हमारे देश के दिग्गज उद्योगपति रतन टाटा (Ratan Tata) ने दुनिया को 86 साल की उम्र में बुधवार को अलविदा कह दिया. टाटा ग्रुप के चेयरमैन बनने से लेकर कंपनी को नई बुलंदियों पर पहुंचाने में रतन टाटा की कड़ी मेहनत रही है. इस महान बिजनेसमैन की जिंदगी से जुड़े कई किस्से रहे हैं. आइए हम आपको कुछके बारे में बता रहे हैं.
फावड़े चलाने से शुरू हुआ टाटा में करियर
परिवार के व्यवसाय से जुड़ने से पहले रतन टाटा ने यूएस में दो साल तक एक आर्किटेक्चर कंपनी में नौकरी की थी. इसके बाद जब वह 1962 में टाटा ग्रुप से जुड़े तो उन्हें पहली नौकरी टेल्को (अब टाटा मोटर्स) के शॉप फ्लोर पर मिली. इसके बाद उन्होंने टाटा स्टील के साथ करियर की शुरुआत की. टाटा स्टील में उनकी पहली नौकरी ब्लास्ट फर्नेस टीम में काम करने की थी. इस काम में रतन टाटा फावड़े चला कर चूना पत्थर उठाया करते थे.
कॉलेज के दिनों सवार हुआ था विमान उड़ाने का भूत
रतन टाटा की उच्च शिक्षा अमेरिका के कॉरनेल यूनिवर्सिटी से हुई, जहां उन्होंने आर्किटेक्चर की डिग्री ली. उन्हीं दिनों कि बात है जब रतन टाटा को जहाज उड़ाने का शौक सवार हुआ. अमेरिका में उन दिनों फीस भरकर विमान उड़ाने की सुविधा देने वाले सेंटर खुल चुके थे. उन्हें अपना यह शौक पूरा करने का सुनहरा अवसर मिला. दिक्कत थी तो सिर्फ पैसों की, क्योंकि तब उन्हें इतने पैसे मिलते नहीं थे कि फीस भर सकें. विमान उड़ाने की फीस जुटाने के लिए उन्होंने कई नौकरियां की. इसी दौरान उन्होंने कुछ समय के लिए रेस्तरां में जूठे बर्तन धोने की भी नौकरी की.
69 साल की उम्र में उड़ाया था लड़ाकू विमान
बेंगलुरु में एक एयर शो के दौरान रतन टाटा को 400 करोड़ रुपए से ज्यादा कीमत का F-16 ब्लॉक 50 फाइटर जेट उड़ाने का मौका मिला था. 69 साल के होते हुए भी उद्योगपति का लड़ाकू विमान उड़ाना कोई आम दृश्य नहीं था और इस कारनामें का वीडियो आज भी लाखों लोगों को आकर्षित करने के लिए काफी है. रतन टाटा उस F-16 लड़ाकू विमान के को-पायलट थे जिसकी कमान पॉल हैटनडोर्फ ने संभाली थी. फाइटर जेट की टॉप स्पीड 2000 किमी/घंटा से ज्यादा है. उड़ान के दौरान ही उन्होंने इसका कंट्रोल अपने हाथों में ले लिया था. रतन टाटा भारत के पहले ऐसे व्यक्ति बने थे, जिन्होंने एफ-16 फाल्कन फाइटर उड़ाया था. यह उपलब्धि उन्होंने साल 2007 में बेंगलुरु एयरशो के दौरान प्राप्त की थी.
अपनी परोपकारिता के लिए विदेशों में मशहूर रतन टाटा
रतन टाटा अपनी परोपकारिता के लिए भी जाने जाते हैं. रतन टाटा के नेतृत्व में टाटा समूह ने भारत के स्नातक छात्रों को वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए कॉर्नेल विश्वविद्यालय में 28 मिलियन डॉलर का टाटा छात्रवृत्ति कोष स्थापित किया. साल 2010 में टाटा समूह ने हार्वर्ड बिजनेस स्कूल (एचबीएस) में एक कार्यकारी केंद्र बनाने के लिए 50 मिलियन डॉलर का दान दिया, जहां उन्होंने स्नातक प्रशिक्षण प्राप्त किया, जिसे टाटा हॉल नाम दिया गया. 2014 में टाटा समूह ने आईआईटी-बॉम्बे को 95 करोड़ रुपए का दान दिया और सीमित संसाधनों वाले लोगों और समुदायों की आवश्यकताओं के अनुकूल डिजाइन और इंजीनियरिंग सिद्धांतों को विकसित करने के लिए Tata Center for Technology and Design (टीसीटीडी) का गठन किया.
(सीमा गुप्ता की रिपोर्ट)