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रेलवे ने पहली बार भूमि अधिग्रहण विवरण के लिए जारी किया QR code

गुड़गांव से गुजरने वाली हरियाणा ऑर्बिटल रेल कॉरिडोर परियोजना के लिए रेलवे मंत्रालय ने भूमि अधिग्रहण के लिए एक अधिसूचना जारी की है. यह अपनी तरह का किया गया पहला परीक्षण है, जिसमें भूमि का पूरा विवरण सभी क्यूआर कोड में एम्बेडेड होगा.

QR code (Representative Image) QR code (Representative Image)
हाइलाइट्स
  • अधिसूचना में होगा पूरा विवरण

  • अन्य सरकारी एजेंसियां भी कर सकती हैं इस्तेमाल

गुड़गांव से गुजरने वाली हरियाणा ऑर्बिटल रेल कॉरिडोर परियोजना के लिए रेलवे मंत्रालय ने भूमि अधिग्रहण के लिए एक अधिसूचना जारी की है. यह अपनी तरह का किया गया पहला परीक्षण है, जिसमें भूमि का पूरा विवरण सभी क्यूआर कोड में एम्बेडेड होगा. 

कई विशेषज्ञों ने जताई चिंता
एक तरफ जहां इस कदम का उद्देश्य प्रभावित पक्षों को भूमि के विवरण तक आसान पहुंच प्राप्त करने का विकल्प प्रदान करना है वहीं कई विशेषज्ञों ने इसको लेकर चिंता जताई है. उनका कहना है कि क्या इस तरह के कदम से इस उद्देश्य की पूर्ति होगी कि अधिकांश भूमि अधिग्रहण ग्रामीण क्षेत्रों में किए गए हैं? हालांकि,ऑर्बिटल रेल प्रोजेक्ट से जुड़े एक अधिकारी ने कहा कि यह अधिसूचना succesive one है. इससे पहले स्थानीय समाचार पत्रों में विस्तृत अधिसूचना प्रकाशित की गई थी, जब रेलवे ने पहली बार परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण करने की इच्छा व्यक्त की थी और असम्मति को भी आमंत्रित किया था. 

अधिसूचना में होगा पूरा विवरण
एक अधिकारी ने बताया, “अखबारों में प्रकाशित पहले की सूचनाओं में सभी विशिष्ट विवरण थे. आपत्तियों की सुनवाई की प्रक्रिया पूरी होने के बाद यह अधिसूचना जारी की गई थी. किसी भी भूमि के अधिग्रहण के इरादे को दर्शाने वाली पहली अधिसूचना समाचार पत्रों में भूमि पार्सल और उनके मालिकों के सभी विवरणों के साथ प्रकाशित की जाएगी. ”

अन्य सरकारी एजेंसियां भी कर सकती हैं इस्तेमाल
सूत्रों के अनुसार भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI)और सड़क परिवहन मंत्रालय सहित अन्य सरकारी एजेंसियां ​​भी जमीन अधिग्रहण की अधिसूचना के लिए क्यूआर कोड का इस्तेमाल करने की योजना बना रही है. उन्होंने कहा कि इससे लोगों को अपने फोन पर ही नोटिफिकेशन प्राप्त करने में मदद मिलेगी और उन्हें नोटिफिकेशन के लिए इधर-उधर देखने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी. 
एनएचएआई के एक पूर्व अधिकारी ने कहा, “व्यावहारिक मुद्दा यह है कि क्या यह ग्रामीण भारत में काम करता है? अभी के लिए यह उचित नहीं हो सकता है. गांवों में कितने लोग मोबाइल ऐप डाउनलोड करेंगे और क्यूआर कोड पढ़ेंगे?