अगर कोई बच्चा स्कूल में फेल हो जाए तो उस बच्चे से लोगों को कोई उम्मीदें नहीं रह जाती हैं. सबको उस बच्चे का भविष्य अंधेरे में दिखता है. लेकिन आज हम आपको एक ऐसी कहानी बता रहे हैं जिसे जानकर आप भी कहेंगे कि कोशिश करने वालों की हार नहीं होती.
यह कहानी है iD Fresh Food Company के फाउंडर पीसी मुस्तफा की. मुस्तफा एक बार छठी कक्षा में फेल हो गए थे और उन्होंने तय कर लिया था कि वह अपने पिता की तरह कूली का काम करेंगे. लेकिन थोड़े से प्रोत्साहन और मदद से उन्होंने अपनी पढ़ाई फिर से शुरू की और आईडी फूड फ्रेश कंपनी की स्थापना की जो अब करोड़ों की कमाई कर रही है.
ब्रांड बनी iD Food Fresh Company
साल 2005 में पीसी मुस्तफा और उनके कजिन्स ने मिलकर आईडी फ्रेश फूड कंपनी की स्थापना की थी. इस कंपनी को शुरू करने के पीछे उनका उद्देश्य भारतीयों और विदेशी ग्राहकों को अलग-अलग "रेडी-टू-कुक" आइटम उपलब्ध कराना है. यह फूड कंपनी अब करोड़ों के सालाना टर्नओवर के साथ भारत का एक जाना-माना ब्रांड है. आज, "iD" हर ई-कॉमर्स कंपनी पर लिस्टेड है.
आज इस कंपनी के प्रोडक्ट्स भारत के अलग-अलग राज्यों के साथ-साथ अमेरिका, यूके, दुबई, ओमान और सउदी तक भी पहुंच रहे हैं. आईडी फ्रेश फूड की सफलता एक दिन की कहानी नहीं है बल्कि यह मुस्तफा की मेहनत और लगन के कारण है कि आज उनकी कंपनी इस स्तर पर पहुंची है. आपको जानकर हैरानी होगी कि इस करोड़ों की कंपनी की शुरुआत कभी 50 वर्ग फुट के एक छोटे से कमरे से हुई थी.
आसान नहीं था सफर
केरल के वायनाड जिले के एक छोटे से गांव में पीसी मुस्तफा का जन्म एक गरीब परिवार में हुआ था. उनके पिता दिहाड़ी मजदूर थे और कुली का काम करते थे और उनकी मां घर संभालती थी. मुस्तफा के पिता चाहते थे कि उनके बच्चे अच्छा पढ़े-लिखें और इसलिए उन्होंने कड़ी मेहनत की. हालांकि, मुस्तफा को महज 10 साल की उम्र में कुली का काम करना पड़ा.
अपने परिवार की मदद करने के लिए और छठी कक्षा में फेल होने के बाद मुस्तफा ने अपने पिता की तरह कुली का काम जारी रखने का फैसला किया. लेकिन उनके एक टीचर ने उन्हें हार न मानने की सलाह दी और अपनी पढ़ाई जारी रखने के लिए प्रोत्साहित किया. पर मुस्तफा के लिए उनका परिवार पहले था. ऐसे में, उनके शिक्षक ने उन्हें समझाया और उनकी पढ़ाई का खर्च उठाया. अपने टीचर की बात मानकर मुस्तफा ने फिर से पढ़ाई शुरू की और इसके बाद वह कभी फेल नहीं हुए.
उन्होंने नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, कैलीकट से कंप्यूटर साइंस में डिग्री हासिल की. अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने 15000 रुपये की कमाई के साथ मोटोरोला में नौकरी भी की. फिर उन्होंने आयरलैंड और दुबई जैसे विभिन्न देशों में बहुराष्ट्रीय कंपनियों में भी काम किया. लेकिन मुस्तफा सिर्फ नौकरी में फंसकर नहीं रहना चाहते थे. वह अपना खुद का बिजनेस करना चाहते थे.
Ready to Cook प्रोडक्ट्स में दिखा बिजनेस
अमेरिका में अपनी नौकरी छोड़ने के बाद, मुस्तफा जब भारत लौटे तो उनके दिमाग में सिर्फ यही था कि अपना बिजनेस शुरू करना है. उन्होंने फुड सेक्टर में आगे बढ़ने की सोची और इल के लिए सर्वे करने लगे. उन्होंने देखा कि कुछ दुकानों और रेस्टोरेंट्स पर इडली-दोसा का बैटर बेचा जाता है. लेकिन यह अभी भी बहुत मैनेज्ड सेक्टर नहीं है. उन्हें इस तरह के "रेडी-टू-कुक" फूड प्रोडक्ट्स में बिजनेस दिखा और साल 2005 में उन्होंन अपनी कंपनी शुरू की.
मुस्तफा लोगों को हर तरह के केमिकल और प्रिजर्वेटिव्स से फ्री इडली-दोसा बैटर देना चाहते थे ताकि सेहत से समझौता न हो. उन्होंने अपने चचेरे भाइयों के साथ 25000 रु. की लागत से शुरुआत की. उन्होंने बेंगलुरु के टिपसांद्रा में 50 वर्ग फुट की एक छोटी सी रसोई शुरू की और इसे भारत के खाद्य उद्योग में एक बड़ा नाम बनाने के लिए कड़ी मेहनत की. आज उनका बिजनेस करोड़ों के टर्नओवर तक पहुंच चुका है. इडली-दोसा बैटर के अलावा, अब कंपनी और भी बहुत से प्रोडक्ट्स लोगों के लिए उपलब्ध करा रही है जैसे दही, ब्रेड, बटर, मालाबार पराठा, वडा का बैटर, इंस्टेंट कॉफी आदि.