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Hiralal Shastri Story: 21 साल में शास्त्री की उपाधि, पटेल से करीबी, बेटी की याद में गर्ल्स यूनिवर्सिटी की शुरुआत... ऐसा था राजस्थान के पहले सीएम पंडित हीरालाल शास्त्री का सियासी सफर

Rajasthan Election: राजस्थान के पहले मुख्यमंत्री हीरालाल शास्त्री ने 21 साल की उम्र में शास्त्री की उपाधि हासिल कर ली थी. 7 अप्रैल 1949 को वो राजस्थान के पहले मुख्यमंत्री बने थे और 5 जनवरी 1951 तक इस पद पर रहे थे. हीरालाल शास्त्री सरदार पटेल के करीबी थे.

हीरालाल शास्त्री 7 अप्रैल 1949 को राजस्थान के पहले सीएम बने थे हीरालाल शास्त्री 7 अप्रैल 1949 को राजस्थान के पहले सीएम बने थे

राजस्थान में विधानसभा चुनाव के लिए 25 नवंबर को वोट डाले जाएंगे. सूबे में सियासी सरगर्मियां तेज हो गई हैं. चुनाव आयोग वोटिंग को लेकर तैयारियों में जुटा है तो सियासी दल अपना-अपना प्रचार कर रहे हैं. इस चुनावी माहौल में राजस्थान के पहले मुख्यमंत्री पंडित हीरालाल शास्त्री को कोई कैसे भूल सकता है? राजस्थान के सियासी इतिहास में उनका अहम योगदान रहा है. चलिए उनके जीवन से लेकर सियासी सफर तक के बारे में जानते हैं.

21 साल की उम्र में शास्त्री की उपाधि-
पंडित हीरालाल शास्त्री का जन्म जयपुर के एक किसान परिवार में 24 नवंबर 1899 को हुआ था. उनका नाम हीरालाल जोशी था. उनकी शुरुआती पढ़ाई-लिखी जोबनेर में ही हुई. सिर्फ 21 साल की उम्र में साल 1920 में उन्होंने संस्कृत में शास्त्री की डिग्री हासिल की. इसके बाद वो हीरालाल जोशी से हीरालाल शास्त्री बन गए. इसके बाद उन्होंने छात्रों को पढ़ाने का काम शुरू किया.

गांव में आश्रम खोलने की थी इच्छा-
हीरालाल शास्त्री की इच्छा गांव में एक आश्रम खोलने की थी. लेकिन जयपुर राजघराने की इच्छा के मुताबिक उनको शहर में रहना पड़ा. वो कॉलेज में संस्कृत पढ़ाने लगे. इसके कुछ दिनों बाद वो सियासत में एक्टिव हो गए. छोटी-छोटी जनसभाओं में हिस्सा लेने लगे. इस तरह से उनका कांग्रेस से जुड़ाव हुआ.

सियासत और सरदार से करीबी-
उन दिनों रिसायतकाल जयपुर प्रजामंडल को महात्मा गांधी के करीब जमनालाल बजाज संभाल रहे थे. उन्होंने हीरालाल शास्त्री को सचिव बना दिया. इस बीच साल 1942 में जमनालाल बजाज का निधन हो गया. इसके बाद शास्त्री प्रजामंडल का सर्वेसर्वा बन गए. इसके बाद वो सरदार पटेल और जवाहर लाल नेहरू के करीब आए. आजादी के बाद संविधान सभा बनी तो उन्होंने जयपुर का प्रतिनिधित्व किया और पुरजोर तरीके से अपनी बात रखी. उनके तेवरों को देखकर सरदार पटेल उन्हें और पसंद करने लगे.

शास्त्री बने राजस्थान के पहले सीएम-
25 मार्च 1948 को कई रियासतों को मिलाकर राजस्थान एक बड़ा राज्य बना. 30 मार्च को संपूर्ण राजस्थान का गठन हुआ. इसके बाद मेवाड़, मारवाड समेत कई प्रजामंडलों में चल रही लोकप्रिय सरकारें खत्म हो गईं. राजस्थान के पहले सीएम के लिए कई नामों में चर्चा चल रही थी. लेकिन सरदार पटेल ने हीरालाल शास्त्री पर भरोसा जताया. इस तरह से 7 अप्रैल 1949 को हीरालाल शास्त्री राजस्थान के पहले मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली.

पटेल का निधन और अकेले पड़ गए शास्त्री-
1950 में कांग्रेस के संगठन चुनाव हुए. जिसमें राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद के लिए दो उम्मीदवार जेबी कृपलानी और पुरुषोत्तम दास टंडन मैदान में थे. कृपलानी पंडित नेहरू के करीबी माने जाते थे और टंडन पटेल के. शास्त्री का खेमे ने टंडन का साथ दिया. टंडन चुनाव जीत गए. लेकिन इस चुनाव के बाद सरदार बल्लभभाई पटेल का निधन हो गया. इसके बाद हीरालाल शास्त्री अकेले पड़ गए. दिल्ली में उनकी बात रखने वाला कोई नहीं था. अचानक 3 जनवरी 1951 को शास्त्री ने मुख्यमंत्री पद के इस्तीफा दे दिया.

बेटी की याद में बनाई यूनिवर्सिटी-
एक वक्त ऐसा भी था, जब हीरालाल शास्त्री अपनी पत्नी और बेटी के साथ जयपुर के पास टोंक जिले में वनस्थली गांव में रहते थे. उस गांव में कोई स्कूल नहीं था. हीरालाल शास्त्री बेटी शांता को खुद पढ़ाते थे. 12 साल की उम्र में शांता बीमार पड़ी और उनका निधन हो गया. बेटी की मौत के बाद शास्त्री टूट गए. हालांकि उन्होंने खुद को संभाला और बेटी की याद में अक्टूबर 1935 में एक स्कूल खुलवाया. इस स्कूल में लड़कियों को पढ़ने के लिए सुविधाएं थीं. इसका नाम शांताबाई शिक्षा कुटीर रखा गया. पहले साल इस स्कूल में 6 लड़कियों ने पढ़ाई की. इसके बाद संख्या बढ़ती गई. आज ये देश की सबसे बड़ी गर्ल्स यूनिवर्सिटी है. इसका नाम वनस्थली विद्यापीठ है.

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