झारखंड, तेलंगाना और मेघालय समेत देश के 9 राज्यों के राज्यपाल बदल दिए गए हैं. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 9 राज्यों में नए राज्यपालों की नियुक्ति की है. राजस्थान में हरिभाऊ किशनराव बागड़े और छत्तीसगढ़ में रमन डेका को गवर्नर बनाया गया है.
गुलाब चंद कटारिया को पंजाब का नया राज्यपाल बनाया गया है. इसके अलावा तेलंगाना में जिष्णु देव वर्मा, मेघालय में सीएच विजयशंकर और सिक्किम में ओम प्रकाश माथुर को गवर्नर नियुक्त किया गया है.
देश के कई राज्यों में राज्यपालों की नियुक्ति में झारखंड में संतोष कुमार गंगवार, महाराष्ट्र में सीपी राधाकृष्णन और असम में लक्ष्मण प्रसाद आचार्य गवर्नर बने हैं. इसके अलावा लक्ष्मण प्रसाद आचार्य को मणिपुर के राज्यपाल का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है.
देश के राज्यपाल के पास कई सारी शक्तियां होती है. गवर्नर को क्या-क्या सुविधाएं मिलती हैं और राज्यपाल कौन बन सकता है? आइए इस बारे में जानते हैं.
कौन बन सकता है गवर्नर?
देश के संविधान के आर्टिकल 157 और 158 में गवर्नर की योग्यताओं के बारे में जानकारी दी गई है. संविधान में बताया गया है कि 35 साल से ज्यादा की उम्र का भारतीय व्यक्ति राज्यपाल बन सकता है.
गवर्नर वो व्यक्ति बन सकता है जो किसी पद पर न हो. काफी समय से व्यक्ति राजनीति में एक्टिव न हो. उस व्यक्ति को संसद और प्रदेश के किसी भी विधानमंडल का मेंबर नहीं होना चाहिए.
कैसे बनते हैं गवर्नर?
संविधान के आर्टिकल 155 में गवर्नर की नियुक्ति के बारे में बताया गया है. इसमें बताया गया है कि हर राज्य का एक ही राज्यपाल होता है. हालांकि कई बार एक राज्यपाल को दो प्रदेशों को कार्यभार दे दिया जाता है.
गवर्नर की नियुक्ति देश के राष्ट्रपति करते हैं. राज्यपाल का कार्यकाल 5 साल का होता है. अगर राष्ट्रपति चाहे तो कार्यकाल पूरा होने से पहले ही गवर्नर को अपना पद छोड़ना पड़ता है.
गवर्नर की पावर
प्रदेश में राज्यपाल का पद वैसा ही है जैसा देश में राष्ट्रपति का होता है. प्रदेश में मुख्यमंत्री की नियुक्ति राज्यपाल करते हैं. राज्यों में गवर्नर की अनुमति के बिना कोई भी बिल-कानून पास नहीं हो सकता है. मनी बिल के अलावा राज्यपाल सभी बिल को वापस भेज सकता है.
राज्य में चुनाव के बाद किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिलता है तो गवर्नर मुख्यमंत्री चुनने के लिए विशेषाधिकार का इस्तेमाल करता है. गवर्नर किसी दोषी की सजा में बदलाव और फैसले पर रोक लगा सकता है. राज्यपाल प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति होते हैं.
गवर्नर की सुविधाएं
गवर्नर पर कार्यकाल के दौरान फौजदारी अभियोग नहीं चलाया जा सकता है. गवर्नर पर दीवानी अभियोग चलाया जा सकता है लेकिन दो महीने पहले राज्यपाल को सूचना देनी पड़ती है.
कार्यकाल के दौरान गवर्नर को बंदी बनाने के लिए कोर्ट आदेश जारी नहीं कर सकता है. राज्यपाल की सैलरी 3.50 लाख/माह होती है.