बिजनेस टायकून रतन टाटा आज किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं. एक उद्योगपति होने के अलावा उनकी सादगी है जिसकी लोग काफी ज्यादा चर्चा करते हैं. उनकी इसी सादगी का उदाहरण हाल हमें देखने को मिला जब वो मुंबई के ताज होटल में बिना किसी सिक्योरिटी के अपनी ड्रीम प्रोजक्ट कार टाटा नैनो में पहुंचे. सोशल मीडिया पर यह वीडियो काफी तेजी से वायरल हो रहा है जिसमें वो सफेद रंग की नैनो में आगे वाली सीट पर बैठे नजर आ रहे हैं.
आम लोगों के बारे में सोचकर बनाई कार
रतन टाटा ने हाल ही में अपने इस ड्रीम प्रोजेक्ट के पीछे की सोच को लेकर एक पोस्ट शेयर की थी जिसमें उन्होंने बताया कि उन्हें टाटा नैनो बनाने का ख्याल कहां से आया. अपनी इस पोस्ट में रतन टाटा ने लिखा, ''मैं लगातार भारत के परिवारों को स्कूटर पर यात्रा करते हुए देखता था. स्कूटर पर यात्रा करते हुए परिवार को देखकर ऐसा लगता था कि एक बच्चा अपने माता बिचा के बीच किसी सैंडविच की तरह बैठा है. कई बार फिसलन भरी चिकनी सड़कों पर भी वो इस तरह ही सफर करते हुए दिखाई देते थे और यही सब वजह थी जिसने मुझे टाटा नैनो बनाने के लिए प्रेरित किया.''
कैसे आया नैनो का खयाल
आर्किटेक्चर स्कूल से होने की वजह से रतन टाटा अक्सर खाली समय में डूडल बनाया करते थे. रतन टाटा ने पोस्ट में बताया कि अक्सर डूडल बनाते वक्त वो सोचते थे कि मोटरसाइकल से ज्यादा सुरक्षित क्या हो सकता है. ऐसा सोचते-सोचते उन्होंने एक कार का डूडल बनाया, जो एक बग्गी जैसा दिखता था और उसमें दरवाजे तक नहीं थे. यही से टाटा नैनो अस्तित्व में आई, जो सस्ती कार का सपना देखने वाले लोगों के लिए थी. इसका मकसद ऐसे लोगों तक कार पहुंचाना था जो कार के सपने तो देखती है, लेकिन वह कार खरीदने में सक्षम नहीं है. ऐसे लोगों के लिए ही रतन टाटा ने लखटकिया कार पेश की थी. हालांकि ये मार्केट में ज्यादा अच्छा नहीं कर पाई और प्रोजेक्ट फेल हो गया.
बता दें कि टाटा मोटर्स ने टाटा नैनो को 10 जनवरी 2008 को मार्केट में लॉन्च किया था. कंपनी ने इसे 1 लाख रुपये के शुरुआती प्राइस के साथ मार्केट में लॉन्च किया जिसकी वजह से ये लखटकिया के नाम से काफी पॉपुलर हुई. 2019 आते आते नैनो अचानक सड़कों से गायब हो गई.