थिंक टैंक पीपुल रिसर्च ऑन इंडियाज कंज्यूमर इकोनॉमी (PRICE) ने 2021 में 10 लाख से ज्यादा आबादी वाले 63 शहरों में एक सर्वे किया है. इस सर्वे के नतीजों के मुताबिक इन शहरों में रहने वाली कुल जनसंख्या में से 27 प्रतिशत मध्यम वर्ग यानी सालाना सालाना 5 लाख से 30 लाख रुपये तक कमाने वाले हैं. PRICE के सर्वे का दावा है कि देश की कुल का आय का 29 प्रतिशत हिस्सा इन्हीं शहरों से आ रहा है क्योंकि यहां पर सामानों की डिमांड में इजाफा हो रहा है. लेकिन इससे भी दिलचस्प बात है कि सुपर रिच के मामले में इन शहरों की हिस्सेदारी 43 फीसदी है. सालाना 2 करोड़ रुपये से ज्यादा आमदनी वाले परिवारों को सुपर रिच की कटेगरी में शामिल किया गया है. ऐसे में इन शहरों की कुल खर्च में 27 प्रतिशत और कुल बचत में 38 प्रतिशत हिस्सेदारी है.
छोटे शहरों से निकल रहे हैं सुपर रिच
कोरोना काल के बाद से लगातार कहा जा रहा है कि दुनिया में भारत की विकास दर सबसे तेज गति से बढ़ रही है. अब एक सर्वे में दावा किया गया है कि देश का मध्यम वर्ग इस आर्थिक विकास को तेज रफ्तार देने का काम कर रहा है. इस विकास का सबसे बड़ा सबूत देश में तेजी से हो रहा शहरीकरण है जो मध्यम वर्ग और फिर देश की तरक्की का संकेत है. लेकिन ये महज शहरीकरण तक सीमित आंकड़े नहीं हैं बल्कि गांवों का कस्बों में तब्दील होना और कस्बों का शहर में बदल जाना अब भारत के संपन्न वर्ग को मेट्रो शहरों तक सीमित नहीं कर रहा है. देश के कोने कोने में अब अमीर लोग वास करते हैं जो हर जगह से इकॉनमी को रफ्तार देने का काम करते हैं. इससे देश के छोटे छोटे शहर भी अब विकास के केंद्रों के तौर पर स्थापित हो गए हैं. यही वजह है कि देश के छोटे छोटे शहरों के लोग भी अब कमाई के मामले में पीछे नहीं हैं.
सूरत में सबसे तेजी से बढ़े अमीर
यही वजह है कि सूरत जैसे छोटे शहरों से भी अब सुपर रिच लोग निकल रहे हैं. सूरत में 2015-16 और 2020-21 के बीच सुपर-रिच परिवारों की संख्या में बहुत तेजी से इजाफा हुआ है. इसके अलावा दूसरे नंबर पर बेंगलुरु, तीसरे नंबर पर अहमदाबाद और नासिक, चौथे नंबर पर चेन्नई, पांचवे नंबर पर पुणे, छठे नंबर पर कोलकाता, इसके बाद सातवें नंबर पर नागपुर, आठवें नंबर पर मुंबई और दसवें नंबर पर दिल्ली में सुपर रिच लोगों की तादाद में इजाफा हुआ है. मुंबई और दिल्ली की तुलना करते हुए सर्वे के नतीजे बता रहे हैं कि मुंबई में 2.7 लाख सुपर रिच परिवार थे. जबकि दिल्ली में सुपर रिच परिवारों की संख्या 1.8 लाख थी. वहीं सूरत में 31 हज़ार सुपर-रिच परिवार थे.
देश में बढ़ रही अमीरों की संख्या
PRICE के मुताबिक देश के निराश्रित लोगों यानी सालाना सवा लाख आमदनी वाले लोगों में से 2 फीसदी से भी कम 10 लाख से ज्यादा आबादी वाले इन 63 शहरों में रहते हैं. जबकि इनके अलावा 98 फीसदी निराश्रित लोग देशभर के बाकी हिस्सों में रहते हैं. अगर बात करें मध्यम वर्ग की तो वहां पर 55 प्रतिशत मध्यम वर्ग बसता है. इसके अलावा 32 फीसदी तादाद निम्न वर्ग की है जबकि गरीब लोगों की तादाद महज 1 प्रतिशत है. लेकिन इन शहरों में 13 फीसदी अमीर रहते हैं.
इन शहरों में तेजी से बढ़ी लोगों की इनकम
भोपाल, कोयम्बटूर, इंदौर, जयपुर, कानपुर, कन्नूर, कोच्चि, कोझिकोड, लखनऊ, मदुरै, मलप्पुरम, नागपुर, नासिक, तिरुवनंतपुरम, त्रिशूर और तिरुपुर युवा आबादी के साथ बड़े बाजारों के तौर पर उभर रहे हैं. इन शहरों में रहने वाले परिवारों की इनकम तेजी से बढ़ी है. देश में दो-तिहाई से ज्यादा मध्यम वर्गीय परिवार चेन्नई और दिल्ली जैसे महानगर में रहते हैं. यहां की अर्थव्यवस्था में इनका अहम रोल है. इसके अलावा मुंबई और पुणे में भी 50 फीसदी से ज्यादा आबादी मध्यम वर्ग की है. नागपुर, अहमदाबाद, कोलकाता, सूरत और नासिक में 40 फीसदी से ज्यादा आबादी मध्यम वर्ग की है.
जमकर कमाई, भरपूर खर्च
सर्वे के मुताबिक, 10 लाख से लेकर 25 लाख तक की आबादी वाले 38 बड़े शहर हैं जहां पर हरेक परिवार के खर्च के हिसाब से काफी ज्यादा तेजी दर्ज की गई है. इन शहरों में आगरा, अलीगढ़, इलाहाबाद, अमृतसर, आसनसोल, औरंगाबाद, बरेली, भुवनेश्वर, चंडीगढ़, धनबाद, दुर्ग, भिलाईनगर, गुवाहाटी, ग्वालियर, हुबली-धारवाड़, जबलपुर, जालंधर, जमशेदपुर, जोधपुर, कोल्लम, कोटा, लुधियाना, मेरठ, मुरादाबाद, मैसूर, पटना, रायपुर, राजकोट, रांची, सहारनपुर, सलेम, सिलीगुड़ी, सोलापुर, श्रीनगर, तिरुचिरापल्ली, वडोदरा, वाराणसी, विजयवाड़ा और विशाखापत्तनम शामिल हैं.
(आदित्य के राणा की रिपोर्ट)