रेल मंत्रालय ने नई तकनीकों जैसे हाइपरलूप, अधिक हल्के एल्यूमीनियम डिब्बों के निर्माण और हाइड्रोजन ईंधन आधारित ट्रेनों पर भारी जोर देने पर ध्यान केंद्रित किया है. सूत्रों ने कहा कि मंत्रालय अगले बजट में इन्हें शामिल कर सकता है.
बढ़ेगी ट्रेनों की स्पीड
सूत्रों ने कहा कि हाल ही में हुई बैठक में इन मुद्दों पर चर्चा हुई और अधिकारियों को विस्तृत प्रस्ताव तैयार करने का निर्देश दिया गया है. उन्होंने कहा कि रेलवे रेल क्षेत्र में अपनी क्षमताओं का प्रदर्शन करने के लिए एक प्रदर्शन परियोजना के लिए हाइपरलूप टेक्नोलॉजी प्राप्त करने की संभावनाएं तलाश रहा है. हाइपरलूप, जो अभी तक दुनिया में कहीं भी चालू नहीं हुआ है यात्री और माल दोनों के लिए एक उच्च गति परिवहन प्रणाली(high-speed transportation system)है.
अभी तक स्टील से बनते थे ट्रेन के डिब्बे
इसके अलावा रेलवे अधिकतम दक्षता हासिल करने और ऊर्जा बचाने के लिए हल्के एल्यूमीनियम कोच और हाइड्रोजन ईंधन आधारित ट्रेनों को शामिल करने पर भी ध्यान केंद्रित कर रहा है. वर्तमान में रेलवे के डिब्बे स्टेनलेस स्टील के बने होते हैं, जो काफी ज्यादा भारी और उच्च ऊर्जा खपत वाले होते हैं. सूत्रों ने कहा कि प्रौद्योगिकी हासिल करने के बाद तीनों रेलवे उत्पादन इकाइयों में एल्युमीनियम के डिब्बों का निर्माण किया जाएगा.
कम होगा यात्रा का समय
साथ ही रेलवे टिल्टिंग या आर्टिक्यूलेटेड तकनीक का उपयोग करके मौजूदा पटरियों पर यात्रा के समय को कम करने की भी योजना बना रहा है. इस तकनीक को अपनाने से ट्रेनों की पटरियों पर कम घुमाव होगा और इससे ट्रेन की स्पीड बनी रहेगी तथा समय भी कम लगेगा. सूत्रों ने बताया कि दिल्ली-मुंबई और दिल्ली-हावड़ा रूट को 160 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चलने वाली ट्रेनों के लिए अपग्रेड किया जा रहा है. इन पर सबसे पहले टिल्टिंग टेक्नोलॉजी पर आधारित एल्यूमीनियम कोच दिखाई देंगे.