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Man Singh I: अकबर के नौ रत्नों में शामिल थे राजा मान सिंह, मुगल दरबार में बढ़ाई थी अपनी शक्ति

राजा मान सिंह अकबर के नौ रत्नों में से एक थे. वे 1562 में अकबर के दरबार में शामिल हुए, जब अकबर ने आमेर के राजा बिहार मल की सबसे बड़ी बेटी से शादी की. उन्होंने मान सिंह को गोद लिया था. उन्हें बिहार और बाद में बंगाल का गवर्नर बनाया गया.

Man Singh I Man Singh I
हाइलाइट्स
  • अकबर से उनके संबंध बहुत करीबी थे.

  • भगवान दास के उत्तराधिकारी मानसिंह को अकबर के दरबार में श्रेष्ठ स्थान मिला था.

राजा मान सिंह का जन्म 21 दिसंबर, 1550 को राजस्थान के आमेर में हुआ. राजा मान सिंह आमेर (आम्बेर) के कच्छवाहा राजपूत राजा थे. उन्हें 'मान सिंह प्रथम' के नाम से भी जाना जाता है. वो राजा भगवानदास के पुत्र थे. राजा मान सिंह अकबर के नौ रत्नों में से एक थे. वे 1562 में अकबर के दरबार में शामिल हुए, जब अकबर ने आमेर के राजा बिहार मल की सबसे बड़ी बेटी हरका बाई से शादी की. उन्होंने मान सिंह को गोद लिया था. उन्हें बिहार और बाद में बंगाल का गवर्नर बनाया गया. भगवान दास के उत्तराधिकारी मानसिंह को अकबर के दरबार में श्रेष्ठ स्थान मिला था.

अकबर के नौ रत्नों में से एक थे मान सिंह

अकबर ने 1576 में राजा मान सिंह को प्रधान सेनापति बनाकर महाराणा प्रताप से युद्ध करने भेजा. जहां उन्होंने हल्दीघाटी की लड़ाई में मुगल सेना का नेतृत्व किया. मान सिंह गुजरात, काबुल, बंगाल, बिहार, झारखंड और ओडिशा के सूबेदार नियुक्त किए गए. 1614 में दक्कन में मुगल सेना की कमान संभालते हुए उनकी मौत हो गई थी. ऐसा कहा जाता है कि उनकी 60 पत्नियों ने उनकी मौत के बाद आत्मदाह कर लिया था. 

मुगल सेवा में दिए जीवन के 52 साल

कहा जाता है अगर राजा मान सिंह न होते तो अकबर की राज्य विस्तार की नीति प्रभावित होती. वह अकबर की सेना के प्रधान सेनापति थे. उन्होंने आमेर के महल का निर्माण कराया था. राजा मान सिंह ने अपने जीवन के 52 साल मुगल सेवा में दिए. मुगलों के शासन काल में गैर मुस्लिमों को 5 हजार की मनसबदारी नहीं दी जाती थी लेकिन अकबर राजा मान सिंह की सैन्य क्षमता से इस कदर प्रभावित हुए थे कि उन्होंने मानसिंह को 7 हजार की मनसबदारी दी थी.

अकबर के राज्य विस्तार में निभाई अहम भूमिका

अकबर ने राजा मान को को कई सैन्य अभियानों पर भेजा. इनकी शानदार प्रतिभा के कारण ही अकबर को अपने विद्रोहियों का दमन करने में सफलता हासिल हुई. मान सिंह प्रथम अकबर के शासनकाल में बेहद अहमियत रखते थे. मानसिंह के शासनकाल में आमेर राज्य ने बड़ी उन्नति की. मुगल दरबार में सम्मानित हो कर मानसिंह ने अपने राज्य का विस्तार किया उन्होंने अनेक राज्यों को आमेर के अधीन बनाया.

मंदिरों का कराया निर्माण

अकबर उन्हें कभी फर्जद (पुत्र के समा) तो कभी मिरज़ा राजा के नाम से पुकारते थे. भारत में मन्दिर तोड़े जा रहे थे, धर्म परिवर्तन कराए जा रहे थे तब मान सिंह की कोशिशों के कारण ही कई हिंदू मंदिर नष्ट होने से बच गए. ओडिसा के सुल्तान ने जगन्नाथ पुरी के मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनाने की कोशिश की थी, तब राजा मान सिंह को खुद सेना लेकर ओडिसा जाना पड़ा. इसमें पठानों ओर उनके सहयोगी हिन्दू राजाओं की हार हुई. राजा मानसिंह ने न केवल हिंदुओं को मुस्लिम धर्म अपनाने से रोका, बल्कि मुगल दरबार में अपनी शक्ति भी बढ़ाई. उन्होंने वाराणसी, वृंदावन, बंगाल, बिहार, काबुल, कंधार, आमेर, जयपुर सहित पूरे भारत में मंदिरों का निर्माण करावाया था.