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आसान भाषा में समझिए क्या है Prevention of Money Laundering Act - PMLA, जिसके तहत ED ने भेजा सोनिया-राहुल को समन

ईडी ने प्रवर्तन निदेशालय ने नेशनल हेराल्ड मामले में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी को समन जारी किया है. प्रवर्तन निदेशालय ने राहुल गांधी को आज यानी 2 जून और सोनिया को 8 जून को पूछताछ के लिए बुलाया है.

धन शोधन निवारण अधिनियम धन शोधन निवारण अधिनियम
हाइलाइट्स
  • प्रीवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट 2002 में आया था

  • भारत में हवाला लेनेदेन मामले से शुरू हुई थी चर्चा

प्रवर्तन निदेशालय ने नेशनल हेराल्ड मामले (National Herald Case) में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी को समन जारी किया है. ईडी ने राहुल गांधी को आज यानी 2 जून और सोनिया को 8 जून को पूछताछ के लिए बुलाया है. दरअसल सोनिया गांधी और राहुल गांधी पर पैसों की हेराफेरी यानी मनी लॉन्ड्रिंग का केस है. इस मामले में गांधी परिवार पर कई गंभीर आरोप हैं. ईडी ने Prevention of Money Laundering Act - PMLA के तहत दोनों को समन किया है. तो आइए समझते हैं कि आखिर ये धन शोधन निवारण अधिनियम क्या है.

क्या है Prevention of Money Laundering Act?
Prevention of Money Laundering Act 2002 में अधिनियमित किया गया था. उसके बाद 2005 में इसे लागू किया गया था. इन कानून का मुख्य उद्देश्य काले धन को सफेद में बदलने की प्रक्रिया यानी मनी लॉन्ड्रिंग को रोकना है. उसके अलावा अवैध गतिविधियों और आर्थिक अपराधों में काले धन के इस्तेमाल को रोकना, मनी लॉन्ड्रिंग में शामिल या उससे प्राप्त संपत्ति को जब्त करना, मनी लॉन्ड्रिंग के जुड़े अन्य प्रकार के संबंधित अपराधों को रोकने का प्रयास करना इस अधिनियम का उद्देश्य है. गौरतलब है कि PMLA के अंतर्गत अपराधों की जांच के लिए प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate-ED) जिम्मेदार है.

क्या है मनी लॉन्ड्रिंग?
आसान शब्दों में कहें तो मनी लॉन्ड्रिंग का मतलब है अपराधों से मिले धन को लीगल चीजों से बदलने का प्रयास करना. यानी की गलत तरीके से कमाए गए धन को सही काम के लिए इस्तेमाल करना. अलग-अलग न्यायालयों ने इसे अपराध घोषित किया है. मनी लॉन्ड्रिंग अंडरग्राउंड इकोनॉमी का एक प्रमुख संचालन है. पहले के समय में मनी लॉन्ड्रिंग शब्द केवल संगठित अपराध से संबंधित वित्तीय लेनदेन के लिए लागू किया गया था.लेकिन आज के समय में राज्य और अंतरराष्ट्रीय नियमों द्वारा इसी परिभाषा को एक विस्तृत रूप दे दिया गया है. 

भारत में मनी लॉन्ड्रिंग को लेकर क्या है कानून
भारत में मनी लॉन्ड्रिंग की चर्चा 'हवाला लेनदेन' से शुरू हुई थी. भारत में 1990 के दशक में ये मामला काफी ज्यादा चर्चा में आया था, इस मामले में कई बड़े नेताओं के नाम शामिल थे. भारत में इसको रोकने के लिए धन शोधन निवारण अधिनियम लाया गया था, लेकिन इसमें तीन बार संशोधन किया जा चुका है, पहला 2005 में, दूसरा 2009 में और तीसरा 2012 में, 2012 में आखिरी संशोधन को 3 जनवरी 2013 में राष्ट्रपति की अनुमति मिली थी, और ये कानून 15 फरवरी से लागू हो गया था.  पीएमएलए (संशोधन) अधिनियम, 2012 ने अपराधों की सूची में पैसों को छुपाना (concealment), अधिग्रहण (acquisition) कब्जा (possession) और धन का क्रिमिनल कामों में उपयोग (use of proceeds of crime) इत्यादि को शामिल किया है.

PMLA  के तहत क्या है सजा का प्रावधान?
मनी लॉन्ड्रिंग के दोषी पाए जाने वाले अपराधी के खिलाफ कई तरह की कार्रवाई की जा सकती है. जैसे अपराध के माध्यम से इकट्ठा की गई संपत्ति को जब्त करना. इसके अलावा धन शोधन के अपराध के लिए कम से कम 3 साल की जेल और जुर्माना भी लग सकता है. अगर यदि धन शोधन के अपराध के साथ-साथ नारकोटिक ड्रग्स और साइकोट्रॉपिक सबस्टेंस एक्ट, 1985 से जुड़े अपराध भी शामिल हैं तो जुर्माने के साथ 10 साल तक की सजा हो सकती है.