

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शनिवार को राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक समारोह में चार विभूतियों पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह, नरसिम्हा राव, कृषि वैज्ञानिक डॉ. एमएस स्वामीनाथन और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर को देश का सर्वोच्च पुरस्कार भारत रत्न देकर सम्मानित किया. इन सभी को ये सम्मान मरणोपरांत दिया गया. यह सम्मान पाने वालों में पूर्व उपप्रधानमंत्री और भारतीय जनता पार्टी के दिग्गज नेता लालकृष्ण आडवाणी भी शामिल हैं.
आडवाणी की खराब सेहत और उम्र को देखते हुए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू खुद उनके आवास पर जाकर यह सम्मान प्रदान करेंगी. 2020 से 2023 तक किसी को भी भारत रत्न नहीं दिया गया था, लेकिन 2024 के लिए मोदी सरकार ने पांच हस्तियों को भारत रत्न देने का ऐलान किया था. पीएम नरेंद्र मोदी की अगुआई में पहली बार 2014 में भाजपा की सरकार बनी थी. मोदी सरकार में मदन मोहन मालवीय, पंडित अटल बिहारी वाजपेयी, प्रणब मुखर्जी, भूपेन हजारिका और नानाजी देशमुख को देश के इस सर्वोच्च नागरिक सम्मान से नवाजा जा चुका है.
परिजनों ने राष्ट्रपति के हाथों प्राप्त किया सम्मान
मणोपरांत जिन हस्तियों को भारत रत्न देकर सम्मानित किया गया. उनके परिजनों ने समारोह में इस सर्वोच्च पुरस्कार को प्राप्त किया. चौधरी चरण सिंह के पोते और राष्ट्रीय लोक दल (आरएलडी) के अध्यक्ष जयंत चौधरी ने समारोह में भाग लेकर राष्ट्रपति मुर्मू से सम्मान स्वीकार किया.एमएस स्वामीनाथन की बेटी नित्या राव और कर्पूरी ठाकुर के बेटे रामनाथ ठाकुर ने राष्ट्रपति से भारत रत्न को प्राप्त किया. इसी तरह पूर्व पीएम नरसिम्हा राव के बेटे पीवी प्रभाकर राव ने राष्ट्रपति से अपने पिता को मिले इस पुरस्कार प्राप्त किया. इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सहित कई गणमान्य लोग मौजूद थे.
1. एमएस स्वामीनाथ
कृषि वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथ का जन्म मद्रास प्रेसिडेंसी में 7 अगस्त 1925 को हुआ था. बचपन में ही एमएस स्वामीनाथ के पिता की मौत हो गई थी. इसके बाद उनके बड़े भाई ने उन्हें पढ़ाया-लिखाया था. स्वामीनाथ 1944 में मद्रास एग्रीकल्चरल कॉलेज से कृषि विज्ञान में बैचलर ऑफ साइंस की डिग्री हासिल की थी. 1949 में साइटोजेनेटिक्स में स्नातकोत्तर की डिग्री प्राप्त की थी. एमएस स्वामीनाथ भारत में हरित क्रांति का जनक माना जाता है. स्वामीनाथन को पद्मश्री (1967), पद्मभूषण (1972), पद्मविभूषण (1989), मैग्सेसे पुरस्कार (1971) और विश्व खाद्य पुरस्कार (1987) से सम्मानित किया जा चुका है. इस महान कृषि वैज्ञानिक का 28 सितंबर 2023 को चेन्नई में निधन हो गया था.
2. चौधरी चरण सिंह
चौधरी चरण सिंह का जन्म 23 दिसंबर 1902 को उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले स्थित नूरपुर गांव में एक किसान परिवार में हुआ था. चौधरी चरण सिंह देश के पांचवें प्रधानमंत्री थे. वह 28 जुलाई 1979 से 14 जनवरी 1980 तक प्रधानमंत्री के पद पर रहे. चौधरी चरण सिंह ने अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन में भी भाग लिया था. किसानों के हित में फैसले लेने के लिए उन्हें आज भी जाना जाता है. चौधरी चरण सिंह का देहांत 84 साल की उम्र में 29 मई 1987 को हुआ था.
3. कर्पुरी ठाकुर
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर का जन्म 24 जनवरी 1924 को समस्तीपुर जिले में एक साधारण नाई परिवार में हुआ था. कर्पूरी ठाकुर दो बार राज्य के सीएम रहे. कर्पूरी ठाकुर को जननायक के नाम से भी जाना जाता है. कर्पुरी ठाकुर ने अपनी पूरी जिंदगी कांग्रेस विरोधी राजनीति की और अपना सियासी मुकाम हासिल किया. मुख्यमंत्री रहते हुए कर्पूरी ठाकुर ने बिहार के वंचितों के हक में न सिर्फ काम किया, बल्कि उनका मनोबल भी बढ़ाया. उन्होंने पिछड़ों को 26 फीसदी आरक्षण भी देना का काम किया, जो कि देश में पहली बार बिहार में लागू किया गया था. 17 फरवरी 1988 को अचानक तबीयत बिगड़ने के चलते कर्पूरी ठाकुर का निधन हो गया था.
4. नरसिम्हा राव
पीवी नरसिम्हा राव का जन्म 28 जून 1921 को वर्तमान तेलंगाना (तब हैदराबाद राज्य का हिस्सा) के वारंगल जिले के नरसंपेट मंडल के लक्नेपल्ली गांव में एक तेलुगु नियोगी ब्राह्मण परिवार में हुआ था. नरसिंह राव 21 जून 1991 से 16 मई 1996 तक भारत के प्रधानमंत्री रहे थे. उनके कार्यकाल में ही उदारीकरण की नीति अपनाई गई थी और भारत की अर्थव्यवस्था का रास्ता पूरी दुनिया के लिए खोल दिया गया था. इसलिए उन्हें नए युग का प्रवर्तक माना जाता है. नरसिंह राव आठ बार चुनाव जीते. उन्हें राजनीति का चाणक्य कहा जाता था.राव करीबन 10 अलग-अलग भाषाओं में बात कर सकते थे.
5. लालकृष्ण आडवाणी
भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण अडवाणी का जन्म 8 नवंबर 1927 को सिन्ध प्रान्त (पाकिस्तान) में एक हिंदू सिंधी परिवार हुआ था. उनके पिता का नाम किशनचंद आडवाणी और मां का नाम ज्ञानी देवी है. उनके पिता पेशे से एक उद्यमी थे. अडवाणी 14 साल की उम्र में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ गए थे. उन्होंने तब कराची-लाहौर में शाखा लगाई थी लेकिन एक दिन कराची में हुए धमाके ने उनकी दुनिया बदल दी और वे 12 सितंबर 1947 को कराची छोड़कर भारत आ गए.
अडवाणी पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में भारत के उप-प्रधानमंत्री का पद संभाल चुके हैं. लालकृष्ण आडवाणी तीन बार (1986 से 1990, 1993 से 1998 और 2004 से 2005) भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे हैं. वह 1998 से 2004 के बीच भाजपा के नेतृत्व वाले नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस (एनडीए) में गृहमंत्री भी रह चुके हैं. लाल कृष्ण अडवाणी उन लोगों में शामिल हैं, जिन्होंने भारतीय जनता पार्टी की नींव रखी थी. 2015 नें उन्हें भारत के दूसरे बड़े नागरिक सम्मान पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था.