अंग्रेजों के दौर में बने तीन कानून खत्म कर दिए गए हैं. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने तीन नए आपराधिक न्याय विधेयकों (Criminal Law Bill)को मंजूरी दे दी है. इसी के साथ ये तीनों ही विधेयक कानून बन गए हैं. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सोमवार को भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम कानूनों को अपनी सहमति दे दी है. ये तीन कानून मौजूदा औपनिवेशिक युग के भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 872 की जगह लेंगे. इससे पहले इन तीनों बिलों को संसद के दोनों सदनों में पारित कर दिया गया था. केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह इन बिलों को ऐतिहासिक बताते हुए कहा था कि इन कानूनों से नागरिक के अधिकारों को सर्वोपरि रखा जाएगा और महिलाओं एंव बच्चों की सुरक्षा को प्राथमिकता दी जाएगी. राष्ट्रपति की मंजूरी मिलते ही अब ये तीनों बिल कानून बन गए हैं.
एक नए युग की शुरुआत - अमित शाह
संसद ने हाल ही में समाप्त हुए शीतकालीन सत्र के दौरान तीन विधेयकों को पारित किया और कुछ ही समय बाद सदन में हंगामा करने के लिए दो-तिहाई विपक्षी सांसदों को निलंबित कर दिया गया. विधेयकों के पारित होने की सराहना करते हुए, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि यह "एक नए युग की शुरुआत" है और इन कानूनों का उद्देश्य भारतीयों के मानवाधिकारों की रक्षा करके उन्हें समयबद्ध न्याय प्रदान करना है.
कहां क्या हुआ बदलाव?
साल 1860 में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) को भारतीय न्याय संहिता से, 1898 में बनी सीआरपीसी को नागरिक सुरक्षा संहिता से और 1872 के इंडियन एविडेंस एक्ट को भारतीय साक्ष्य अधिनियम से बदल दिया गया है.
IPC: कौन सा कृत्य अपराध है और इसकी क्या सजा होगी. ये आईपीसी से तय होता है. भारतीय न्याय संहिता में 358 धाराएं होंगी (आईपीसी में 511 धाराओं के बजाय). विधेयक में कुल 20 नए अपराध जोड़े गए हैं और उनमें से 33 के लिए कारावास की सजा बढ़ा दी गई है. 83 अपराधों में जुर्माने की राशि बढ़ा दी गई है और 23 अपराधों में अनिवार्य न्यूनतम सजा का प्रावधान किया गया है. छह अपराधों के लिए सामुदायिक सेवा का दंड पेश किया गया है और 19 धाराओं को विधेयक से निरस्त या हटा दिया गया है.
CRPC: भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में 531 धाराएं (CrPC की 484 धाराओं के स्थान पर) होंगी. बिल में कुल 177 प्रावधान बदले गए हैं और इसमें नौ नई धाराओं के साथ ही 39 नई उपधाराएं जोड़ी गई हैं. मसौदा अधिनियम में 44 नए प्रावधान और स्पष्टीकरण जोड़े गए हैं. 35 अनुभागों में समय-सीमा जोड़ी गई है और 35 स्थानों पर ऑडियो-वीडियो प्रावधान जोड़ा गया है. बिल से कुल 14 धाराएं निरस्त और हटा दी गई हैं.
इंडियन एविडेंस एक्ट : भारतीय साक्ष्य अधिनियम में 170 प्रावधान होंगे (मूल 167 प्रावधानों के बजाय), और कुल 24 प्रावधान बदले गए हैं. विधेयक में दो नए प्रावधान और छह उप-प्रावधान जोड़े गए हैं और छह प्रावधान निरस्त या हटा दिए गए हैं.
राजद्रोह अब देशद्रोह
आईपीसी में धारा 124A थी, जिसमें राजद्रोह के अपराध में 3 साल से लेकर उम्रकैद की सजा का प्रावधान था. बीएनएस में राजद्रोह की जगह 'देशद्रोह' लिखा गया है. बीएनएस में धारा 150 में 'देशद्रोह' से जुड़ा प्रावधान किया गया है. धारा 150 में इसे 'भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरे में डालने वाले कृत्य' के रूप में शामिल किया गया है.