लोकसभा के बाद राज्यसभा ने भी जन्म और मृत्यु पंजीकरण (संशोधन) विधेयक, 2023 को ध्वनिमत से अपनी मंजूरी दे दी है. अब किसी शैक्षणिक संस्थान में प्रवेश चाहिए या ड्राइविंग लाइसेंस बनवाना है, मतदाता सूची में नाम दर्ज कराना है या आधार कार्ड बनवाना है, विवाह का पंजीकरण कराना है या सरकारी नौकरी हासिल करनी है, अब आपका जन्म प्रमाणपत्र एकल दस्तावेज के रूप में मान्य होगा.
क्यों लाया गया विधेयक
गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने कहा कि यह विधेयक लोगों के लिए सुविधाओं को सुगम बनाने के मकसद से लाया गया है और यह जनहित में है. इस विधेयक के संबंध में राज्यों, संबंधित मंत्रालयों एवं विभागों से व्यापक परामर्श किया गया और आम लोगों से भी राय ली गई. उन्होंने कहा कि इस विधेयक से जन्म एवं मृत्यु के प्रमाणपत्र का पंजीकरण सरल हो जाएगा, मानवीय हस्तक्षेप कम हो जाएगा और यह डिजिटल होगा.
राज्यस्तरीय डाटाबेस बनाने में करेगा मदद
नित्यानंद राय ने कहा कि जन्म एवं मृत्यु पंजीकरण अधिनियम 1969, जन्म एवं मृत्यु के मामलों के पंजीकरण के नियमन को लेकर अमल में आया था. इसमें तब से अब तक कोई संशोधन नहीं किया गया था. जन्म और मृत्यु पंजीकरण (संशोधन) विधेयक, 2023 पंजीकृत जन्म और मृत्यु का एक राष्ट्रीय और राज्यस्तरीय डाटाबेस बनाने में मदद करेगा. इससे अन्य डाटाबेस को भी अपडेट करने में मदद मिलेगी.
विधेयक का प्रमुख उद्देश्य
1. विधेयक का एक प्रमुख उद्देश्य पंजीकृत जन्म और मृत्यु के लिए राष्ट्रीय और राज्य-स्तरीय डेटाबेस स्थापित करना है.
2. नया कानून जन्म प्रमाण पत्र को किसी व्यक्ति की जन्म तिथि और स्थान के निश्चित प्रमाण के रूप में स्थापित करेगा.
3. नया नियम जन्म और मृत्यु पंजीकरण (संशोधन) अधिनियम, 2023 के प्रारंभ होने या उसके बाद पैदा हुए लोगों पर लागू होगा.
4. जन्म प्रमाणपत्र स्कूलों में प्रवेश, ड्राइविंग लाइसेंस जारी करने, मतदाता सूची तैयार करने, विवाह पंजीकरण, सरकारी रोजगार, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम, पासपोर्ट और आधार नंबर जारी करने सहित विभिन्न प्रक्रियाओं के लिए महत्वपूर्ण होगा.
5. विधेयक गोद लिए गए अनाथ, परित्यक्त और सरोगेट बच्चों के साथ-साथ एकल माता-पिता या अविवाहित माताओं के बच्चों के लिए पंजीकरण की प्रक्रिया को आसान बनाएगा.
6. विधेयक लाने का उद्देश्य जन्म और मृत्यु पंजीकरण अधिनियम, 1969 की 14 धाराओं में संशोधन करना है.
7. इसका उद्देश्य सभी चिकित्सा संस्थानों के लिए रजिस्ट्रार को मृत्यु के कारण का प्रमाण पत्र और निकटतम रिश्तेदार को उसकी एक प्रति प्रदान करना अनिवार्य बनाना है.
किन मामलों में अनिवार्य होगा जन्म का पंजीकरण
विधेयक के प्रावधान में कहा गया है कि ऐसे मामलों में जन्म का पंजीकरण अनिवार्य होगा, जहां जन्म जेल या होटल में हुआ हो. इस मामले में जेलर या होटल के प्रबंधक को आधार संख्या प्रदान करनी होगी. यह प्रावधान गोद लिए गए, अनाथ, परित्यक्त, सरोगेट बच्चे और एकल माता-पिता या अविवाहित मां के लिए बच्चे की पंजीकरण प्रक्रिया में भी अनिवार्य होगा.
आधार की क्या होगी भूमिका
आधार सरकारी सेवाओं और बैंकिंग सुविधाओं का लाभ उठाने के लिए जरूरी है. यह जन्म और मृत्यु के पंजीकरण के लिए भी अनिवार्य होगा. उदाहरण के लिए, जन्म के दौरान जब चिकित्सा अधिकारी जन्म की रिपोर्ट देगा तो माता-पिता और सूचना देने वाले का आधार नंबर देना अनिवार्य होगा.
विधेयक से क्या होगा फायदा
मेडिकल संस्थानों के लिए मृत्यु प्रमाणपत्र मुफ्त में जारी करना अनिवार्य होगा. डेथ सर्टिफिकेट के बदले कोई चार्ज नहीं वसूला जाएगा. एक सामान्य और केंद्रीकृत डेटाबेस जन्म और मृत्यु पंजीकरण प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करेगा और अन्य एजेंसियों के साथ डेटाबेस साझा करने से दोहराव और ऐसी अन्य त्रुटियों से बचा जा सकेगा. इस विधेयक से पंजीकरण चुनौतियों को दूर करने की भी उम्मीद है, जो निवेश की कमी, सेवाओं की खराब डिलीवरी और केंद्रों पर सीमित कंप्यूटर और इंटरनेट सेवाओं से आती हैं.
क्या है डिजिटल जन्म प्रमाणपत्र
डिजिटल जन्म प्रमाणपत्र एक एकल दस्तावेज है, जिसका उपयोग किसी व्यक्ति की जन्मतिथि और जन्मस्थान को साबित करने के लिए किया जाता है. इस विधेयक में सभी जन्म और मृत्यु को एक केंद्रीकृत पोर्टल पर पंजीकृत करने का प्रावधान है. डिजिटज जन्म प्रमाण पत्र से देश में जन्म तिथि और जन्मस्थान को साबित करने के लिए किसी अन्य दस्तावेज की जरूरत नहीं पड़ेगी.