भारतीय रेल की कोशिश ये है की वो इलेक्ट्रिक लाइन या इंजन पर जायदा फोकस करे. इसे लेकर लगातार इलेक्ट्रिक लाइन बिछाने का काम चल भी रहा है. इसके साथ ही भारतीय रेल में डीजल इंजन का भी लगातार प्रयोग चल रहा है. रेलवे में मुख्य तौर पर इलेक्ट्रिक और डीजल इंजन ट्रेन ही चलाई जाती हैं. भारतीय रेल ने अस्सी और नब्बे के दशक में डीजल इंजन पर ज्यादा जोर दिया क्योंकि ये किफायती भी थे. नए दौर में इलेक्ट्रिक इंजन एक बेहतर और अच्छा विकल्प रेलवे को मिला. उसके बाद कई जोनल तो अब पूरी तरह से इलेक्ट्रिक हो गए हैं.
सस्ता पड़ता है इलेक्ट्रिक इंजन
डीजल इंजन और इलेक्ट्रिक इंजन में कम खर्च इलेक्ट्रिक इंजन को चलाने में आता है. असल में डीजल के बढ़ते हुए दामों की वजह से ये बहुत किफायती भी साबित होता है. अब जरा ये भी समझ लीजिए इन दोनो इंजन में जायदा पॉवरफुल इंजन कौन सा है?
कौन सा इंजन ज्यादा ताकतवर डीजल या इलेक्ट्रिक?
इलेक्ट्रिक इंजन को ओवर हेड इक्यूमेंट से बिजली मिलती है. इलेक्ट्रिक इंजन के मुकाबले डीजल इंजन बहुत भारी होता है. इलेक्ट्रिक इंजन में कई नए कंपोनेंट कम होते हैं. डीजल इंजन के मुकाबले, असल में इलेक्ट्रिक इंजन OHE से बिजली लेकर उसे इस्तेमाल करने लायक बनाता है. जबकि एक डीजल इंजन, डीजल की मदद से इंजन के भीतर ही बिजली बनाता है और इस्तेमाल करता है. इस वजह से डीजल इंजन में ज्यादा कंपोनेंट होते हैं. लिहाजा, इलेक्ट्रिक इंजन के उपकरण डीजल इंजन के उपकरण के मुकाबले कम और हल्के होते हैं.
ट्रैक्शन मोटर बताता है कौन सा इंजन कितना दमदार
ट्रेन को पटरियों पर गति देने के लिए टैक्शन मोटर लगाया जाता है. असल में ये मोटर तय करते हैं कि कौन सा इंजन कितना जायदा पावर फुल है. इस मोटर पर जितना अधिक लोड पड़ेगा ये उतना ही अधिक शक्ति के साथ आगे ट्रेन को ले जायेगा. इलेक्ट्रिक इंजन के मुकाबले डीजल इंजन ज्यादा लोड इस मोटर पर डालता है इसलिए डीजल इंजन ज्यादा पॉवरफुल होता है.
इलेक्ट्रिक इंजन में WAP 4 इंजन (5 हजार हॉर्सपावर) और डीजल डीजल इंजन में WDP 4D इंजन (4500 हॉर्सपावर) के वजन में अच्छा-खासा अंतर है. जहां WAP 4 इंजन का वजन करीब 113 टन होता है, वहीं दूसरी ओर WDP 4D इंजन का वजन करीब 123 टन है. यहां दोनों इंजन के वजन में सीधे-सीधे 10 टन यानि 10 हजार किलो का अंतर है.