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Rajasthan Election Results: राजस्थान में रिवाज कायम! बीजेपी की जीत और कांग्रेस की हार के फैक्टर जानिए

Rajasthan Chunav Results 2023: राजस्थान में जनता ने रिवाज कायम रखा है. चुनाव में बीजेपी को स्पष्ट बहुमत मिलता दिख रहा है. जबकि कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ रहा है. सूबे में बीजेपी की जीत में हिन्दुत्व का मुद्दा, ब्रांड मोदी का सबसे अहम रोल रहा. जबकि कांग्रेस की हार की मुख्य वजह पार्टी की अंदरूनी लड़ाई और लाल डायरी से लेकर करप्शन का मुद्दा रहा.

Ashok Gehlot and Vasundhara Raje Ashok Gehlot and Vasundhara Raje

राजस्थान विधानसभा चुनाव में रिवाज बना हुआ है. रुझानों के मुताबिक बीजेपी सत्ता में वापसी कर रही है और कांग्रेस की गहलोत सरकार की विदाई हो रही है. इस चुनाव में बीजेपी की जीत और कांग्रेस की हार के कई फैक्टर अहम रहे हैं. चलिए आपको इनके बारे में बताते हैं.

बीजेपी की जीत के फैक्टर-
राजस्थान में एक बार फिर बीजेपी की वापसी हो रही है. बीजेपी 119 सीटों पर बढ़त बनाए हुए है. बीजेपी को अब तक 42.05 फीसदी वोट मिले हैं. बीजेपी की इस जीत में अहम भूमिका निभाने वाले 4 बड़े मुद्दों के बारे में बताते हैं.

हिंदुत्व का चला मुद्दा-
राजस्थान में बीजेपी ने हिंदुत्व का मुद्दा उठाया था. बीजेपी ने सूबे में सांप्रदायिक हिंसा की घटनाओं को मुद्दा बनाया. कन्हैयालाल हत्याकांड को मुद्दा बनाया. नाथ संप्रदाय से जुड़े बाबा बालकनाथ को चुनाव में अहमियत दी गई. बीजेपी ने इनके जरिए वोटर्स को लुभाने की सफल कोशिश की. बाबा बालकनाथ को राजस्थान में यूपी की तर्ज पर मुख्यमंत्री के चेहरे के तौर पर देखा जा रहा है. वो भी इस रेस में हैं.

ब्रांड मोदी का फायदा मिला-
देश की सियासत में सबसे बड़ा ब्रांड पीएम मोदी है. उनका नाम ही किसी भी चुनाव में जीत का फासला तय करने के लिए काफी है. राजस्थान चुनाव में बीजेपी को ब्रांड मोदी का फायदा मिला. सूबे में कांग्रेस ने अशोक गहलोत को ओबीसी फेस की तरह पेश किया. शुरुआती दिनों में गहलोत की बढ़त भी दिख रही थी, लेकिन जब पीएम मोदी मैदान में उतरे तो सारा समीकरण ही पलट दिया. सूबे में बीजेपी की सरकार बनने में सबसे बड़ा फैक्टर ब्रांड मोदी का रहा है.

करप्शन को मुद्दा बनाया-
राजस्थान में बीजेपी की जीत का अहम फैक्टर करप्शन का मुद्दा रहा. बीजेपी ने गहलोत सरकार में भ्रष्टाचार के मुद्दों को प्रमुखता से उठाया. सूबे में पेपर लीक का मुद्दा उठाया. सियासत से जुड़े लाल डायरी के मुद्दे को बीजेपी नेताओं ने खूब उछाला. गहलोत सरकार ने बीजेपी के आरोपों का जवाब दिया, लेकिन जनता ने बीजेपी पर भरोसा जताया.

