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Ayodhya: 30 सितंबर को ही राम जन्मभूमि केस में इलाहाबाद हाईकोर्ट का आया था फैसला, भक्तों में राम मंदिर बनने की जगी थी आस, जानें पूरा मामला 

30 September 2010 Historic Decision On Ayodhya: इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने 30 सितंबर 2010 को विवादित बाबरी मस्जिद मामले में जमीन के मालिकाना हक को लेकर महत्वपूर्ण फैसला सुनाया था. हाईकोर्ट ने विवादित जमीन को तीन हिस्सों में बांटकर रामलला, निर्मोही अखाड़े और वक्फ बोर्ड को एक-एक हिस्सा देने का फैसला सुनाया था.

राम मंदिर राम मंदिर
हाइलाइट्स
  • राम जन्मभूमि पर 1528 में कराया गया था बाबरी मस्जिद का निर्माण 

  • 5 अगस्त 2020 को हुआ था राम मंदिर का भूमि पूजन कार्यक्रम 

  • मंदिर का निर्माण दिसंबर 2023 के अंत तक हो जाएगा पूरा 

First Historic Decision On Ram Temple: अयोध्या स्थित श्री राम जन्मभूमि मंदिर का निर्माण कार्य जोरशोर से चल रहा है. इस राम मंदिर का निर्माण दिसंबर 2023 के अंत तक पूरा हो जाएगा. इसके बाद भगवान राम के भक्त अगले साल 26 जनवरी से पहले राम मंदिर में पूजा-अर्चना कर सकेंगे. राम मंदिर निर्माण के लिए पहली सफलता 30 सितंबर 2010 को मिली थी. जी हां, इसी दिन इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने ऐतिहासिक फैसले में विवादित जमीन को तीन हिस्सों में बांटने का आदेश दिया था. 

कोर्ट ने रामलाल, निर्मोही अखाड़े और वफ्फ बोर्ड को एक-एक हिस्सा देने का फैसला सुनाया था. इसके बाद राम भक्तों में आस जगी थी कि न्यायिक प्रक्रिया से अयोध्या में उसी जगह पर भव्य राम मंदिर बनाने का सपना साकार हो सकता है. आइए आज हम आपको इस मुकदमे और राम मंदिर से जुड़ी जानकारी देते हैं.

बाबरी मस्जिद का करा दिया था निर्माण
मुगल बादशाह बाबर के सिपहसालार मीर बाकी ने 1528 में (विवादित जगह पर) बाबरी मस्जिद का निर्माण कराया था. इसे लेकर हिंदू समुदाय ने दावा किया कि यह जगह भगवान राम की जन्मभूमि है और यहां एक प्राचीन मंदिर था. हिंदू पक्ष के मुताबिक मुख्य गुंबद के नीचे ही भगवान राम का जन्मस्थान था. बाबरी मस्जिद में तीन गुंबदें थीं. 1853 में इस जगह के आसपास पहली बार दंगे हुए. 1859 में अंग्रेजी प्रशासन ने विवादित जगह के आसपास बाड़ लगा दी. मुसलमानों को ढांचे के अंदर और हिंदुओं को बाहर चबूतरे पर पूजा करने की इजाजत दी गई.

जब भगवान राम की मूर्तियां मस्जिद में पाई गईं
23 दिसंबर 1949 को भगवान राम की मूर्तियां मस्जिद में पाई गईं. हिंदुओं का कहना था कि भगवान राम प्रकट हुए हैं, जबकि मुसलमानों ने आरोप लगाया कि किसी ने रात में चुपचाप मूर्तियां वहां रख दीं. यूपी सरकार ने मूर्तियां हटाने का आदेश दिया, लेकिन जिला मजिस्ट्रेट (डीएम) केके नायर ने दंगों और हिंदुओं की भावनाओं के भड़कने के डर से इस आदेश को पूरा करने में असमर्थता जताई. सरकार ने इसे विवादित ढांचा मानकर ताला लगवा दिया.

निर्मोही अखाड़ा ने दाखिल की अर्जी 
1950 में फैजाबाद सिविल कोर्ट में दो अर्जी दाखिल की गई. इसमें एक में रामलला की पूजा की इजाजत और दूसरे में विवादित ढांचे में भगवान राम की मूर्ति रखे रहने की इजाजत मांगी गई. 1959 में निर्मोही अखाड़ा ने तीसरी अर्जी दाखिल की.1961 में यूपी सुन्नी वक्फ बोर्ड ने अर्जी दाखिल कर विवादित जगह के पजेशन और मूर्तियां हटाने की मांग की.

मंदिर में लगे ताले को खोलने की मांग
मंदिर निर्माण के लिए 21 जुलाई 1984 को महंत अवेद्यनाथ ने श्रीरामजन्मभूमि मुक्ति यज्ञ समिति की स्थापना की. 7 अक्टूबर 1984 को मंदिर में लगे ताले को खोलने की मांग करते हुए सरयू नदी के किनारे विशाल जनसभा हुई. इसके बाद दूसरी जनसभा 31 अक्टूबर 1985 को उडुपी में हुई. यहां ताला खोलने के लिए अंतिम तिथि 8 मार्च 1986 महाशिवरात्रि के दिन तय की गई. इसी दौरान मंडल-कमंडल का शोर भी शुरू हुआ. 

