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आर वेंकटरमणी देश के अगले अटॉर्नी जनरल, जानिए उनके बारे में सबकुछ

आर वेंकटरमणी को देश का अगला अटॉर्नी जनरल नियुक्त किया गया है. वो 1979 से सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस कर रहे हैं. इसके अलावा वरिष्ट अधिवक्ता पैनल के भी सदस्य रह चुके हैं. इसके अलावा उनकी लिखी कई किताबें भी पब्लिश हो चुकी हैं.

आर वेंकट रमणी आर वेंकट रमणी
हाइलाइट्स
  • वरिष्ठ अधिवक्ता पैनल में रह चुके हैं रमणी

  • 1979 से सुप्रीम कोर्ट में कर रहे प्रैक्टिस

आर वेंकटरमणी को देश के नए अटॉर्नी जनरल के रूप में नियुक्त किया गया हैं. राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मु ने उनकी नियुक्ति की अधिसूचना जारी की है. रमणी पहली अक्टूबर से देश के शीर्षस्थ विधिक अधिकारी के तौर पर यानी नए अटॉर्नी जनरल के रूप में कार्यभार संभालेंगे.

वरिष्ठ अधिवक्ता पैनल में रह चुके हैं रमणी
वरिष्ठ अधिवक्ता आर वेंकटरमणी सुप्रीम कोर्ट में भारत सरकार के वरिष्ठ अधिवक्ता पैनल में रहे हैं.  अप्रत्यक्ष कर मामलों में उनका अनुभव बेजोड़ है. उन्हें 2010 में भारत के विधि आयोग के सदस्य के रूप में नियुक्त किया गया. वह दशकों से आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु राज्यों के लिए विशेष वरिष्ठ वकील के रूप में काम करते रहे हैं.

1979 से सुप्रीम कोर्ट में कर रहे प्रैक्टिस
न्यायशास्त्र और विधि शास्त्र के ज्ञाता और देश के भावी अटॉर्नी जनरल वरिष्ठ वकील आर वेंकटरमणी जुलाई 1977 में बार काउंसिल ऑफ तमिलनाडु में बतौर वकील शामिल हुए. वर्ष 1979 से सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस कर रहे हैं. 1997 में भारत के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा वरिष्ठ वकील के रूप में नामित किया गया.
विधि आयोग, 2010 के सदस्य के रूप में और फिर से वर्ष 2013 में एक और कार्यकाल के लिए नियुक्त किया गया.

कई मंत्रालयों के वकील रह चुके हैं 
वित्त मंत्रालय, रेल मंत्रालय और स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने कई अवसरों पर विशेष वकील के रूप में उनकी सेवाएं ली है. न्यायालय के कर्मचारियों से संबंधित मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के वकील; एक समान अवसर आयोग की संरचना और कार्यों की जांच और निर्धारण करने के लिए अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय द्वारा गठित विशेषज्ञ समूह के सह-चयनित सदस्य रहे हैं. उन्हें भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद की आचार समिति का सदस्य बनने के लिए आमंत्रित किया गया था. कई वकील संघों के सदस्य सह पदाधिकारी रहने के साथ साथ इंडियन सोसाइटी ऑफ इंटरनेशनल लॉ के आजीवन सदस्य भी हैं.  सोसाइटी के वार्षिक ग्रीष्मकालीन पाठ्यक्रमों के लिए संसाधन व्यक्ति और सोसाइटी की परियोजनाओं में सक्रिय रूप से भाग लेते हैं.

न्यायमूर्ति एम एन वेंकटचलैया की अध्यक्षता में संविधान के कामकाज की समीक्षा करने वाले आयोग द्वारा गठित राज्य नीति के निदेशक सिद्धांतों पर अध्ययन के लिए बनाई उप-समिति के सदस्य भी रहे हैं.

विदेशों में भी कर चुके हैं काम
वह मई 2002 में बर्लिन में आयोजित एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के बाद भोजन के अधिकार पर एक उपकरण का मसौदा तैयार करने में लगे अंतर्राष्ट्रीय कार्य समूह से भी जुड़े हुए हैं. उन्हें नेपाली संविधान प्रारूपण और अनुभव साझा करने के अभ्यास (2008) में शामिल होने के लिए भी आमंत्रित किया गया था.

कई किताबें हो चुकी हैं पब्लिश
उनके लिखे कई ग्रंथों का प्रकाशन हो चुका है.  1975 में आई भूमि सुधार कानून और वास्तविक स्थिति पर आधारित पुस्तक के सह-लेखक, इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ह्यूमन राइट्स सोसाइटी (1995) द्वारा प्रकाशित 'जस्टिस ऑफ जस्टिस ओ. चिन्नाप्पा रेड्डी' (सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश); बटरवर्थ द्वारा प्रकाशित हाल्सबरी लॉज़ ऑफ़ इंडिया की श्रृंखला में 'टोर्ट्स' पर वॉल्यूम; भारतीय कानून का पुनर्कथन (जनहित याचिका) [कानूनों के पुनर्कथन संबंधी समिति द्वारा प्रायोजित - भारत के सर्वोच्च न्यायालय और भारतीय विधि संस्थान की संयुक्त समिति]. वह वर्तमान में काम कर रहे हैं- 'घरेलू कानून बनाने और न्यायिक प्रवर्तन में अंतर्राष्ट्रीय उपकरणों का दायरा और अनुप्रयोग' और संवैधानिक अधिकार और न्यायशास्त्र पर एक पुस्तक लिख चुके हैं.