सांसद-मंत्री चुनाव में उतरे-
बीजेपी इस बार  बदली रणनीति के साथ चुनाव मैदान में उतरी. बीजेपी ने विधानसभा चुनाव में केंद्रीय नेताओं को उतारा. बीजेपी ने 7 सांसदों को विधानसभा में उम्मीदवार बनाया. झोटवाड़ा से सांसद राज्यवर्धन सिंह राठौड़, अलवर सांसद बाबा बालकनाथ को तिजारा सीट, सांचौर से सांसद देव जी पटेल, जयपुर के विद्यानगर से बीजेपी सांसद दिव्या कुमारी, सवाईमाधोपुर से बीजेपी सांसद किरोड़ीमल मीणा को मैदान में उतारा. जिसका फायदा पार्टी को मिला. जनता ने बीजेपी के इस रणनीति को पसंद किया. इसमें से ज्यादातर उम्मीदवार जीतने की तरफ बढ़ रहे हैं.

कांग्रेस की हार के फैक्टर-
राजस्थान विधानसभा चुनाव में रुझानों में कांग्रेस की हार होती दिख रही है. कांग्रेस की हार के कई कारण नजर आ रहे हैं. कांग्रेस में गुटबाजी से लेकर करप्शन के मुद्दे पर संतोषजनक जवाब नहीं देना भी हार का अहम काण रहा. चलिए आपको इस चुनाव में कांग्रेस की हार के 4 कारण बताते हैं.

अंदरूनी लड़ाई से नुकसान-
विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की अंदरूनी लड़ाई से काफी नुकसान हुआ. चुनाव में गहलोत गुट और पायलट गुट की लड़ाई साफ-साफ नजर आर ही थी. इस गुटबाजी का असर पार्टी कार्यकर्ताओं पर पड़ा. उनका मनोबल टूट गया. कांग्रेस एकजुटता के साथ पूरे चुनाव में कभी भी नजर नहीं आई. पूरे चुनाव में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच दूरियां बनी रही. जिसका खामियाजा पार्टी को उठाना पड़ा.

गहलोत की योजनाएं फेल-
सीएम अशोक गहलोत ने कई लुभावनी योजनाएं लागू की. चुनाव में सीएम ने 7 गारंटियां लॉन्च की. चुनाव से पहले चिरंजीवी योजना की लिमिट बढ़ाकर 50 लाख करने का वादा किया. लेकिन सरकार इन योजनाओं के फायदे जनता को बताने में नाकाम रही. सूबे के युवाओं ने गहलोत की गारंटियों पर भरोसा नहीं जताया. युवाओं ने पीएम मोदी के वादों पर भरोसा जताया.

लाल डायरी का मुद्दा-
चुनाव में बीजेपी ने लाल डायरी का मुद्दा प्रमुखता से उठा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह तक ने लाल डायरी का जिक्र किया और गहलोत सरकार को निशाने पर लिया. पीएम मोदी ने कांग्रेस पर लूट की दुकान चलाने का आरोप लगाया. सीएम गहलोत ने लाल डायरी को काल्पनिक बताया और बजेपी पर राजेंद्र गुढ़ा को मोहरे की तरह इस्तेमाल करने का आरोप लगाया. लेकिन जनता ने गहलोत की सफाई को भरोसा नहीं जताया.

ध्रुवीकरण रोकने में नाकाम-
कांग्रेस की गहलतो सरकार बीजेपी के हिंदुत्व की काट खोजने में नाकाम रही. सीएम गहलोत ध्रुवीकरण रोकने में नाकाम रहे. बीजेपी ने कन्हैयालाल हत्याकांड को मुद्दा बनाया. लेकिन कांग्रेस इस मुद्दे पर सफाई देने के अलावा कुछ नहीं कर पाई. जिसका खामियाजा पार्टी को भुगतना पड़ा. बीजेपी ने नाथ संप्रदाय के बाबा बालकनाथ को भी चुनाव में अहमियत दी. कांग्रेस के पास राजस्थान के इस योगी का कोई काट नहीं था. इस तरह से कांग्रेस हिंदू वोटों के ध्रुवीकरण को रोकने में नाकाम रही, जिसका फायदा बीजेपी को हुआ और कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा.

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