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सालों बाद नवाबों के शहर लखनऊ में दिखी प्रवासी पक्षियों की दुर्लभ प्रजातियां

लखनऊ को हमेशा से संगीत, संस्कृति और खान-पान का शहर माना जाता है. मगर अब यह नवाबों का शहर पक्षियों का घर भी बनता जा रहा है. प्रकृतिवादियों और बर्ड वाचर्स ने यूपी की राजधानी लखनऊ में कम से कम 360 प्रकार के पक्षियों को देखा और सूचीबद्ध किया है. लखनऊ के संजय कुमार ने नीरज श्रीवास्तव के साथ मिलकर 'बर्ड्स ऑफ लखनऊ' (Birds of Lucknow)नामक एक पुस्तक लिखी है, जो शहर में पाए जाने वाले 250 से अधिक प्रकार के पक्षियों का एक दृश्य दस्तावेज है.

Representative Image (PC: Unsplash) Representative Image (PC: Unsplash)
हाइलाइट्स
  • शहर में हैं 250 से अधिक प्रकार के पक्षी

  • कुकरैल है पसंदीदा स्थलों में से एक

लखनऊ को हमेशा से संगीत, संस्कृति और खान-पान का शहर माना जाता है. मगर अब यह नवाबों का शहर पक्षियों का घर भी बनता जा रहा है. प्रकृतिवादियों और बर्ड वाचर्स ने यूपी की राजधानी लखनऊ में कम से कम 360 प्रकार के पक्षियों को देखा और सूचीबद्ध किया है. सर्दियों के आगमन के साथ उम्मीद है कि ऐसी साइटसीइंग हमें और अधिक देखने को मिलेगी क्योंकि कई दुर्लभ प्रवासी पक्षी भी लखनऊ को मौसम के लिए घर बनाते हैं.

लखनऊ में पक्षियों के हैं कई पसंदीदा गांव
एक तरफ जहां सनबर्ड पूरे लखनऊ में पाए जाते हैं वहीं पक्षी देखने वालों का कहना है कि इंडियन पिट्टा (इसके पंखों में नौ रंग होने के कारण इसे नवरंग भी कहा जाता है), ट्रांस-हिमालयी क्षेत्र से आने वाली प्रवासी बतख, सुर्ख शेल्डक (सुरखाब), ब्लैक हुडेड ओरिओल (सुंदर स्थानिक पक्षी) और उत्तरी साइबेरिया के प्रवासी पक्षी उत्तरी पिंटेल (सीकर) कुछ दुर्लभ पक्षी हैं जिन्हें देखा जा सकता है.

पक्षियों के मामले में लखनऊ की समृद्धि को स्वीकार करते हुए बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी के पूर्व निदेशक और पक्षी निरीक्षक असद आर रहमानी ने कहा, "लखनऊ में पक्षियों द्वारा पसंद किए जाने वाले कई गांव हैं जो इकोसिस्टम के स्वास्थ्य के सबसे महत्वपूर्ण संकेतक हैं. वे प्रकृति के स्वास्थ्य को स्थिर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. उन्हें पर्यावरण प्रणाली के जैव संकेतक के रूप में जाना जाता है."

शहर में हैं 250 से अधिक प्रकार के पक्षी
प्रकृतिवादी और आईएएस अधिकारी संजय कुमार, जिन्होंने विभिन्न शहरों के पक्षियों पर सात किताबें लिखी है कहते हैं कि पक्षियों की विविधता और घनत्व विशेष रूप से शहरी परिदृश्य में यह तय करता है कि कोई स्थान पर्यावरण की दृष्टि से कितना सुरक्षित है. संजय कुमार ने नीरज श्रीवास्तव के साथ मिलकर 'बर्ड्स ऑफ लखनऊ' (Birds of Lucknow)नामक एक पुस्तक लिखी है, जो शहर में पाए जाने वाले 250 से अधिक प्रकार के पक्षियों का एक दृश्य दस्तावेज है.

कुकरैल है पसंदीदा स्थलों में से एक
श्रीवास्तव ने कहा, "पक्षी जीवन का अभिन्न अंग हैं. वे हमें प्रकृति का सम्मान करने का मौका देते हैं जो एक तरह से प्यार और देखभाल का आदान-प्रदान करती है.” विभिन्न पक्षी दर्शकों ने साझा किया कि कुकरैल जंगल पक्षियों को देखने के लिए सबसे पसंदीदा स्थलों में से एक है. यह विभिन्न क्षेत्रों के 200 से अधिक लोगों का समुदाय है जो लखनऊ के इन पक्षियों की निगरानी करता है.

आईआईएम-लखनऊ परिसर, एसजीपीजीआई परिसर, राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान, रिमोट सेंसिंग एप्लीकेशन सेंटर, रेजीडेंसी कॉम्प्लेक्स, लखनऊ के आसपास छावनी और वेटलैंड पक्षियों के अन्य घर हैं.
 

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