
रंगभरी एकादशी पर काशी में पांच दिनों के होली उत्सव का शुभारंभ हुआ. इस अवसर पर मसाने की होली भी खेली गई. हरिश्चंद्र घाट पर चिता भस्म की होली खेली गई, जिसमें साधु-संतों ने भाग लिया. इस होली के बारे में जानना दिलचस्प है क्योंकि यह भगवान शिव और मां पार्वती के विवाह के बाद पहली बार काशी आने की मान्यता से जुड़ी है. इस अवसर पर श्री काशी विश्वनाथ महादेव और मां गौरी का शास्त्रोक्त विधि विधान से पूजा अनुष्ठान किया गया. विदेशी मेहमान भी इस भव्य आयोजन का हिस्सा बने.
ब्रज में बांके बिहारी मंदिर में होली का उत्सव
ब्रज की होली पूरी दुनिया में मशहूर है. यहां वसंत पंचमी से शुरू होकर 40 दिनों तक होली का उत्सव चलता रहता है. रंगभरी एकादशी के दिन बांके बिहारी मंदिर में अबीर-गुलाल की बारिश शुरू हो जाती है. भक्तों ने ठाकुर जी के साथ होली खेलने का आनंद लिया. मंदिर में सोने और चांदी की पिचकारी से होली खेली गई. भक्तों पर गुलाल की बारिश होती रही और उन्होंने इसे प्रसाद के रूप में स्वीकार किया.
अवधपुरी में हनुमानगढ़ी के संतों ने होली खेली
राम नगरी अयोध्या में भी रंगभरी एकादशी के साथ होली के उत्सव का शुभारंभ हो गया. हनुमानगढ़ी में राम भक्त हनुमान को अबीर लगाने के साथ यहां रंगों का उत्सव शुरू हुआ. 500 संतों ने एक दूसरे को गुलाल लगाकर होली खेली. इससे पहले संतों ने हनुमान जी के निशान की पूजा की.
देशभर में होली का उत्साह
देश के अन्य हिस्सों में भी होली का उत्सव धूमधाम से मनाया जा रहा है. संभल में भी रंगभरी एकादशी के दिन से होली का उत्सव शुरू हो गया है. बच्चों ने रंगों की बारिश का आनंद लिया. हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, गुजरात हर जगह होली का उत्सव मनाया जा रहा है. कुल्लू में भगवान रघुनाथ के दरबार में 40 दिनों तक होली गायन होता है. राजस्थान के फतहपुर शेखावाटी में चंग, धप और बांसुरी की धुन पर लोग नृत्य करते हैं. गुजरात के दाहोद में वुमनिया ग्रुप की तरफ से आयोजित फागोत्सव में 35 महिला समूह ने भाग लिया. छोटा उदयपुर जिले में आदिवासी समुदाय के लोग पारंपरिक नृत्य करते हुए होली का आनंद ले रहे हैं.