झुंझुनूं के रहने वाले 11वीं कक्षा के छात्र मेहुल सिंह ने वो कारनामा कर दिखाया जो दूसरे के लिए मिसाल बन गया है. मेहुल द्वारा बनाए गए प्रोजेक्ट की चर्चा देश भर में हो रही है. जिसके लिए उनको राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कारों से नवाजा जा रहा है.
बचपन से थी कुछ नए करने की चाहत
मेहुल का मॉडल ऐसा है, जिसने देश हजारों लाखों दिव्यांगों को एक नई उम्मीद दे दी है. मेहुल के मॉडल की चर्चा हर जगह हो रही है. मेहुल शेखावत का विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग ने राष्ट्रीय इंस्पायर अवार्ड के लिए चयन किया है. मेहुल झुंझुनूं के डूंडलोद पब्लिक स्कूल का छात्र है. मेहुल के परिवार के लोग कहते हैं कि ये बचपन से कुछ नया करने की सोचता था.
असल में मेहुल सिंह ने बैसाखी का एक ऐसा मॉडल तैयार किया है. जो दिव्यांगों के लिए काफी कारगर साबित होगा. असल में इन सब की शुरुआत तब हुई, जब मेहुल ने बारिश में भीगते हुए एक दिव्यांग को देखा उसके बाद उसने ऐसी बैसाखी बनाई, जिसमें छाता लगा है. इसके अलावा इस बैसाखी में मोबाइल ग्रिपर, टॉर्च, पावर बैंक भी लगाया गया, ताकि दोनों हाथों से बैसाखी लेकर चलने वाले दिव्यांगों को कोई परेशानी ना हो.
इंस्पायर अवार्ड से नवाजा गया
मेहुल कहते हैं कुछ चीजें लाइफ में ऐसी होती है, जो जिंदगी बदल देती है. मैं उस दिव्यांग के हालात देख नहीं पाया. जब मैंने उसे देखा तो उस वक्त बारिश हो रही थी. दिव्यांग बरसात में भीगा हुआ था. उसने दोनों हाथों से अपनी बैसाखी पकड़ रखी थी. उस दिव्यांग को देखकर मेहुल ने ये तय किया कि वो दिव्यांगों के लिए ऐसा उपकरण बनाएगा, जिससे उनकी मदद हो पाए. इसके बाद मेहुल उस पर कार्य करना शुरू कर दिया. एक डेढ़ साल लगे, लेकिन एक मॉडल तैयार कर लिया. इसी दौरान इंस्पायर अवार्ड की घोषणा हुई तो उसके लिए अपना आइडिया भेजा और उसे अवार्ड मिला.
मेहुल फिलहाल अब भविष्य में नए प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है, वो कहता है कि राजस्थान में पानी की दिक्कत है, उसका समाधान ये है कि हम जल का सदुपयोग करें. इसके लिए वो वाटर हार्वेस्टिंग टैंक जो वाटर रिसाइकल करके दोबारा से प्रयोग करने लायक जल को बनाएगा. फिलहाल मेहुल इस प्रोजेक्ट पर ही काम कर रहा है.