विश्व बाल दिवस (World Children's Day)की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति भवन, कुतुब मीनार और नई दिल्ली के अन्य स्मारकों को नीली रोशनी से रोशन कर दिया गया है. प्रतिष्ठित स्मारकों को रोशन करना यूनिसेफ द्वारा #GoBlue अभियान का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य बाल अधिकारों और बच्चों के जीवन पर कोरोना महामारी के प्रभाव को उजागर करना है.
विश्व बाल दिवस से एक दिन पहले, प्रतिष्ठित स्मारकों के साथ ही नॉर्थ ब्लॉक और साउथ ब्लॉक जैसे प्रमुख संसद भवन भी शुक्रवार को नीले रंग से जगमगा उठे. शनिवार को यूनिसेफ पार्लियामेंटेरियन ग्रुप फॉर चिल्ड्रन (PGC) की साझेदारी में बच्चों के साथ संसद का आयोजन करेगा. 20 नवंबर को होने वाले इस कार्यक्रम में संसद के कई सदस्य शामिल होंगे.
बच्चों के अधिकारों पर होगी चर्चा
इस संसद में बच्चों के साथ स्कूलों को फिर से खोलने पर चर्चा की जाएगी और सांसदों को मांगों का एक चार्टर पेश करेंगे. प्रतिभागी सांसदों से उम्मीद जताई गई है कि वे बच्चों के अधिकारों के समर्थन के लिए प्रतिबद्धता पत्र पर हस्ताक्षर करेंगे. 1959 में, संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 20 नवंबर को बाल अधिकारों की घोषणा को अपनाया. 1989 में, संयुक्त राष्ट्र महासभा ने इस तिथि पर बाल अधिकारों पर कन्वेंशन को अपनाया.
विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सी. पी. जोशी की पहल पर बाल अधिकारों की जागरूकता के लिए विधानसभा पर नीली रोशनी की जा गई है. यूनिसेफ द्वारा बाल अधिकारों के प्रति एकजुटता दिखाने के लिए ‘गो ब्लू‘ अभियान चलाया जा रहा है. यूनिसेफ विश्व भर में बच्चों के अच्छे स्वास्थ्य, शिक्षा, स्वच्छता, सुरक्षा और पोषण के लिए काम करता है.
क्यों मनाया जाता है विश्व बाल दिवस
हर साल 20 नवंबर को विश्व स्तर पर विश्व बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है. यह दिवस अंतर्राष्ट्रीय एकजुटता को बढ़ावा देने, दुनिया भर में बच्चों में जागरूकता और बच्चों के कल्याण में सुधार करने के लिए मनाया जाता है. 20 नवंबर एक महत्वपूर्ण तारीख है क्योंकि इसी दिन 1959 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने बाल अधिकारों को अपनाने की घोषणा की थी.
ये भी पढ़ें: