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Priyanka Gandhi in Parliament: राजनीति से दूर रहकर भी नेहरू-गांधी परिवार के इन लोगों ने किया कमाल, जानिए इनके बारे में

पंडित जवाहरलाल नेहरू से लेकर प्रियंका गांधी तक इस परिवार के कई चेहरों ने भारतीय राजनीति में भागीदारी निभाई है और संसद तक रास्ता बनाया है. लेकिन इसी परिवार के कई सदस्य ऐसे भी हैं जिन्होंने राजनीति तक आए बिना बड़े काम किए हैं.

पंडित मोतीलाल नेहरू और उनका परिवार (Photo/Wikimedia Commons) पंडित मोतीलाल नेहरू और उनका परिवार (Photo/Wikimedia Commons)

वायनाड लोकसभा उपचुनाव में जीत हासिल कर प्रियंका गांधी संसद पहुंचने वाली 'नेहरू-गांधी' परिवार (Nehru-Gandhi Family) की 10वीं सदस्य बन गई हैं. पंडित जवाहरलाल नेहरू से लेकर राहुल गांधी तक इस परिवार का कोई न कोई सदस्य एक समय पर संसद में रहा ही है.

लेकिन इस परिवार का इतिहास सिर्फ सक्रिय राजनीति तक ही सीमित नहीं है. नेहरू-गांधी परिवार ने भले ही राजनीति को आजादी के बाद लंबे वक्त तक डॉमिनेट किया लेकिन इस 'फैमिली-ट्री' के कई चेहरे ऐसे भी हैं जो राजनीति से दूर रहे. और फिर भी उन्होंने बड़े काम किए. आइए डालते हैं कुछ ऐसे ही नामों पर नजर.

पंडित नेहरू के चचेरे भाई थे सिविल सर्वेंट
पंडित जवाहरलाल नेहरू के चचेरे भाई बृजलाल नेहरू का जन्म पांच मई 1884 को हुआ था. वह मोतीलाल नेहरू के भाई पंडित नंदलाल नेहरू के बेटे थे. बृजलाल ने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से पढ़ाई पूरी करने के बाद अंग्रेज सरकार में कई पद संभाले थे. साथ ही उन्होंने रिटायरमेंट के बाद महाराजा हरि सिंह के वित्त मंत्री के तौर पर भी काम किया. बृजलाल की पत्नी रामेश्वरी रैना को भी महिला अधिकारों के लिए किए गए उनके सामाजिक कार्य के लिए याद किया जाता है.

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इंदिरा गांधी को खटके थे भाई बृजकुमार
बृजलाल नेहरू और रामेश्वरी रैना के बेटे बृजकुमार नेहरू थे. उन्होंने भी अंग्रेज सरकार में बतौर सिविल सर्वेंट काम किया. भारत को आजादी मिलने के बाद बृजकुमार ने वर्ल्ड बैंक के कार्यकारी निदेशक (1949) और वाशिंगटन में भारतीय दूतावास के आर्थिक मंत्री के तौर पर काम किया. 

बृजकुमार 1957 में आर्थिक मामलों के सचिव बने. उन्हें 1958 में भारत के आर्थिक मामलों (बाहरी वित्तीय संबंध) के लिए आयुक्त जनरल नियुक्त किया गया. वे जम्मू और कश्मीर (1981-84), असम (1968-73), गुजरात (1984-86), नागालैंड (1968-73), मेघालय (1970-73), मणिपुर (1972-73) और त्रिपुरा (1972-73) के गवर्नर भी रहे. 
 

Braj Kumar Nehru with John F Kennedy
अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति जॉन एफ. केनेडी के साथ बृज कुमार नेहरू (1961) Photo: Wikimedia Commons

बृजकुमार नेहरू परिवार के उन लोगों में से थे जो इमरजेंसी में इंदिरा गांधी का समर्थन नहीं करते थे. फारूक अब्दुल्ला सरकार को अस्थिर करने में इंदिरा गांधी की मदद करने से इनकार करने के बाद उन्हें रातोंरात जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल के रूप में गुजरात स्थानांतरित भी कर दिया गया था. 

नेहरू की बहन कृष्णा थीं इजराइल समर्थक
पंडित नेहरू की बहन कृष्णा नेहरू हथीसिंह एक भारतीय लेखिका और सामाजिक कार्यकर्ता थीं. उनकी शादी अहमदाबाद के एक उद्योगपति गुणोत्तम हथीसिंह से हुई थी. दोनों पति-पत्नी ने भारत की आजादी के लिए लड़ाई की और जेल में अच्छा खासा समय बिताया. गुणोत्तम 1950 का दशक खत्म होते-होते नेहरू के बड़े आलोचक भी बन गए थे. 

कृ्ष्णा के बारे में खास बात यह है कि उन्होंने इजराइल की तरफ भारत की दोस्ती का पहला हाथ बढ़ाया था. कृष्णा ने मई 1958 में इजराइल में तीन दिन बिताए थे. इसके बाद उन्होंने भारत में 'इजराइल-इंडिया फ्रेंडशिप लीग' की स्थापना की थी. उस समय भारत-इजराइल के बीच किसी तरह के राजनयिक संबंध नहीं थे. कृष्णा इसे बदलना चाहती थीं. 

कृष्णा ने नेहरू परिवार से जुड़ी दो किताबें भी लिखी थीं. पहली, 'We Nehrus, With No Regrets- An Autobiography.' और दूसरी, 'Dear to Behold: An Intimate Portrait of Indira Gandhi.' 

आर्मी चीफ प्राण नाथ थापर भी थे नेहरू के रिश्तेदार
भारत के चौथे आर्मी चीफ प्राण नाथ थापर भी पंडित नेहरू के दूर के रिश्तेदार थे. दरअसल थापर ने राय बहादुर बशीराम सहगल की सबसे बड़ी बेटी और राय बहादुर रामसरन दास की पोती बिमला बशीराम से शादी की थी. बिमला थापर गौतम सहगल की बहन थीं. और सहगल की पत्नी नयनतारा सहगल विजयलक्ष्मी पंडित की बेटी यानी जवाहरलाल नेहरू की भतीजी थीं! 

थापर दंपत्ति को चार संतानों का सुख प्राप्त हुआ. इनमें से सबसे छोटे बेटे का नाम करण थापर है, जो आज एक वरिष्ठ पत्रकार हैं. और इनकी एक भतीजी भी है. जो भारत की प्रतिष्ठित इतिहासकार रोमीला थापर हैं!