कानूनी रास्ता अख्तियार करते हुए उसके पहले ही 31 जनवरी 1986 को जिला न्यायालय में ताला खोलने की मांग की गई थी.एक फरवरी 1986 को न्यायमूर्ति कृष्णमोहन पांडेय ने श्रीराम जन्ममंदिर में लगा ताला खोलने का आदेश दिया. इसके बाद सरकार ने ताला खुलवाया. तीन फरवरी को मो. हाशिम कुरैशी व जफरयाब जिलानी ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में अपील की जो निरस्त हो गई.

सुन्नी वक्फ बोर्ड ने दायर की याचिका
12 मई 1986 को उत्तर प्रदेश सुन्नी वक्फ बोर्ड ने याचिका दायर की. श्रीरामजन्मभूमि न्यास भी विश्व हिंदू परिषद की छत्रछाया में बनाया गया. केंद्र में बीजेपी की सरकार आने पर 67.77 एकड़ भूमि का अधिग्रहण कर लिया गया. इसके बाद उत्तर प्रदेश में सियासी रुख बदला और कल्याण सिंह की सरकार आ गई. तब न्यास को 40 एकड़ भूमि लीज पर दे दी गई. 

6 दिसंबर 1992 को विवादित ढांचे को गिरा दिया
6 दिसंबर 1992 को वीएचपी और शिवसेना समेत दूसरे हिंदू संगठनों के लाखों कार्यकर्ताओं ने विवादित ढांचे को गिरा दिया. देश भर से मंदिर निर्माण के लिए ईंटें लेकर राम भक्तों की टोली अयोध्या के लिए कूच कर गई. राम लला हम आएंगे मंदिर वहीं बनाएंगे की गूंज पूरे देश से उठी. 

देश भर में सांप्रदायिक दंगे भड़के गए, जिनमें 2 हजार से ज्यादा लोग मारे गए. सर्वोच्च न्यायालय ने 10 दिसंबर 1992 को दर्शन-पूजन का 1950 का न्यायालीय आदेश स्थिर रखते हुए यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया. 7 जनवरी 1993 को केंद्र सरकार ने अध्यादेश जारी करके संपूर्ण मंदिर परिसर को अधिगृहीत कर लिया. 

इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने सुनाया ऐतिहासिक फैसला 
30 सितंबर, 2010 को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने अयोध्या मामले पर ऐतिहासिक फैसला सुनाया था. जस्टिस सुधीर अग्रवाल, जस्टिस एस यू खान और जस्टिस डी वी शर्मा की बेंच ने फैसले में 2.77 एकड़ की विवादित भूमि को तीन बराबर हिस्सों में बांट दिया था. जिसमें राम लला विराजमान वाला हिस्सा हिंदू महासभा को दिया गया. दूसरा हिस्सा निर्मोही अखाड़े को और तीसरा हिस्सा सुन्नी वक्फ बोर्ड को दिया गया.

हाईकोर्ट ने अपने फैसले में पुरातत्व विभाग की रिपोर्ट को आधार माना था, जिसमें कहा गया था कि खुदाई के दौरान विवादित स्थल पर मंदिर के प्रमाण मिले थे. इसके अलावा भगवान राम के जन्म होने की मान्यता को भी शामिल किया गया था. कोर्ट ने यह भी कहा था कि साढ़े चार सौ साल से मौजूद एक इमारत के ऐतिहासिक तथ्यों की भी अनदेखी नहीं की जा सकती. 30 सितंबर 2010 को इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ, दिसंबर में हिंदू महासभा और सुन्नी वक्फ बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे दी.

सुप्रीम कोर्ट ने राम मंदिर के पक्ष में सुनाया फैसला
हिंदू पक्ष पूरी जमीन पर दावा ठोक रहा था जबकि सुन्नी वफ्फ बोर्ड भी वहां मस्जिद की भूमि बताते हुए उस पर अपना दावा नहीं छोड़ रहा था. 9 नवंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की बेंच ने राम मंदिर के पक्ष में फैसला सुनाया. 2.77 एकड़ विवादित जमीन हिंदू पक्ष को मिली. मस्जिद के लिए अलग से 5 एकड़ जमीन मुहैया कराने का आदेश. 25 मार्च 2020 को तकरीबन 28 साल बाद रामलला टेंट से निकलर फाइबर के मंदिर में शिफ्ट हुए.

पीएम मोदी भूमि पूजन कार्यक्रम में हुए शामिल
5 अगस्त 2020 को राम मंदिर का भूमि पूजन कार्यक्रम हुआ. पीएम नरेंद्र मोदी, आरएसएस सरसंघचालक मोहन भागवत, यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ और साधु-संतों समेत 175 लोगों को न्योता दिया गया. अयोध्या पहुंचकर हनुमानगढ़ी में सबसे पहले पीएम मोदी ने किया दर्शन. इसके बाद राम मंदिर के भूमि पूजन कार्यक्रम में शामिल हुए.

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