प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने तीन दिवसीय अधिकारिक विदेश दौरे पर हैं. इस दौरान पीएम मोदी सबसे पहले जर्मनी पहुंचे. यहां बर्लिन पहुंचने पर उनका शानदार स्वागत हुआ. इसके अलावा वह डेनमार्क और फ्रांस का भी दौरान करेंगे, जहां वह दोनों देशों के प्रमुखों से मुलाकात करेंगे. इस समय उनके इस दौरान को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि उनका यह दौरा ऐसे समय में है जब यूक्रेन और रूस के बीच जंग जारी है और इसका असर अन्य देशों पर भी पड़ रहा है.
मोदी अपने इस तीन दिवसीय दौरे के दौरान जर्मन चांसलर ओलाफ स्कोल्ज़ से भी मुलाकात करेंगे, जिसके लिए वह डेनमार्क पहुंच चुके हैं. इसके बाद वह 3-4 मई को द्वितीय भारत-नॉर्डिक शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे. इसके बाद उनका फ्रांस जाने का प्लान है, जहां वह राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों से मुलाकात करेंगे.
क्या हैं इस यात्रा के मायने
यूक्रेन और रूस के बीच जारी जंग के दौरान पीएम मोदी की इस यात्रा ने लोगों के मन में कई सवाल खड़े कर दिए हैं. आखिर यह यात्रा ऐसे समय में क्यों की जा रही है. दरअसल, इस यात्रा से जुड़ी कई ऐसी बाते हैं जो मोदी ने खुद ही कही हैं. उन्होंने यात्रा से पहले साफ किया था कि वे भारत के साथ यूरोपीय साझेदारों की सहयोग की भावना को मजबूत करना चाहते हैं.
65 घंटे में 25 कार्यक्रमों में होंगे शामिल
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि इस बैठक में दोनों देशों के कई मंत्री भी सामिल होंगे. पिछले साल दिसंबर में सत्ता में आए शॉल्ज के साथ पीएम मोदी की यह पहली बैठक होगी. रिपोर्ट्स के मुताबिक, प्रधानमंत्री के करीब 65 घंटे में 25 व्यस्त कार्यक्रम होंगे.
सबसे पहले मोदी भारत-जर्मनी अंतर-सरकारी परामर्श (IGC)के छठे संस्करण की सह-अध्यक्षता करेंगे. जर्मनी के बाद, नरेंद्र मोदी कोपेनहेगन की यात्रा करेंगे जहां वह प्रधानमंत्री मेटे फ्रेडरिकसेन के निमंत्रण पर डेनमार्क द्वारा आयोजित दूसरे भारत-नॉर्डिक शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे.
यात्रा एजेंडे में क्या शामिल है?
नरेंद्र मोदी की यूरोप यात्रा बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह ऐसे समय में हो रही है जब रूस यूक्रेन पर अपना हमला जारी रखे हुए है.
भारत ने इस मामले पर तटस्थ रुख बनाए रखा है और हथियारों और तेल पर मास्को के साथ व्यापार करना जारी रखा है.
रूस-यूक्रेन युद्ध के अलावा, ऊर्जा सुरक्षा एक महत्वपूर्ण मामला होगा.
विदेश यात्रा इस बात पर भी ध्यान केंद्रित करेगी कि कोरोनोवायरस महामारी से दुनिया में विकास को कैसे पुनर्जीवित किया जाए.
इस दौरान अन्य देशों के साथ अर्थव्यवस्था, व्यापार और सुरक्षा को लेकर भी बैठक होगी.
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