही इसका शुभारंभ किया. चेरी ब्लॉसम और चिनार के पौधे पहली बार दिल्ली में लगाए गए है.
दिल्ली में खिलेंगे जापान के चेरी ब्लॉसम
यमुना के इन आइलैंड पर चेरी ब्लॉसम और चिनार के अलावा कचनार, वीपिंग विलो, सेमल, बॉटल ब्रश, बोगनविलिया और कनेर के 1400 से ज्यादा पुष्पीय पौधे लगाए गए हैं. एलजी वी के सक्सेना की उपस्थिति में इन तीनों आइलैंड पर कुल 1733 पौधे लगाए गए हैं. चिनार और चेरी ब्लॉसम के पौधों को तीनों आइलैंड पर सबसे ऊंचे क्षेत्र में लगाया गया है. इस पौधों को आपस में 3 मीटर की दूरी पर लगाया गया है जबकि बाकी बचे जगहों पर ग्रिड फॉर्मेशन में अन्य पौधे लगाए गए हैं.
गौरतलब है कि चेरी ब्लॉसम जापान का पर्णपाती (deciduous) पेड़ है जो भारत के कई स्थानों जैसे बेंगलुरु, मुंबई, शिमला और शिलांग के वातावरण में फिट बैठ गया है. इसी तरह, चिनार भी एक पर्णपाती पेड़ है जो पत्तियों के अपने शानदार आकार और रंग के लिए जाना जाता है. चिनार के एक पेड़ से साल में 300-400 किलोग्राम पत्तियां निकलती है. भारत में चिनार के पेड़ ज्यादातर जम्मू और कश्मीर में पाए जाते हैं. यह पहली बार है कि चिनार और चेरी ब्लॉसम को दिल्ली में लगाने का प्रयास किया गया है.
पौधों को रखा गया है नर्सरी में
पौधे को एक महीने तक संतुलित वातावरण में नर्सरी में रखा गया ताकि दिल्ली के मौसम में यह अनुकूलित हो सके. इसके बाद यमुना के इन तीनों आइलैंड पर इन पौधों को लगाया गया है. एलजी ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि इन आइलैंड पर किसी भी तरह का अतिक्रमण नहीं होना चाहिए. इसकी रक्षा के लिए टेरीटोरियल आर्मी को लगाने का भी उन्होंने निर्देश दिया. उन्होंने वन विभाग से पेड़-पौधों की रखवाली करने को कहा है. इन पौधों के अलावा विभिन्न प्रकार के पुष्पीय पौधे और सुंदर झाड़ियों जैसे कि गेंदा, कॉसमॉस और अन्य के बीज भी नदी के किनारे बोए गए हैं. इससे नदी के किनारे सुंदर फूलों की क्यारियां बन जाएंगी. अगले तीन दिनों में यमुना के दोनों किनारों पर ड्रोन से इन फूलों के बीज बोए जाएंगे. उम्मीद है कि दो से तीन सप्ताह के अंदर ये पुष्पीय पौधे नदी के किनारे उग आएंगे. आइलैंड पर भूमि को अपरदन न हो, इसके लिए मजबूत झाड़ी वाली घास लगाई गई हैं.