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पीएम मोदी ने संत श्री रामानुजाचार्य की प्रतिमा का किया अनावरण, देखें 216 फीट ऊंची 'स्टैच्यू ऑफ इक्वेलिटी' की अद्भुत तस्वीरें

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शमशाबाद में भक्ति संत श्री रामानुजाचार्य की स्मृति में 216 फीट ऊंचे 'स्टैच्यू ऑफ इक्वेलिटी' का उद्घाटन किया. इस दौरान पूरा माहौल 'जय रामानुजाचार्य' के जयकारों से गूंज उठा.

संत श्री रामानुजाचार्य की प्रतिमा संत श्री रामानुजाचार्य की प्रतिमा
हाइलाइट्स
  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संत श्री रामानुजाचार्य की 216 फीट ऊंची 'स्टैच्यू ऑफ इक्वेलिटी' का उद्घाटन किया.

  • यह मूर्ति दुनिया की दूसरी सबसे ऊंची बैठी हुई मूर्ति है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज तेलंगाना में 11वीं सदी के भक्ति संत श्री रामानुजाचार्य की स्मृति में 216 फीट ऊंची 'स्टैच्यू ऑफ इक्वेलिटी' का उद्घाटन किया. 216 फीट ऊंचे स्टैच्यू ऑफ इक्वेलिटी को पीएम मोदी ने देश को समर्पित किया. यह मूर्ति दुनिया की दूसरी सबसे ऊंची बैठी हुई मूर्ति है और इसे स्टैच्यू ऑफ इक्वेलिटी (Statue of Equality) नाम दिया गया है. शमशाबाद में यज्ञशाला में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पीले वस्त्रों में पहुंचे. 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शमशाबाद में भक्ति संत श्री रामानुजाचार्य की स्मृति में 216 फीट ऊंचे 'स्टैच्यू ऑफ इक्वेलिटी' का उद्घाटन किया. पीले वस्त्रों में यज्ञशाला में पहुंचे प्रधानमंत्री ने यज्ञशाला में पूजा-अर्चना करने के बाद मूर्ति का अनावरण किया. इस दौरान पूरा माहौल 'जय रामानुजाचार्य' के जयकारों से गूंज उठा. भक्ति संत रामानुजाचार्य ने आजीवन आस्था, जाति और पंथ सहित जीवन के सभी पहलुओं में समानता के विचार को बढ़ावा दिया. स्टैच्यू ऑफ इक्वेलिटी 'पंचधातु' से बनी है. इसमें सोना, चांदी, तांबा, पीतल और जस्ता शामिल है. यह 36 शेरों की 'भद्र वेदी' के 54 फीट ऊंचे आधार भवन पर स्थापित है. 

इस मौके पर पीएम मोदी ने कहा, "आज मां सरस्वती की आराधना के पावन पर्व, बसंत पंचमी का शुभ अवसर है. मां शारदा के विशेष कृपा अवतार श्री रामानुजाचार्य जी की प्रतिमा इस अवसर पर स्थापित हो रही है." पीएम मोदी ने कहा कि स्टैच्यू ऑफ इक्वेलिटी से युवाओं का उत्साह बढ़ेगा. रामानुजाचार्य जी की यह प्रतिमा उनके ज्ञान, वैराग्य और आदर्शों की प्रतीक है. प्रधानमंत्री ने कहा कि जगद्गुरु श्री रामानुजाचार्य जी की इस भव्य विशाल मूर्ति के जरिए भारत मानवीय ऊर्जा और प्रेरणाओं को मूर्त रूप दे रहा है. रामानुजाचार्य जी की ये प्रतिमा उनके ज्ञान, वैराग्य और आदर्शों की प्रतीक है. पीएम ने कहा, "भारत एक ऐसा देश है, जिसके मनीषियों ने ज्ञान को खंडन-मंडन, स्वीकृति-अस्वीकृति से ऊपर उठकर देखा है. हमारे यहां अद्वैत भी है, द्वैत भी है. इन द्वैत-अद्वैत को समाहित करते हुये श्री रामानुजाचार्य जी का विशिष्टा-द्वैत भी है."

स्टैच्यू ऑफ इक्वेलिटी का संदेश 

पीएम मोदी ने कहा, "आज रामानुजाचार्य जी की विशाल मूर्ति Statue of Equality के रूप में हमें समानता का संदेश दे रही है. इसी संदेश को लेकर आज देश ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, और सबका प्रयास’ के मंत्र के साथ अपने नए भविष्य की नींव रख रहा है." प्रधानमंत्री ने कहा, "आज से एक हजार साल पहले तो रुढियों और अंधविश्वास का दबाव कितना ज्यादा रहा होगा. लेकिन रामानुजाचार्य जी ने समाज में सुधार के लिए समाज को भारत के असली विचार से परिचित कराया." प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि आज देश में एक ओर सरदार साहब की ‘Statue of Unity’ एकता की शपथ दोहरा रही है, तो रामानुजाचार्य जी की ‘Statue of Equality’ समानता का संदेश दे रही है. यही एक राष्ट्र के रूप में भारत की विशेषता है. 

मूर्ति की परिकल्पना श्री चिन्ना जीयर स्वामी ने की है

इस भवन में वैदिक डिजिटल लाइब्रेरी और रिसर्च सेंटर, प्राचीन भारतीय ग्रंथ, थिएटर और एक  शैक्षिक गैलरी है जिसमें श्री रामानुजाचार्य के किए गए कामों का जिक्र है. मूर्ति की परिकल्पना श्री रामानुजाचार्य आश्रम के श्री चिन्ना जीयर स्वामी ने की है. कार्यक्रम के दौरान श्री रामानुजाचार्य की जीवन यात्रा और शिक्षा पर थ्रीडी प्रेजेंटेशन मैपिंग का भी प्रदर्शन किया गया. प्रधानमंत्री मोदी 108 दिव्य देशम (नक्काशीदार मंदिर) का भी दौरा करेंगे जो स्टैच्यू ऑफ इक्वलिटी को घेरे हुए है.

120 किलो वजन की भव्य मूर्ति 

भव्य मंदिर के अंदर 120 किलो वजन की एक भव्य मूर्ति भी स्थापित की गई है. इस मंदिर का निर्माण 45 एकड़ क्षेत्र में हुआ है. इस मंदिर की परिकल्पना करने वाले त्रिदंडी चिन्ना जीयर स्वामी का कहना है कि साल 1017 में जन्मे रामानुजाचार्य 120 सालों तक धरती पर रहे और समानता को लेकर बात की. इसी वजह से मूर्ति का वजन 120 किलो रखा गया है. आर्किटेक्ट आनंद साईं इस मंदिर के आर्किटेक्ट हैं. रामानुजाचार्य का पार्थिव शरीर संरक्षित कर आज भी एक मंदिर में रखा हुआ है. उनका शरीर तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली के श्रीरंगम में मौजूद एक भव्य मंदिर में रखा हुआ है.